* विजय सिंह *
बहुत पुरानी कहानी है। बचपन से हमने सुनी है। किसी गांव में एक बुजुर्ग किसान अपने तीन बेटों के साथ रहते थे। तीनों बेटे काफी मेहनती थे पर आपस में तीनों की नहीं बनती थी , मेहनतकश होने के बावजूद उन तीनों में आपसी वैमनष्य बना रहता था। तीनों बेटों की आपसी लड़ाई की वजह से गांव में अक्सर उनका उपहास भी उड़ाया जाता था। किसान पिता अपने तीनों बेटों की इस हरकत से काफी दुखी रहते थे और आपसी सद्भाव ,एकता के लिए समझाया भी करते थे परन्तु तीनों बेटों की राह ही अलग थी ,एकता की बात उनके पल्ले ही नहीं पड़ती थी। कुछ समय पश्चात् किसान बीमार पड़ गया लेकिन उन्हें बेटों की चिंता अधिक सताने लगी। किसान पिता के मन में एक विचार आया और उसने अपने तीनों बेटों को समझाने की एक योजना बनाई। पिता ने तीनों बेटों को अपने पास बुलाया और उन्हें लकड़ी का एक मोटा बंडल (गठरी ) देते हुए तोड़ने के लिए कहा। तीनों बेटों ने प्रयास किया पर वे लकड़ी के गठरी को नहीं तोड़ पाए। फिर किसान ने लकड़ियों को गठरी से खोल कर अलग अलग कर दिया और एकल लकड़ी देते हुए बेटों से उन्हें तोड़ने को कहा। तीनों ने एकल लकड़ी को आसानी से तोड़ दिया। किसान ने उन्हें समझाते हुए कहा कि देखो जब तक लकड़ियां गठरी में बंध कर एक जुट थीं ,तुम उन्हें नहीं तोड़ पाए ,अकेली लकड़ी को तुम तीनों ने सुगमता से तोड़ दिया। इसी तरह तुम तीनों अलग अलग रहोगे ,आपसी झगड़ा झंझट करोगे तो कोई भी तुम्हें आसानी से हरा देगा ,परन्तु मिल जल कर एकता से रहोगे तो कोई तुम्हारा बाल भी बांका नहीं कर सकता। किसान के तीनों बेटों को एकता का महत्व समझ में आ गया और उन्होंने अपने पिता से हमेशा सद्भाव के साथ मिल जुल कर रहने का वादा किया। किसान के बेटों को तो यह बात समझ में आ गई परन्तु पंजाब कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ( अब कांग्रेस से अलग ) ,पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी एकता की ताकत को नहीं समझ पाए और उनकी इसी आपसी मनमुटाव व दुराव का फायदा अपेक्षाकृत अल्प अनुभवी आम आदमी पार्टी ने उठाया और सीमित साधन के बावजूद पंजाब में कांग्रेस को उखाड़ फेंक कर राज्य की सत्ता पर काबिज होने में पूर्णतः सफल रहे। बधाई आम आदमी पार्टी को इस शानदार सफलता के लिए और अफ़सोस पंजाब कांग्रेस के दिग्गजों पर अभिन्नता, सहमति के महत्व को नहीं समझने के लिए।
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