- प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा की गारंटी के लिए राष्ट्रीय स्तर पर तत्काल कानून बनाओ!
- माले विधायक दल नेता महबूब आलम ने मृतक परिजनों के घरों का किया दौरा.
- प्रत्येक परिवार को कम से कम 20 लाख का मुआवजा दे सरकार.
पटना 5 फरवरी, भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने महाराष्ट्र के पुणे में कटिहार जिले के बारसोई प्रखंड के 5 मजदूरों की दर्दनाक मौत को बेहद दुखद बताया है. आज उन्होंने उनके गांवों का दौरा करके परिजनों को सांत्वना दी. घायल मजदूरों के परिजनों से भी मुलाकात की. वे लगातार प्रशासन के संपर्क में हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना कोई नई नहीं है, लेकिन दिल्ली-पटना की सरकारों पर कोई फर्क नहीं पड़ता. इसके पहले भी कई बार प्रवासी मजदूरों की मौतें हुई हैं. आखिर बिहार सरकार पलायन की सच्चाई से कब तक भागती रहेगी. नीतीश कुमार कहते रहे हैं कि मजदूर शौक से अथवा पर्यटन करने बाहर जा रहे हैं. क्या पुणे की दर्दनाक घटना के बाद नीतीश कुमार की आंखें खुलेंगी? नारकीय परिस्थति में बेहद असुरक्षित और अपना पेट किसी तरह पालने के लिए बाहर जा रहे मजदूरों के बारे में नीतीश जी क्या अब भी यही कहेंगे? उन्होंने कहा कि सरकार ने मृतक परिजनों को 2 लाख मुआवजे की घोषणा की है. यह जले पर नमक छिड़कना है. हमारी मांग है कि मृतक परिजन को बिहार सरकार कम से कम 20 लाख मुआवजा दे और घायलों के इलाज की समुचित व्यवस्था करवाए. उन्होंने कहा कि पहले लाॅकडाउन के दौरान बिहार से पलायन कर बाहर गए प्रवासी मजदूरों का सच पूरे देश के सामने आया. प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा के सवाल पर राष्ट्रीय स्तर पर कानून बनाने की लंबे समय से मांग होती रही है, लेकिन 8 सालों से देश की गद्दी पर बैठी मोदी सरकार ने इस पर तनिक भी ध्यान नहीं दिया. ये सरकारें मजदूरों को अपने रहमोकरम पर मरने-खपने के लिए छोड़ चुकी हैं. यह मजदूर तबके के प्रति सरकारों की आपराधिक लापरवाही नहीं तो और क्या है? केंद्र व बिहार सरकार को इसकी जिम्मेवारी लेनी होगी. राज्य स्तर पर कानून बने हुए हैं, लेकिन अब वे निष्प्रभावी हो चुके हैं. प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा के लिए बिहार सरकार तत्काल कदम उठाए. उसने कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों के लिए राज्य के अंदर ही रोजगार उपलब्ध करवाने की बात कही थी. हम जानना चाहते हैं कि सरकार की उस घोषणा का क्या हुआ? पुणे में निर्माणाधीन माॅल के प्रबंधकों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि वे बेहद गलत तरीके से मजदूरों की जिंदगी जोखिम में डालकर माॅल निर्माण कार्य में मजदूरों को लगाए हुए थे. 10 हजार टन का स्लैब बिना किसी ठोस सपोर्ट के केवल राॅड के फ्रेम के आधार पर बनाया जा रहा था, जो बीच में ही टूट गया और जिसकी वजह से यह घटना हुई. उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि वे अपने यहां इस तरह का असुरक्षित कार्य करवाने की इजाजत कंपनियों को कैसे दे सकती है? ऐसी कंपनियों को ब्लैकलिस्टेड किया जाना चाहिए और कड़ी कार्रवाई की जाए. माले विधायक दल नेता ने घटना में मारे गए मेजर आलम व मोबिन आलम के गांवों का दौरा किया, जो उनके ही विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है. उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र के दौरान इस मसले पर सरकार को चैतरफा घेरा जाएगा.
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