गया, ज़िला पदाधिकारी, गया डॉ० त्यागराजन एसएम की अध्यक्षता में वंडर ऐप के सफल क्रियान्वयन के संबंध में समीक्षा बैठक की गई। जिला पदाधिकारी ने बताया कि वंडर ऐप के सही क्रियान्वयन हेतु प्रारंभिक तैयारी किया जा रहा है। प्रारंभिक बैठक भी की गई है। गर्भवती महिलाओं के लिए यह काफी लाभदायक ऐप है। दरभंगा जिले में काफी महिलाओं को वंडर एप्प के माध्यम से लाभ पहुंचाया जा चुका है। कई गर्भवती महिलाओं की जान बचाई गई है। जिला पदाधिकारी ने बताया की वंडर ऐप की देखरेख हेतु सहायक समाहर्त्ता को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है। उन्होंने बताया कि इस ऐप का शुभारंभ बोधगया प्रखंड से किया जा रहा है तथा प्राप्त फीडबैक के आधार पर अन्य प्रखंडों में भी जल्द से जल्द प्रारंभ किया जाएगा। वंडर ऐप के सही क्रियान्वयन हेतु सभी पदाधिकारियों एवं कर्मियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिलाओं की समस्याएं यथा अनीमिया, बीपी अधिक रहना, साथ ही जो अंतिम समय में रक्तस्राव से जो मृत्यु होती है, उसकी रोकथाम टेक्नोलॉजी एवं प्रशिक्षण के द्वारा इस ऐप के माध्यम से काफी हद तक कम किया जा सकता है। जिला पदाधिकारी ने बताया कि इस ऐप के माध्यम से किसी गर्भवती महिला में हीमोग्लोबिन, आयरन या अन्य तत्वों की कमी है, तो डाटा अपलोड करते ही पीएचसी के चिकित्सकों के मोबाइल में मौजूद ऐप में संकेत आने लगता है। उन्होंने बताया कि गर्भवती महिला के टेस्ट रिपोर्ट के परिणाम को इस ऐप में अपलोड किया जाता हैं। यदि कोई भी आंकड़ा नॉर्मल से कम होता है, तो तुरंत अलार्म बजता है और एक अलर्ट जारी होता है। अगर रिपोर्ट में किसी तत्व में एकदम मामूली कमी है और दवा की ज़रूरत नहीं है, लेकिन देखभाल की ज़रूरत है, तो येलो (पीला) अलर्ट आता है। सब कुछ सामान्य होने पर ग्रीन सिग्नल आता है।
जिलाधिकारी ने बताया कि अलर्ट आने पर सुविधा ये होती है कि हमें पता चल जाता है कि किन गर्भवती महिलाओं पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है और उसी हिसाब से हम लोग एएनएम, आशा व जीविका दीदियों को संबंधित गर्भवती महिलाओं का विशेष ध्यान रखने हेतु निदेशित कर सकते हैं। वंडर ऐप में रेफरल मामलों के लिए भी विशेष फीचर है, जो बहुत कारगर है। मसलन, अगर एक गर्भवती महिला को पीएचसी लाया गया है, लेकिन मामला संगीन है और उसे मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में रेफर किया जाना है, तो मोबाइल ऐप में महिला की बीमारी का ज़िक्र करते हुए रेफर का विकल्प डाल दिया जाता है। ये अलर्ट मेडिकल कॉलेज व अस्पताल के अधीक्षक व अन्य अधिकारियों के मोबाइल पर पहुंच जाता है। उन्होंने उदाहरण दिया कि यदि किसी महिला को ख़ून की ज़रूरत है, तो इसका ज़िक्र वंडर ऐप में कर दिया जाता है। अस्पताल के अधीक्षक व अन्य अधिकारियों के पास ये अलर्ट महज़ तीन सेकेंड में पहुंच जाता है कि एक महिला कुछ देर में अस्पताल आ रही है और उसे खून की आवश्यकता है, तो वे पहले से ही खून का इंतजाम कर लेंगे। ज़िले में वंडर ऐप से गर्भवती महिलाओं को ट्रैक करने और समुचित इलाज में काफी हद तक मदद मिलेगी। जिला पदाधिकारी ने सभी अधिकारियों से समन्वय एवं अपेक्षित सहयोग की अपील की है। ये ऐप निश्चित तौर पर मातृत्व मृत्यु दर कम करने में मदद करेगा। इस अवसर पर सहायक समाहर्ता, अधीक्षक, अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल अस्पताल, सिविल सर्जन, डीपीएम स्वास्थ्य, मगध मेडिकल के डायग्नोलॉजिस्ट सहित अन्य पदाधिकारी एवं चिकित्सक उपस्थित थे।
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