इस अवसर पर महाविद्यालय की पूर्व छात्रा और सम्मानित इतिहासकार प्रोफ़ेसर नारायणी गुप्ता ने अपने सम्बोधन में बताया कि इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय शिक्षा के साथ-साथ हमेशा से एक सामाजिक रूप से जागरुक संस्थान रहा है। यहाँ की छात्राओं ने आज़ादी की लड़ाई से लेकर महिला आन्दोलनों तक और नवस्वतंत्र राष्ट्र के निर्माण में सदा आगे बढ़कर योगदान दिया है। दिल्ली के इतिहास की अधिकारी विद्वान प्रोफ़ेसर नारायणी गुप्ता ने इस बात के लिए कॉलेज की तारीफ़ की कि तमाम परिवर्तन और आधुनिक सुविधाओं के समावेश के बावजूद महाविद्यालय ने अपनी हैरिटेज इमारत और अन्य ऐतिहासिक धरोहरों को बहुत अच्छी तरह से सम्भालकर रखा है। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफ़ेसर बाबली मोइत्रा सराफ़ ने महाविद्यालय की पिछले एक साल की गतिविधियों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया एवं आगामी दो वर्षों में होनेवाले शताब्दी समारोह की रूपरेखा भी सामने रखी। उन्होंने कोविड की चुनौतियों के बीच भी अपनी छात्राओं और महाविद्यालय के अध्यापकों एवं कर्मचारियों को विशेष उपलब्धियाँ हासिल करने के लिए बधाई दी। इसके पहले कुलपति ने अपने वक्तव्य के बाद राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विशेष अकादमिक उपलब्धियाँ हासिल करने वाली महाविद्यालय की चुनिंदा छात्राओं को सम्मानित किया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर योगेश सिंह, महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफ़ेसर बाबली मोइत्रा सराफ़, प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री अश्विनी शंकर, महाविद्यालय की पूर्व छात्रा अतिथि एवं विख्यात इतिहासविद् प्रोफ़ेसर नारायणी गुप्ता की उपस्थिति कुलपति ने ‘इन्नोवेशन, क्रिएटिविटी, ओरिजिनैलिटी’ इन तीन शब्दों को भविष्य की शिक्षा के मॉडल का ध्येय बनाने का आह्वान किया सोमवार 7 फ़रवरी को इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय के 99वें वार्षिकोत्सव का आरंभ मुख्य अतिथि कुलपति प्रोफ़ेसर योगेश सिंह, महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफ़ेसर बाबली मोइत्रा सराफ़, प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री अश्विनी शंकर, महाविद्यालय की पूर्व छात्रा अतिथि एवं विख्यात इतिहासविद् प्रोफ़ेसर नारायणी गुप्ता की उपस्थिति में राष्ट्रगान के गायन के साथ हुआ और इसके फ़ौरन बाद भारत रत्न लता मंगेशकर की स्मृति में सभागार में दो मिनट का मौन रखकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। 99वें वार्षिक दिवस के अवसर पर महाविद्यालय के संग्रहालय और अभिलेखागार शिक्षा संसाधन केंद्र को सभी के अवलोकनार्थ लोकार्पित किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय की ओर से एक विशेष स्मृति सिक्का भी जारी किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर योगेश सिंह ने कहा कि, “अगर आप भारत में महिला साक्षरता के आँकड़ें देखें, तो अभी भी हम अन्य एशियाई मुल्कों से इस दिशा में पिछड़ रहे हैं। पिछली तमाम सरकारों ने इस दिशा में प्रयास किये हैं, लेकिन अभी हमें और मेहनत की ज़रूरत है। साक्षरता ज्ञान की पहली सीढ़ी है। हमें हमारे देश की महिलाओं के लिए उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा सुलभ बनानी है। ऐसे में इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय जैसी बीते तक़रीबन सौ सालों से स्त्रियों को उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करती आयी संस्था की भूमिका विशेष हो जाती है। भारत को अगर आगे बढ़ना है, तो हमें इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय जैसे कई और महिला शिक्षा संस्थानों की ज़रूरत है।” प्रोफ़ेसर सिंह ने ‘इन्नोवेशन, क्रिएटिविटी, ओरिजिनैलिटी’ इन तीन शब्दों को भविष्य की शिक्षा के मॉडल का ध्येय बनाने का आह्वान किया।
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