सत्य अटल और शाश्वत है। उसे मिटाया नहीं जा सकता है। मुण्डक उपनिषद भी कहता है: ‘सत्यमेव जयते’ अर्थात सत्य की ही विजय होती है। हाल ही में प्रदर्शित ‘कश्मीर फाइल्स’ ने यह सिद्ध कर दिया कि सच को छिपाया तो जा सकता है मगर दबाया नहीं जा सकता।कश्मीरी पंडितों पर हुए अत्याचार को यह फ़िल्म सिलसिलेवार तरीके से रूपायित करती है। जो काम पण्डितों की जलावतनी पर अब तक लिखी बीसियों पुस्तकें, कविताएँ,लेख-भाषण आदि या फिर संवाद-सेमीनार नहीं कर सके,वह काम दो सवा दो घण्टे की इस फ़िल्म ने कर दिखाया। सरकारें आईं और चली गईं मगर किसी भी सरकार ने निर्वासित कश्मीरी पंडितों को वापस घाटी में बसाने की मन से कोशिश नहीं की।आश्वासन अथवा कार्ययोजनाएं जरूर घोषित की गईं। और तो और सरकारें जांच-आयोग तक गठित नहीं कर पाईं ताकि यह बात सामने आसके कि इस देशप्रेमी समुदाय पर जो अनाचार हुए,जो नृशंस हत्याएं हुईं या फिर जो जघन्य अपराध पंडितों पर किए गये, उनके जिम्मेदार कौन थे या हैं? ‘द कश्मीर फाइलस' के प्रदर्शन से अब यह आशा जगने लगी है कि सरकार शीघ्र एक जांच-आयोग बिठायेगी ताकि मानवता को तारतार करने वाले दोषियों पर दंड का शिकंजा कसने में अब ज्यादा देर न लगे।विपक्ष भी अब इस तरह के जांच-आयोग को गठित करने की बात करने लगा है।कहना न होगा कि किसी भी सभ्य समाज में सत्य की रक्षा के लिए दोषियों को दंडित करना परमावश्यक है। अगर समाज में सत्य की हानि होती है और पापाचार पर अंकुश नहीं लगता तो लोगों में भ्रष्टाचार, षड्यंत्र और अन्य तरह की बुराइयों अथवा अवगुणों का वर्चस्व स्थापित हो जाएगा जिससे सामान्य जनता का जीवन दुखों से भर जायगा और न्याय अथवा सत्य से उसका विश्वास उठ जाएगा।
मंगलवार, 22 मार्च 2022
विचार : सत्य अटल और शाश्वत है।
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