विशेष : 5वें चरण की लड़ाई बाबा के पिच पर आई, चक्रब्यूह भेदने में जुटे महारथी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2022

विशेष : 5वें चरण की लड़ाई बाबा के पिच पर आई, चक्रब्यूह भेदने में जुटे महारथी

  • यूपी चुनाव के पांचवें चरण में अवध और तराई बेल्ट के 11 जिलों की 61 विधानसभा सीटों पर मतदान 27 फरवरी को है। इन 61 सीटों पर कुल 693 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। इस चरण में रामनगरी अयोध्या से लेकर प्रयागराज और चित्रकूट जैसे धार्मिक नगरी की सीटों पर चुनाव होंगे वहीं प्रतापगढ़ के कुंडा में राजा भैया के लिए अग्निपरीक्षा होगी। यह चरण बीजेपी के लिए अपने दुर्ग को बचाए रखने की चुनौती है तो सपा, बसपा और कांग्रेस सत्ता की वापसी दारोमदार इसी चरण में टिका है। इनमें गांधी परिवार का गढ़ कहे जाने वाला अमेठी सहित सुल्तानपुर, अयोध्या, बाराबंकी जैसे अवध के जिले हैं तो तराई बेल्ट के बहराइच, गोंडा और श्रावस्ती जैसे अहम जिले की सीटें है। इसके अलावा प्रतापगढ़ और प्रयागराज जिलों की सीटों के साथ-साथ बुंदलेखंड के चित्रकूट जिले की भी दो सीटें शामिल हैं  

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फिरहाल, चुनावी चक्रव्यूह का पांचवा द्वार भेदने के लिए पार्टियां पूरी तरह तैयार है। भला क्यों नहीं, यही वह 5वां, छठा व 7वां द्वार है, जिसे भेदने वाला ही सत्ता तक पहुंचेगा। मामला तब और दिलचसप हो जाता है जब लडाई भगवा बाबा के पिच पर हो रही हो। बाबा इस पिच पर लगातार पांच साल से कड़ी मेहनत कर रहे है। कभी मुख्तार, अतीक जैसे माफियाओं की अपराध वाली लहलहाती फसल को बुलडोजर दौड़ाकर रौदतें है तो कभी डबल इंजन की मदद से पूर्वांचल एक्सप्रेस वे का फीता काटते है तो कभी 15 लाख से अधिक दीये जलाकर अयोध्या की ऐतिहासिक दीवाली व हेलीफकाप्टर से श्रीराम लक्ष्मण सीता को उतारकर दशहरा मनाते है तो कभी कोर्ट फैसले के बाद भव्य राम मंदिर निर्माण के लिए पीएम मोदी से भूमि पूजन करवाते है। वैसे भी मोदी-शाह व बाबा की जोड़ी का ही परिणाम रहा कि 2017 में भाजपा ने विजय का पताका पूर्वांचल में ही फहराया था। मतलब साफ है पूरा पूर्वांचल बाबा योगी आदित्यनाथ का अब गढ़ बन चुका है और यही वजह है कि बारी जब गढ़ की आई तो बाबा पूरे जोश में आ गए है। दो दिन पहले एकबार फिर मुख्तार अंसारी की पत्नी की अचल संपत्ति पर बुलडोजर दौड़ा कर बता दिया कि 10 मार्च के बाद और तीब्र गति से बुलडोजर दौड़ेगा। इस बुलडोजर का असर क्या होगा यह तो 10 मार्च के बाद पता चलेगा, लेकिन सूबे के बदले हुए सियासी समीकरणों में बीजेपी के सामने 2017 में जीती 51 सीटों पर कब्जा बनाएं रखने की बड़ी चुनौती तो है ही।  हालांकि अगर बाबा का बुलडोजर व काम पर वोट पड़े तो विपक्ष की हवा निकलते देर नहीं लगेगी। मतलब साफ है सपा गठबंधन के लिए भी चुनौतियां कम नहीं है। ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के सामने अमेठी-रायबरेली में है। अमेठी में राहुल गांधी को 2019 में हार का मूंह देखना पड़ा था। इस बार कांग्रेस हरहालमें अमेठी में वापसी करना चाहती है। जबकि बसपा भी इस चरण में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए बेताब है। कहा जा सकता है इन तमाम चुनौतियों के बावजूद सभी दलों ने मैदान में अपने-अपने सेनानी उतारे हैं। इलाहाबाद, कौशांबी प्रतापगढ़, फतेहपुर से लेकर राम की नगरी अयोध्या तक में एक से बढ़कर एक रणबांकुरों को जीत पक्की करने के लिए टीम कैप्टनों ने भी अपनी-अपनी तरकश से शब्दभेदी बाणों की बौछार तेज कर दिया है। खास यह है कि इस चरण में गन्ना, जिन्ना, हिजाब के बाद अब आतंकी संरक्षण, गुंडागर्दी के बीच नवाब मलिक की गिरफ्तारी व देश का दुश्मन नंबर वन अंडरवर्ड डॉन दाउद इब्राहिम कनेक्शन का मुद्दा जोर पकड़ लिया है। मोदी-योगी के साथ अमित शाह सहित कई बड़े नेताओं की स्पीच भी इन्हीं मुद्दो पर विपक्ष को घेर रही है। 


