रांची. नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज रद्द हो.जान देंगे जमीन नहीं देंगे.जल,जंगल और जमीन, वह हो जनता के अधीन.इसी तरह का नारा लगाते ग्रामीण 21 अप्रैल को टूटवापानी से पदयात्रा शुरू कर दी है.इस समय की चिलचिलाती धूप में टुटूवापानी से बनारी, विशुनपुर, आदर, घाघरा, टोटाम्बी, गुमला, सिसई, भरनो, बेड़ो, गुटुवा तालाब, कटहलमोड़, पिस्का मोड़, रातू रोड होते 25 अप्रैल को रांची (राजभवन) पहुंचेगी.इस बीच पदयात्री 22 अप्रैल को पृथ्वी दिवस भी मनाया.झारखंड के राज्यपाल से मिलने करीब दो सौ किमी पदयात्रा कर सैकड़ों आदिवासी लातेहार के नेतरहाट टुटुआपानी आंदोलन स्थल से आएंगे. नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज रद्द करने की मांग को लेकर केंद्रीय जनसंघर्ष समिति के बैनर तले 200 से भी अधिक गांवों के लोग दो सौ किमी पदयात्रा कर रहे हैं. वे झारखंड की राजधानी रांची पहुंच राजभवन के सामने धरना देंगे. करीब 30 सालों से अनिश्चितता में जीते लोग गांवों से निकल पड़े हैं.जान देंगे, जमीन नहीं देंगे. जल, जंगल, जमीन हमारा है. इस नारे के साथ गुरुवार को झारखंड के लातेहार जिले के नेतरहाट के सत्याग्रह स्थल टुटूवापानी से नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज को रद्द कराने की मांग को लेकर केंद्रीय जनसंघर्ष समिति लातेहार, गुमला के बैनर तले राजभवन के लिए पदयात्रा शुरू हुई. इस पदयात्रा को केंद्रीय जनसंघर्ष के सबसे बुजुर्ग साथी 95 वर्षीय एमान्वेल एवं मगदली कुजूर, दोमिनिका मिंज, मो खाजोमुदीन खान, बलराम प्रसाद साहू, एवं रमेश प्रसाद जायसवाल ने आंदोलनकारियों को माला पहनाकर एवं झंडा दिखाकर रवाना किया. इस पदयात्रा में जेरोम जेराल्ड कुजूर व फिल्म निर्देशक श्रीराम डाल्टन भी शामिल हैं. ये पदयात्रा 25 अप्रैल को रांची पहुंचेगी. यहां आंदोलनकारी राजभवन के समक्ष धरना देंगे और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपेंगे.
ये पदयात्रा नेतरहाट की वादियों से निकल कर चिलचिलाती धूप में टुटूवापानी से बनारी, विशुनपुर, आदर, घाघरा, टोटाम्बी, गुमला, सिसई, भरनो, बेड़ो, गुटुवा तालाब, कटहलमोड़, पिस्का मोड़, रातू रोड होते 25 अप्रैल को रांची (राजभवन) पहुंचेगी. यात्रा में प्रभावित क्षेत्र के 200 से अधिक आंदोलनकारी महिला एवं पुरुष के साथ युवा भी शामिल हुए. ये 25 अप्रैल को राजभवन के समक्ष धरना देंगे और राज्यपाल को नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज रद्द कराने को लेकर ज्ञापन सौंपा जाएगा. इस पदयात्रा में शामिल होने के लिए बुधवार शाम से ही सत्याग्रह स्थल टुटूवापानी में प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीण जुटने लगे थे. सत्याग्रह स्थल पर पहुंचे सैकड़ों ग्रामीणों ने रात्रि विश्राम किया, जहां जन संघर्ष समिति के द्वारा भोजन की व्यवस्था की गयी. इस पदयात्रा में फिल्म निर्देशक श्रीराम डाल्टन भी शामिल हुए. आपको बता दें कि इस आंदोलन की पृष्ठभूमि पर एक फिल्म का ताना बाना बुना गया. पटकथा लिखी गयी और फिल्म थंडर स्प्रिंग बनाई गयी है. निर्देशक श्रीराम डाल्टन ने कहा कि मौका मिले तो फिल्म जरूर देखें. इसमें दिखाया गया है कि कैसे लोग जान देने को तैयार हैं, लेकिन अपनी जमीन किसी सूरत में देने को तैयार नहीं हैं. बताते चले कि पायलट प्रोजेक्ट नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज से होने वाले 245 गांव के विस्थापन के खिलाफ चला आंदोलन 22-23 मार्च 2014 को सत्याग्रह दिवस मनाते हुए अपने आंदोलन का 21वाँ वर्ष पूरा करेगा. जतरा टाना भगत के दिखाए रास्ते पर अमल करते हुए झारखंड में झारखंडी प्रतिरोध की संस्कृति में आगे बढ़ते जन सत्याग्रह के माध्यम से झारखंड ही नहीं , देश एवं वैश्विक स्तर पर विस्थापन विरोधी आंदोलनों को नई दिशा देने का काम इस आंदोलन ने किया है. आज की तारीख में यह आंदोलन सफल आंदोलनों की श्रेणी में शामिल है.परन्तु आंदोलनकारी आज भी संघर्षरत हैं और अपनी लड़ाई के लिए कमर कस कर किसी भी कीमत पर पायलट प्रोजेक्ट को नहीं बनने देना चाहते हैं और नही उस क्षेत्र में होने वाले चांदमारी एवं गोलाबारी अभ्यास को भी नहीं होने देना चाहते.स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है कि संभावित विस्थापित क्षेत्र के लोग अब किसी भी कीमत पर सेना की चहलकदमी स्वीकार करने को तैयार नहीं। इसके पीछे इनका तर्क साफ है कि 1956 से 1993 तक 37वर्षों में सेना द्वारा गोलाबारी अभ्यास के दौरान सेना के जवानों द्वारा अमानवीय,शर्मनाक एवं दर्दनाक व्यवहार जिसका सर्वेक्षण केंद्रीय जन संघर्ष समिति जिसने पूरे आदोलन का नेतृत्व किया, करा लिया था जो चौंकाने वाले हैं.
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