- माले विधायक व समिति के सभापति सुदामा प्रसाद के नेतृत्व में पेश हुआ प्रतिवेदन.
- देश का संभवतः पहला घोषित प्रतिवेदन बिहार विधानसभा में पेश हुआ.
पटना 13 मार्च, भाकपा-माले के विधायक व बिहार विधानसभा पुस्तकालय समिति के सभापति सुदामा प्रसाद के नेतृत्व में विधानसभा के सौ वर्षों के इतिहास में पहली बार प्रतिवेदन पेश किया गया. सुदामा प्रसाद ने कहा कि यह संभवतः देश में भी पहला प्रतिवेदन है. विदित हो कि इस बार के विधानसभा में पुस्तकालय समिति भाकपा-माले के कोटे में आई है, जिसमें काॅ. सुदामा प्रसाद को सभापति बनाया गया है. पालीगंज विधायक संदीप सौरभ भी इसके एक सदस्य हैं. सुदामा प्रसाद ने कहा कि बिहार में कार्यरत 540 में से 51 सार्वजनिक क्षेत्र के पुस्तकालयों को लेकर यह प्रतिवेदन है, जिसमें पुस्तकों व आधारभूत संरचनाओं की गहरी जांच-पड़ताल की गई है. पुस्तकालय समिति ने राज्य के 6 जिलों में - कैमूर, अरवल, शिवहर, बांका, शेखपुरा व किशनगंज में एक भी पुस्तकालय नहीं पाया. बाकी 32 जिलों में जो पुस्तकालय हैं, उनमें 51 की सूची विधानसभा की समिति को प्राप्त हुआ. इन 51 पुस्तकालयों में समिति ने पाया कि अधिकांश पुस्तकालयों की स्थिति बेहद खराब है. आधारभूत संरचनाएं ध्वस्त हैं. पुस्तकों का अभाव है. कुर्सी-टेबल, फर्नीचर, पढ़ने की जगह आदि का घोर अभाव है. लाइब्रेरियन की भारी किल्लत है. शौचालय आदि सुविधायें नदारद हैं. इसको लेकर समिति ने पुस्तकालयों की स्थिति में सुधार लाने के लिए अपनी अनुशंसाएं विधानसभा के पटल पर रखी. आगे कहा कि शिक्षा के माहौल के निर्माण में पुस्तकालयों की बड़ी भूमिका होती है. इसलिए सरकार को चाहिए कि वह इस पर त्वरित कार्रवाई करे ताकि शिक्षा की लगातार गिरती व्यवस्था व क्षरण पर रोक लगाई जा सके. कहा कि गरीब तबके से आने वाली छात्र-छात्राओं की विशेष सुविधा के लिए कई अनुशंसाएं की गई हैं. जिन बच्चों के पास टूटा-फूटा घर है, जो अपने घर में सीमित संसाधन के कारण पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं, उन्हें कम से कम पढ़ने के लिए एक जगह उपलब्ध करवाई जा सके और उनके लिए कंप्यूटर, इंटरनेट आदि की व्यवस्था की जाए. इन पुस्तकालयों के लिए विधायक निधि कोष से भी धनराशि की व्यवस्था की जाए. समिति ने सुझाव दिया है कि पुस्तकालयों के संबंध में राज्य के पास एक रोडमैप होना चाहिए ताकि पुस्तकालय की संस्कृति को बढ़ावा मिल सके. पुस्तकालय संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक पंचायत में भी राज्य द्वारा वित्त पोषित पुस्तकालय का सृजन करने, हर पंचायत भवन में दो कमरा आवंटित करने, पुस्तकालयों से संबंधित संरचनाओं की व्यवस्था करने आदि की अनुशंसा की है. सुदामा प्रसाद ने कहा कि आज की तारखी में राज्य में विख्यात पुस्तकालय नहीं है. इसके लिए राजधानी पटना में गेट पब्लिक लाइइब्रेरी को माॅडल बनाया जाए. उसके पास इतनी जमीन उपलब्ध है कि वहां के एक बड़े व अखिल भारतीय सतर का पुस्तकालय का सृजन किया जा सकता है. राजकीय प्रख्यात के पुस्तकालयों के सफल संचालन व विकास हेतु जो प्रबंध कार्यकारिणी का गठन हो, उसमें जनप्रतिनिधियों का भी समावेश हो. प्रमंडलीय स्तर की कार्यकारिणी में प्रमंडल के वरिष्ठतम बिहार विधानसभा के सदस्य की अध्यक्षता में प्रमंडलीय समिति का गठन किया जाए. अब तक इनकी कोई भूमिका नहीं रही है. जिला स्तरीय प्रबंध कार्यकारिणी में संबंधित जिला के जिला मुख्यालय के विधानसभा सदस्य समिति के पदेन अध्यक्ष हों तथा अनुमंडलीय स्तर के प्रबंध समिति में अनुमंडल मुख्यालय के विधान सभा सदस्य समिति के पदेन अध्यक्ष रहें.
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