मधुबनी (रजनीश के झा) मधुबनी विधान परिषद चुनाव परिणाम भाजपा के नीतीश विरोधी होने की बात को पुख्ता करता है। एनडीए से टिकट जदयू को मिलता है जबकि भाजपा का जमीनी समर्थन और समर्पण सुमन कुमार महासेठ को। बात इतनी तक नहीं होती अपितु राष्ट्रवादी झंडे के साथ मोदी चेहरा लेकर सुमन महासेठ मतदाता को गुमराह कर चुनाव मैदान ने होते हैं और राजग के विधायक मंत्री जदयू के प्रत्याशी के साथ बैठ कर उन्हे लॉलीपॉप देकर गुमराह करते हैं। राजग के अधिकृत प्रत्याशी के बावजूद सुमन जी मोदी चेहरा का इस्तेमाल करते हैं और भाजपा इस पर मौन सहमति देती है।
महत्वपूर्ण है कि पहले लोकसभा फिर विधानसभा चुनाव में नाव पर बिठा कर सुमन महासेठ के बहाने भाजपा ने एक तीर से कई निशाने साधने की असफल कोशिश की है और इसका मोहरा सुमन महासेठ को बनाया गया है, जमीनी भाजपा नेता जो सुमन जी के लिए खुल कर एनडीए से बगावती थे सवालों पर जवाब होता था कि सुमन जी वीआईपी के कार्यकर्ता हैं लेकिन फिर वीआईपी ने उन्हें अपना प्रत्याशी क्यों नहीं बनाया जबकि शीर्ष राज्य स्तरीय नेताओं की माने तो वीआईपी में होते हुए भी सुमन जी राज्य और जिला भाजपा सम्मेलनों का हिस्सा होते रहे हैं तो क्या मुकेश सहनी को ठिकाने लगाने के लिए जिस प्रत्याशी को वीआईपी में घुसेड़ा गया उसी प्रत्याशी से मधुबनी में नीतीश से बदला लिया गया।
सनद रहे अगर सुमन कुमार महासेठ वीआईपी के अधिकृत प्रत्याशी होते तो चौथे नंबर का प्रत्याशी होते, राजग मुख्य मुकाबला में होता और संभव था परिणाम भी बदल जाता। बदलते राजनीतिक परिवेश में भाजपा ने जमीनी कार्यकर्ता को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि नीतीश बाबू को अब रेत के महल पर खड़ा करना है जो कभी भी भड़भरा सकता है कार्यकर्ता उन्हीं के साथ हों जिनका गुप्त संदेश भेजा जाय। लब्बो लुबाब कि शीघ्र जदयू को भाजपा हाशिए पर ठेलने वाली है।
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