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वैसे भी अयोध्या का नाम आते ही श्रद्धा और आस्था अपने आप हिलोरे मारने लगती है। यह वही अयोध्या है जिसके एक मुद्दे की आंच में कभी पूरे देश की हवा गर्म हो गई थी। या यूं कहे अस्सी से नब्बे के दशक में भाजपा ने इसी अयोध्या को आधार बनाकर पूरे देश की सियासत गर्मा दी थी। इसी अयोध्या की वजह से सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव मुसलमानों के सबसे बड़े हितैषी बनकर उभरे और इसी अयोध्या ने मंडल की सियासत की चमक फीकी कर कमंडल से कमल खिलाया था। यह अलग बात है कि 2012 के विधानसभा चुनाव में अयोध्या में 1991 से लगातार जीतती भाजपा का किला ध्वस्त हो गया और इस गढ़ में सपा का परचम लहराया था, लेकिन बाबा के ही कमाल से 2017 में पुनः कब्जा हो गया।  बात गंगा यमुना और सरस्वती की अदृश्य धारा के त्रिवेणी में सियासत की बहती धारा की किया जाएं तो यहां का चुनाव पोस्टरों बैनरों के बिना भी जीवंत नजर आता है। राजनीति के तमाम हिस्सों और गौरवशाली इतिहास को समेटे बाबा के सौजन्य से अब यह इलाहाबाद की जगह प्रयागराज के नाम से जाना जाता है। प्रयागराज जिले की 12 विधानसभा सीटों में से 9 सीटों पर भगवा परचम लहराया था। जबकि प्रयागराज में सपा को एक और बीएसपी को 2 सीटें मिलीं थीं। उधर, अरसे तक कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले अमेठी की 4 विधानसभा सीटों में भी 2017 में 3 पर बीजेपी का करिश्मा दिखा था।  बीजेपी के लिए अच्छी बात है कि 2017 में उसने अयोध्या की सभी पांचों सीटों पर कमल खिलाया था। भगवान राम ने वनवास के करीब 11 साल चित्रकूट में बिताए थे। यहां 2017 में बीजेपी ने 2 सीटों पर कब्जा किया था। अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण जारी है। इसका फायदा भी बीजेपी को मिलने की संभावना जताई जा रही है। देखा जाएं तो इस फेज से सपा के एमवाई यानी मुस्लिम $ यादव फैक्टर पर बीजेपी का एमवाई यानी मोदी $ योगी फैक्टर भारी पड़ेगा। क्योंकि छठे फेज में योगी के गढ़ गोरखपुर मंडल में चुनाव होगा। जहां करीब 41 सीटें हैं और प्रधानमंत्री मोदी के बनारस मंडल में करीब 28 सीटें है। इन दोनों मंडल में बीजेपी का प्रदर्शन एकतरफा रहने की उम्मीद है। 


