- नया वास-आवास कानून की मांग पर पटना में हजारों दलित-गरीबों का प्रदर्शन
- महिलाओं की उल्लेखनीय भागीदारी, कहा - जो जमीन सरकारी है, वह जमीन हमारी है
- खेग्रामस व मनरेगा मजदूर सभा के आह्वान पर हुआ विधानसभा के समक्ष आक्रोशपूर्ण प्रदर्शन
पटना, 14 मार्च, गरीबों को बुलडोज करने की धमकी देने वाली सरकार को बुलडोज कर दें, जो जमीन सरकारी है-वह जमीन हमारी है, नया वास-आवास कानून बनाना होगा, मनरेगा में 200 दिन काम व कार्यस्थल पर भुगतान की गारंटी करो, बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए गरीबों को उजाड़ने पर रोक लगाओ, भूमि सुधार आयोग की रिपोर्ट लागू करो, दलित-गरीबों को 200 यूनिट फ्री बिजली दो, गरीबों के बच्चों को स्मार्ट फोन दो, न्यूनतम 3000 रु. वृद्धावस्था पेंशन दो, जनवितरण प्रणाली को नियमित करो आदि मांगों के साथ आज राजधानी पटना में खेग्रामस व मनरेगा मजदूर सभा के संयुक्त बैनर से हजारों की तादाद में दलित-गरीबों ने विधानसभा पर धावा बोला. गेट पब्लिक लाइब्रेरी से हाथों में उपर्युक्त मांगों की तख्तियां व लाल झंडा लिए गरीबों की दावेदारी को मजबूती प्रदान करते हुए मार्च निकाला गया और फिर गर्दनीबाग धरना स्थल पर एक विशाल जनसभा का आयोजन किया. इसका नेतृत्व पूर्व सांसद व खेग्रामस के सम्मानित राष्ट्रीय अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद, खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा, खेग्रामस के बिहार राज्य के मानद अध्यक्ष व विधायक सत्येदव राम, खेग्रामस के राज्य अध्यक्ष व विधायक बीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, राज्य सचिव व विधायक गोपाल रविदास, कार्यकारी अध्यक्ष उपेन्द्र पासवान और कार्यकारी सचिव शत्रुघ्न सहनी आदि कर रहे थे. सभा में माले विधायक महानंद सिंह, अमरजीत कुशवाहा, अजीत कुशवाहा, सुदामा प्रसाद, रामबलि सिंह यादव आदि विधायक और पूर्व विधायक चंद्रदीप सिंह भी शामिल हुए. इन नेताओं के अलावा अकलू पासवान, शिवनाथ राम, जंगी यादव, शनीचरी देवी, आशा देवी, शीला देवी, ऐक्टू नेता आर एन ठाकुर, ऐपवा नेता शशि यादव, पंकज सिंह, दिलीप सिंह आदि भी प्रदर्शन में शामिल हुए.
सभा को संबोधित करते हुए नेताओं ने कहा कि जो सरकार दलितों-गरीबों को बुलडोज करने की धमकी दे रही है, उस सरकार को बुलडोज करने के लिए दलितों-गरीबों का यह सैलाब आज पटना पहुंचा है. हम दलित-गरीबों के वास-आवास के मसले पर नीतीश कुमार के विश्वासघात को अच्छी तरह से जानते हैं. इस सरकार ने सामंतों के दबाव में भूमि सुधार आयोग की रिपोर्ट को रद्दी की टोकरी में फेंकने का काम किया. और आज उलटे बरसो-बरस से बसे गरीबों को उजाड़ने के अभियान में लग गई है. कहा कि जो लोग जहां बसे हैं, उन्हें सरकार बासगीत पर्चा दे. भूमिहीनों-गृहविहीनों का समग्र सर्वे के आधार पर नया वास-आवास कानून बनाए और किसी भी स्थिति में बिना वैकल्पिक आवास के गरीबों को उजाड़ने पर रोक लगाई जाए. बिहार में मनरेगा मजदूरी मार्केट दर से काफी कम गैर कानूनी है. सरकार को मजदूरी बढ़ाने के साथ-साथ 200 दिन काम और कार्यस्थल पर भुगतान की गारंटी करनी चाहिए. यदि किसी भी गरीब को बिना वैकल्पिक व्यवस्था के हटाया गया, तो इससे भी जोरदार आंदोलन पूरे बिहार में छेड़ दिया जाएगा. आगे कहा कि दलित-गरीबों को 200 यूनिट फ्री बिजली देने को लेकर अभियान चलाया जाएगा. प्रदर्शन से जनवितरण की दुकानों में चावल-गेहूं के अतिरिक्त दाल,तेल और मसाले अन्य राज्यों की भांति देने की मांग उठायी गई. 60 साल और उससे ऊपर के सभी महिला-पुरुषों को 3000 रुपये पेंशन देने की भी मांग उठाई गई. नेताओं ने कहा कि हाल ही में नीति आयोग की रिपोर्ट आयी है, जिसमें बिहार सबसे गरीब राज्य के बतौर सामने आया है. भूमिहीनता, आवासहीनता, रोजगार और शिक्षा-रोजगार के मामले में राज्य फिसड्डी है. मनरेगा लूट की योजना बन गयी है और लगभग सभी योजनाओं में भ्रष्टाचार चरम पर है. बिहार के लिए इससे त्रासदपूर्ण स्थिति क्या हो सकती है कि महज 5 हजार मजदूरों को ही मनरेगा में 100 दिन काम मिले हैं, जिसमें भी अधिकांशतः फेक जॉब कार्ड धारी हैं. प्रवासी मजदूरों के लिए सरकार के पास कोई संवदेनशील एजेंडा नहीं है. विकास के नक्शे में दलित, गरीब और मजदूर कहीं नही हैं।.इसलिए दलित-गरीब-मजदूरों की एकता बनाकर बड़े संघर्ष को तेज करना समय की जरूरत है.
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