वागधारा संस्था माध्यम से पिपलखुट ब्लॉक के विभिन्न गांवों में संस्थान के द्वारा 25 उन्नत महिला किसानों को संस्था के सहयोग से वाटर मोटर वितरित की गई ।जिसके लिए किसानों को पानी की दिक्कत का सामना अब नहीं करना पड़ेगा एवं फसलों को समय समय पर पानी उपलब्ध हो सकेगा। संस्था के कार्यक्रम प्रबंधक माजिद खान के द्वारा बताया गया कि क्षेत्र में समय-समय पर वाग्धारा के द्वारा विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं जिसमें सच्ची खेती को लेकर किस प्रकार से महिलाओं की भागीदारी को सुनिश्चित किया जाए । एवं उनका उन्नत किसान के तौर पर भागीदारी को सुनिश्चित किया जाए । उनको किसी भी कार्य के लिए दूसरे पर निर्भर न रहना पड़े उसके लिए संस्था प्रयासरत है । परियोजना के अंतर्गत आज 25 महिला किसानों को वाटर पम्प वितरण किया गया ।और समय-समय पर महिलाओं को और भी उन्नत खेती के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। गांव की लीला बाई के द्वारा बताया गया कि मैं विगत 5 वर्षों से खेती के कार्य में अपने पति के साथ में पूर्णतया हाथ बटाए करती हू एवं अब मैंने खेती के समस्त कार्यों को सीख लिया है। जिस तरह से सस्था के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया था उसी के अनुरूप हम यह सब कार्य किए जा रहे हैं। जिससे हमारी आमदनी में बहुत ही बड़ा बदलाव आया है ।हम लोग आत्मनिर्भर की ओर बढ़ रहे। आज हमें वाटर पम्प पर दिए गए हैं। इसका बहुत ही बड़ा हम लोगों को फायदा होगा। एवं समय-समय पर हमारे फसलों को पानी मिल सकेगा । जिससे कि पानी का अपव्यय भी रुक सकेगा । वागधारा के हेमंत आचार्य के द्वारा बताया गया कि जिस तरह से हमने इस पीपलखूंट क्षेत्र में जो सफलता पाई है वह निश्चित ही तौर पर हमारे लिए एवं क्षेत्र के किसानों के लिए एक बहुत ही बड़ी उपलब्धि है कि गांव में अधिकांश खेतों में उबड़ खाबड़ जमीन थी खेतों में पानी लाने के लिए पक्की नालियां नहीं थी इस प्रकार की अनेकों समस्याएं थी फिर भी जिस तरह जनजातीय स्वराज संगठन की महिलाओं के द्वारा आपस में मिलकर जो कार्य किया गया खेतों में समतलीकरण किया गया जिससे कि आज हमारे सामने यह समस्त परिणाम आए हैं एवं हमारे सस्था के जो प्रतिनिधि है वह इन समस्त किसानों को प्रेरित समय-समय पर करते रहते हैं। समस्या होने पर प्रशासन को भी अवगत करवाया जाता है। । वागधारा के द्वारा जो प्रयास किए गए हैं उसके अंतर्गत संस्थान के सहयोग से समस्त किसानो को उन्नत बीज उपलब्ध करवाया जाता है जिससे कि वह अच्छी तरह से फसल का उत्पादन ले सके एवं देसी खेती अपनाने के तौर पर भी संस्थान के द्वारा जोर दिया जा रहा है जिसमें संस्थान के पीएल पटेल द्वारा बताया गया कि हमारे द्वारा किसानों की कम खर्चीली खेती को किस प्रकार से किया जाए उसके लिए समस्त किसानों को प्रशिक्षित किया गया है एवं बताया गया है कि फसलों को कीड़े मकोड़ों से बचाने के लिए हमें दस पर्णी घोल का हमें उपयोग करना है। जिससे हम किडे मकोड़ों से फसलों को बर्बाद होने से बचा सकते है देसी खाद का उपयोग हमारे लिए बहुत ही आवश्यक है। जिससे हमारे भूमि की उर्वरता बनी रहेगी भूमि को बंजर होने सेभी बचा सकते है कम खर्च की खेती करनी है दुगुनी आमदनी को लेना के सिद्धांत ही हमारा उद्देश्य है। जिसमें अधिकांश महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए हैं जिसमे लक्ष्मी देवी लाभार्थी के द्वारा बताया की समय-समय पर पलायन करना पड़ता था अब नहीं करना पड़ रहा है। हम पूरे 12 मास अपनी जमीन पर खेती करते हैं हमें उतनी ही फसल का उत्पादन हो जाता है जिससे हमारे खर्चे पूरे होने लगे हैं। एवं समूह से भी जुड़े हैं जो हमारे लिए बहुत ही लाभकारी साबित हो रहा है संस्थान के धनराज कुमावत नै बताया की समय-समय पर जिस प्रकार की समस्याएं होती हैं उनको लेकर प्रशासन को अवगत करवाकर निस्तारण मै सहयोग किया जाता है। अभी जिस तरह से राज्य मे खाद की कमी हो रही थी परन्तु क्षेत्र में किसी भी किसान ने यूरिया खाद की कमी की माग नहीं दोहराई क्योंकि इन लोगों ने देसी खाद का महत्व समझा है। क्षेत्र के अधिकांश किसान अपने खेतों में अपने देसी खाद का उपयोग करते हैं आज वाटर पंप वितरण में लाभार्थी महिलाओं में बापुड़ी, सवाली, जोमा देवी तारा, गलाब, शम्बूडी, कांता रूपा इत्यादि महिलाओं को लाभान्वित किया गया है महिपाल एवं छगन सहजकर्ता के द्वारा इस कार्य में बहुत ही बड़ा योगदान रहा कि किस प्रकार से पात्र महिलाओं का चयन कर लाभान्वित किया । जिससे कि उनकी आमदनी में बहुत ही बड़ा योगदान हो सके ।समस्त महिलाओ नै के के एस परियोजना एवं संस्था के प्रयासों को सहारा गया एवं आभार व्यक्त किया । यह जानकारी बांसवाड़ा चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 वागधारा के कमलेश बुनकर ने दी।
रविवार, 6 मार्च 2022
महिला किसान बढा रही है सच्ची खेती में आत्मनिर्भरता की ओर कदम
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