2017 में बीजेपी ने स्वीप किया था 

पांचवें चरण की जिन 61 विधानसभा सीटों पर चुनाव पर होने हैं, उनमें 90 फीसदी सीटों पर बीजेपी और अपना दल गठबंधन का कब्जा है। 2017 के विधानसभा चुनाव में इन 61 सीटों में से बीजेपी ने 51 सीटें जीती थी जबकि के खाते में महज 5 सीटें मिली थी। इसके अलावा कांग्रेस को एक सीट पर जीत मिली थी। वहीं, अपना दल (एस) को दो सीटें मिली थी तो दो सीटों पर निर्दलीय ने जीती थी। बीजेपी गठबंधन के पास 52 सीटें है तो बसपा यहां खाता भी नहीं खोल सकी थी।  


मंत्रियों की परीक्षा 

यूपी के इस चरण के चुनाव में योगी सरकार के कई दिग्गज मंत्रियों की भी अग्निपरीक्षा है तो कुंडा में राजा भैया के लिए इस बार चुनाती है। सूबे के बदले हुए सियासी समीकरणों में बीजेपी के सामने पिछली बार की तरह नतीजे दोहराना आसान नहीं दिख रहा है तो सपा गठबंधन को बेहतर नतीजे की उम्मीद दिख रही है। ऐसे में सबसे बड़ी चुनौती कांग्रेस के सामने अमेठी में है, जहां उसके मजबूत प्रत्याशी के लिए मशकक्त करनी पड़ रही है। बता दें, इस चरण में उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य सिराथू सीट से चुनाव लड़ रहे हैं तो कैबिनेट मंत्री राजेंजेंद्र प्रताप सिंह उर्फ मोती सिंह पट्टी सीट से उतरे हैं। कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह, इलाहबाद पश्चिम से प्रत्याशी हैं तो नागरिक उड्डयन मंत्री नंदगोपाल नंदी इलाहाबाद दक्षिण, समाज कल्याण मंत्री रमापति शास्त्री मनकापुर सुरक्षित सीट से और राज्यमंत्री चंद्रिका प्रसाद उपाध्याय चित्रकूट सदर से चुनाव लड़ रहे हैं। योगी सरकार के मंत्री रहे मुकुट बिहारी की जगह उनके बेटे चुनावी मैदान में हैं। 


61 विधान सभा सीटें

तिलोई, सलोन (सु) जगदीशपुर (सु)., गौरीगंज, अमेठी, इसौली, सुल्तानपुर, सदर, लम्भुआ, कादीपुर (सु), चित्रकूट, मानिकपुर, रामपुर खास, बाबागंज (सु)., कुण्डा, विश्वनाथगंज, प्रतापगढ़, पट्टी, रानीगंज, सिराथू, मंझनपुर (सु), चायल, फाफामऊ, सोरांव (सु)., फूलपुर, प्रतापपुर, हण्डिया, मेजा, करछना, इलाहाबाद पश्चिम, इलाहाबाद उत्तर, इलाहाबाद दक्षिण, बारा (सु)., कोरांव (सु)., कुर्सी, रामनगर, बाराबंकी, जैदपुर (सु)., दरियाबाद, रूदौली, हैदरगढ़ (सु)., मिल्कीपुर (सु)., बीकापुर, अयोध्या, गोसाईगंज, बलहा (सु)., नानपारा, मटेरा, महसी, बहराइच, पयागपुर, कैसरगंज, भिंगा, श्रावस्ती, मेहनौन, गोण्डा, कटरा बाजार, कर्नलगंज, तरबगंज, मनकापुर (सु) और गौरा सीट शामिल है.


सबसे ज्यादा दागी 

एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार पांचवे चरण में कुल 27 फीसदी यानी 185 प्रत्याशी आपराधिक छवि वाले हैं। मतलब इनपर कोई न कोई आपराधिक मामले जरूर दर्ज हैं। इनमें भी 141 ऐसे प्रत्याशी हैं, जिनपर गंभीर आरोप लगे हैं। आपराधिक छवि वाले सबसे ज्यादा प्रत्याशी सपा के 71 फीसदी प्रत्याशी दागी हैं। इनमें भी 49 फीसदी ऐसे हैं, जिनपर गंभीर आरोप लगे हैं। दूसरे नंबर पर अपना दल (सोनेलाल) है। केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की पार्टी ने 57 फीसदी प्रत्याशी ऐसे बनाए हैं, जिनकी छवि आपराधिक है। तीसरे नंबर पर भाजपा के 48 फीसदी और चौथे नंबर पर बसपा के 38 फीसदी प्रत्याशी आपराधिक छवि वाले हैं। कांग्रेस ने 38 फीसदी और आम आदमी पार्टी ने 19 फीसदी दागियों को टिकट दिया है। 


