पटना 30 मार्च, भाकपा-माले के राज्य सचिव कुणाल ने आज विधानसभा में पेश शराबबंदी संशोधन विधेयक पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि राज्य सरकार जहरीली शराब के तंत्र को विकसित करने वाले राजनेता-प्रशासन-शराब माफिया गठजोड़ पर नियंत्रण स्थापित करने के प्रति तनिक भी गंभीर नहीं है. इसकी बजाए वह अब भी शराब की बुरी लत से ग्रस्त आम लोगों को ही निशाना बना रही है. हमने बारबार कहा है कि बिहार में जहरीली व अवैध शराब का कारोबार राजनेता-प्रशासन-शराब माफिया गठजोड़ के तहत ही फल-फूल रहा है. अतः इसकी जांच होनी चाहिए और इस गठजोड़ पर कार्रवाई होनी चाहिए. लेकिन आज जो शराबबंदी संशोधन विधेयक पेश हुआ, उसने बिहार की जनता को निराश किया है. इसमें केवल पहली बार शराब पीने पर पकड़े जाने पर जमानत दे देने की बात आई है. इतना भर से बिहार में जहरीली व अवैध शराब का कारोबार नहीं रूकने वाला है. शराब कीे लत के शिकार लोगों के लिए सरकार को नशा मुक्ति केंद्रों की व्यवस्था करनी चाहिए, लेकिन वह उन्हें अपराधी बना दे रही है. हमारी मांग है कि सरकार राजनेता-प्रशासन-शराब माफियाओं के खिलाफ कड़े कानून लाए और इस तंत्र के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे. आगे कहा कि बिना 80 प्रतिशत जनता की सहमति के मनमाने ढंग से जमीन अधिग्रहण का जो कानून बना था, उसे किसानों के भारी विरोध के कारण केंद्र सरकार को वापस लेना पड़ा था. लेकिन बिहार की सरकार ने नगर निकाय के क्षेत्रों में सड़क बनाने का बहाना बनाकर उसे पारित करा लिया है. अब इस कानून के तहत सरकार कोई भी जमीन हड़प सकती है. इसकी सबसे अधिक मार शहरी गरीबों पर ही पड़ेगी जिनके लिए विगत 16 वर्षों में सरकार एक आवास तक नहीं बना सकी है. हम इस जनविरोधी कदम की कड़ी निंदा करते हुए इसे वापस करने की मांग करते हैं.
- 80 प्रतिशत जनता की सहमति के बिना जमीन अधिग्रहण का कानून जन विरोधी कदम.
बुधवार, 30 मार्च 2022
बिहार : राजनेता-प्रशासन-शराब माफिया गठजोड़ के खिलाफ कानून बनाए सरकार
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