आनंद पुरी, वागधारा संस्था के तत्वावधान में जलवायु परिवर्तन कि पहचान कर सम्बधित जोखिमों की जानकारी के संकलन पर एकदिवसीय कार्यशाला पुछियावाडा गाव में संपन्न हुआ इसमे पुछियावाडा के संरपंच जीतेन्द्र खाट, वार्डपंच कालूराम खाट, अगंणवाडी कार्यकर्ता शारदा देवी, आशा कार्यकर्ता जशोदा देवी एवं ग्रामीण जनो ने भाग लिया कार्यक्रम अधिकारी विकास मेश्राम जलवायु परिवर्तन की पहचान एवं प्रभाव की जानकारी दी! रेडियो मित्र प्रभुलाल गरासिया ने जलवायु परिवर्तन में हमारी आजीविका प्रभावित हो रही है यह वागडी लोकगीत के माध्यम से लोगों अवगत करवाया सहजकर्ता कैलास निनामा भारत वास्तव में कई दशकों से जलवायु परिवर्तन के त्वरित और गंभीर परिणामों का गवाह और शिकार रहा है। हजारों गांव बाढ़ से जलमग्न हो गए हैं, जो कि केवल कुछ घंटों की अनियमित और रिकॉर्ड बारिश के कारण हुआ है। जलवायु परिवर्तन के प्रत्यक्ष और संभावित परिणामों को कम करने के लिए घरेलू स्तर पर क्या कर सकता है। अब जबकि भारत आजादी के 75 वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है, यह जीवन और आजीविका के निर्वाह को सुनिश्चित करने का एक उपयुक्त क्षण है। भारत को स्थानीय समाधानों पर मुखर होना चाहिए और सभी चुनौतियों से निपटने के लिए शासन के ढांचे को फिर से आकार देना चाहिए। शुरुआत के लिए यहां पांच विचार सुझाए जा रहे हैं- कमजोरों की पहचान : भौगोलिक और आर्थिक भूभाग-आवास और क्षेत्र, जो सबसे अधिक प्रभावित होंगे, का मानचित्रण करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान करना महत्वपूर्ण है। संकट शमन और आपदा प्रबंधन पर भारत की नीति बचाव और मुआवजे के इर्द-गिर्द घूमती है। सहजकर्ता मानसिंग निनामा ने समुह चर्चा के माध्यम से 20 वर्ष पहीले जलवायु घटको के जानकारी के साथ वर्तमान में जलवायु परिवर्तन पर अपनी बात रखी! ग्रामीण जनो ने अपने अनुभव साझा कियो ईनमे कृषी मे छोटे अनाज, पशुपालन कि कमी, वर्षा का मोसमी चक्र व वर्षा का अनियमितता,मोसम और खाद्यान्न की फसलो में परिवर्तन, भुमी का प्रकार, व अन्य विषयोको साझा किया कार्यशाला में सहजकर्ता कैलास निनामा, सुरेश पटेल, स्वराज मित्र पंकज खाट, और ग्राम विकास एवं बाल अधिकार समिति के पदाधिकारी उपस्थित थे
शनिवार, 26 फ़रवरी 2022
जलवायु परिवर्तन की पहचान एवं जोखिमों के प्रभाव पर जानकारी
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