अपना दल की परीक्षा 

अपना दल के संस्थापक स्व. सोनेलाल पटेल के कुनबा में चल रही राजनीतिक वर्चस्व के जंग की परीक्षा इसी चरण में होने जा रही है। इस चरण से यह तय होगा कि धड़ों में बंटे कुनबे में जनता किसके साथ है। इस अग्निपरीक्षा को पास करने में इस समय पूरा परिवार जिलों में भागदौड़ करने में लगा है। सोनेलाल की पत्नी अद (कमेरावादी) की अध्यक्ष कृष्णा पटेल प्रतापगढ़ सदर सीट से खुद चुनाव मैदान में हैं। दूसरी बेटी पल्लवी पटेल सपा के सिंबल से उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के खिलाफ मैदान में हैं। अपना दल (सोनेलाल) का नेतृत्व सोनेलाल की बेटी व केंद्रीय राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल कर रही हैं। मां-बेटी इस चुनाव में दो विरोधी खेमों में हैं यानी अनुप्रिया भाजपा के साथ गठबंधन में हैं तो कृष्णा पटेल सपा के साथ गठबंधन में हैं। भाजपा ने अनुप्रिया की अगुवाई वाले अद (एस) को कुल 17 सीटें दी हैं। जिनमें से सबसे अधिक सात सीटें इसी चरण की हैं। इस लिहाज से यह चरण अनुप्रिया के लिए काफी अहम है। इस चरण की मानिकपुर, विश्वनाथगंज, सोरांव (सु.), प्रतापपुर, बारा (सु.), चायल और नानपारा सीट पर अपने प्रत्याशियों को विधायक बनवाकर भाजपा के सामने खुद को साबित करने की चुनौती अनुप्रिया के सामने हैं। 


आवारा पशु बने बड़ा मुद्दा 

चौथे फेज और बाद के पांचवे फेज का सबसे बड़ा मुद्दा आवारा पशुओं का है। इस इलाके के किसानों में आवारा पशुओं की वजह से फसल को हो रहा नुकसान, ठीकठाक गुस्सा दिखा रहा है। शायद इसी वजह से प्रधानमंत्री मोदी ने 2 दिन पहले ही इस मुद्दे पर पहली बार बोला और कहा कि 10 मार्च के बाद इस समस्या का समाधान जरूर निकाला जाएगा। योगी ने कहा गायों को बुचड़खाने में कटने नहीं देंगे, करेंगे अलग प्राविधान। 


सपा-कांग्रेस के दिग्गज ठोंक रहे ताल

पांचवें चरण में केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की मां कृष्णा पटेल प्रतापगढ़ सदर और बहन पल्लवी पटेल सिराथू सीट से चुनावी मैदान में उतरी है। मां और बहन दोनों ही सपा गठबंधन से चुनाव लड़ रही हैं जबकि अनुप्रिया पटेल बीजेपी के साथ मिलकर चुनावी मैदान में है। अयोध्या सीट पर सपा के दिग्गज नेता तेजनारायण पांडेय उर्फ पवन पांडेय की किस्मत दांव पर लगी है तो रामपुर खास सीट पर कांग्रेस से आराधना मिश्रा हैं, जो प्रमोद तिवारी की बेटी हैं और दो बार से विधायक हैं। 


48 विधायक फिर से चुनावी मैदान में हैं

इस पांचवें चरण में 61 सीटों पर विभिन्न दलों के 48 मौजूदा विधायक मैदान में फिर से हैं जबकि बाकी 13 सीट पर टिकट काट दिए गए हैं। ऐसे में वो  खुद के बजाए दूसरों के लिए प्रचार में लगाए गए हैं। वहीं, कई दलबदलू नेता भी चुनावी मैदान में उतरे हैं। हंडिया से सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हाकिम लाल असल 2017 में बसपा विधायक बने थे। हाकिम सिंह ने चुनाव से पहले पाला बदल लिया। इसी तरह बसपा में रहते हुए भिन्गा से पिछली बार जीते असलम राईनी इस बार सपा में आकर श्रावस्ती से प्रत्याशी हो गए।  


तीन सीट पर दो-दो विधायक 

पांचवें चरण की तीन सीटों पर विधायक का मुकाबला विधायक से हैं। फूलपुर सीट पर बीजेपी के विधायक प्रवीण सिंह पटेल हैं तो उनके सामने बसपा से सपा में आए विधायक मुजतबा सिद्धीकी ताल ठोंक रहे हैं। वह प्रतापपुर से पिछली बार जीते थे। बहराइच सदर से भाजपा विधायक अनुपमा जायसवाल और सपा विधायक यासर शाह आमने सामने हैं। ये दोनों मंत्री भी रह चुके हैं। प्रतापगढ़ की रानीगंज सीट पर बीजेपी के धीरेंद्र ओझा विधायक हैं और वो एक बार फिर से चुनावी मैदान में उतरे हैं, जिनके सामने सपा ने आरके वर्मा को उतारा है। वर्मा 2017 में विश्वनाथगंज सीट से अपना दल (एस) के के टिकट पर जीत दर्ज की थी, लेकिन सपा का दामन थामकर रानीगंज सीट से चुनावी मैदान में कूद गए हैं। 


जातिय समीकरण 

पूर्वांचल क्षेत्र में छठे और सातवें चरण में मतदान होगा। यह पूर्वांचल के बाद सूबे का सबसे बड़ा क्षेत्र है, जहां किसान और राम मंदिर जैसे चुनावी मुद्दे के साथ-साथ जातिगत समीकरण भी अहम भूमिका निभाते हैं। बुंदेलखंड के बाद अवध पट्टी में सबसे ज्यादा ब्राह्मण मतदाता (करीब 12 फीसदी) हैं। इसके अलावा, 7 फीसदी ठाकुर और 5 फीसदी बनिया हैं। उन्नाव भगवंतनगर निर्वाचन क्षेत्र में सबसे अधिक ब्राह्मण हैं। 2017 में, भाजपा के हृदय नारायण दीक्षित ने इस सीट पर 50,000 से अधिक मतों से जीत हासिल की थी। बीजेपी ने इस बार यहां से आशुतोष शुक्ला को उतारा है। अवध में भी 43 फीसदी ओबीसी मतदाता हैं और उनमें यादव और कुर्मी 7 फीसदी, इसके बाद 5 फीसदी कुशवाहा हैं। 


राम मंदिर

अयोध्या में मंदिर का निर्माण जोरों पर है। यूपी सरकार ने शहर के लिए कई परियोजनाओं की घोषणा की है और भाजपा नेताओं को इसका लाभ मिलने की उम्मीद है। विपक्ष सपा और बसपा भी अयोध्या पर फोकस कर रही है। बतादें बसपा ने अपना ब्राह्मण सम्मेलन पिछली जुलाई में अयोध्या से ही शुरू किया था। 


दागी उम्मीदवार 

अगर बात करें दागी प्रत्याशियों की तो एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, पांचवे चरण में कुल 27 फीसदी यानी 185 प्रत्याशी आपराधिक छवि वाले हैं। इसमें भी 141 ऐसे प्रत्याशी हैं, जिन पर गंभीर आरोप हैं। सपा के 59 में से 29, अपना दल के 7 में से 2 उम्मीदवार, बीजेपी के 52 में से 22, बसपा के 61 में से 17, कांग्रेस के 61 में से 17 प्रत्याशी और आप के 52 में से 7 उम्मीदवारों ने अपने हलफनामे में अपने खिलाफ गंभीर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। 12 उम्मीदवारों ने महिलाओं के खिलाफ अपराध से जुड़े मामले घोषित किए हैं। 


उम्मीदवार करोड़पति 

उम्मीदवारों की औसतन संपत्ति 2.48 करोड़ है। भाजपा ने सबसे अधीक करोड़पतियों को टिकट दिया है। वहीं, अनुप्रिया पटेल की अपना दल ने 7 में से 6 करोड़पति प्रत्याशियों को टिकट दिया है। इस चरण में 59 फीसदी उम्मीदवार खुद को स्न्नातक बताया है। 34 फीसदी उम्मीदवार 5वीं से 12वीं तक पढ़े हुए हैं। 





-सुरेश गांधी-

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