जयनगर/मधुबनी, जिले के जयनगर में माँ अन्नपूर्णा सेवा समिति के तत्वाधान में अन्नपूर्णा महिला मंच के द्वारा जयनगर शहर के पटना गद्दी रोड इस्तिथ राउत निवास के सामने माँ अन्नपूर्णा कम्युनिटी किचन परिसर में आज चैती छठ के पावन अवसर पर छठ पर्व करने वाली गरीब जरूरतमंद महिलाओं को साड़ी व छठ पूजन सामग्री वितरण समारोह का आयोजन किया गया। माँ अन्नपूर्णा महिला मंच की ओर से 51 गरीब महिलाओं को साड़ी के अलावा नारियल, सुपली, चावल, गुड़, अगरबत्ती, सलाई व प्रसाद सामग्री का वितरण किया गया। छठ पर्व के मौके पर पहले दिन अस्तांचल सूर्य व दूसरे दिन उगते हुए सूर्य को नई साड़ी पहनकर अर्घ्य देने की परंपरा है। लेकिन गरीब परिवार के लोग इन सामानों की खरीदारी के लिए परेशान रहते हैं। इस बाबत संस्था के मुख्य संयोजक अमित कुमार राउत ने कहा कि पिछले तीन वर्षों से वह छठ पूजा को लेकर गरीब महिलाओं में साड़ी व अन्य सामग्री का वितरण कर रहे हैं। इस मौके पर माँ अन्नपूर्णा महिला मंच की अध्यक्षा मुस्कान शर्मा ने कहा कि लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा का सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष इसकी सादगी और पवित्रता है। भक्ति और आध्यात्म से परिपूर्ण इस पर्व में बांस निर्मित सूप, टोकरी, मिट्टी के बर्त्तनों, गन्ने का रस, गुड़, चावल और गेंहूं से निर्मित प्रसाद और कर्णप्रिय मधुर लोकगीतों से युक्त होकर लोक जीवन की भरपूर मिठास बांटने वाला व्रत है। उन्होंने कहा शास्त्रों से अलग यह जन सामान्य द्वारा अपने रीति-रिवाजों के रंगों में गढ़ी गयी उपासना पद्धति है। इस कार्यक्रम में माँ अन्नपूर्णा महिला मच की रूपम कुमारी, सबिता देवी, प्रियंका महतो, अनिता गुप्ता, कामिनी साह, रेखा मांझी, गीता देवी, रूबी साह, इंदु कर्ण मौजूद रही। वहीं, माँ अन्नपूर्णा सेवा समिति के संरक्षक प्रवीर महासेठ, सुरेन्द्र महतो, बब्लू पंजियार, राजेश गुप्ता, संजय महतो, रंजीत गुप्ता, दिनेश पूर्वे, रोहन रंजन सिंह एवं सचिन सिंह, लक्ष्मण यादव, नीतीश सिंह, रामजी गुप्ता, हर्ष कुमार, संतोष शर्मा, पप्पू पूर्वे, गौरव जोशी, सुमित कुमार राउत, अंकित कुमार मौजूद रहे। विदित हो कि सूर्योपासना का यह अनुपम लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। कहा जाता है यह पर्व बिहारीयों का सबसे बड़ा पर्व है, ये उनकी संस्कृति है। छठ पर्व बिहार मे बड़े धुम धाम से मनाया जाता है। ये एक मात्र ही बिहार या पूरे भारत का ऐसा पर्व है, जो वैदिक काल से चला आ रहा है और ये बिहार कि संस्कृति बन चुका हैं। यहा पर्व बिहार कि वैदिक आर्य संस्कृति कि एक छोटी सी झलक दिखाता हैं। ये पर्व मुख्यः रुप से ॠषियो द्वारा लिखी गई ऋग्वेद मे सूर्य पूजन, उषा पूजन और आर्य परंपरा के अनुसार बिहार मे यहा पर्व मनाया जाता हैं।
बिहार मे हिन्दुओं द्वारा मनाये जाने वाले इस पर्व को इस्लाम सहित अन्य धर्मावलम्बी भी मनाते देखे जाते हैं। धीरे-धीरे यह त्योहार प्रवासी भारतीयों के साथ-साथ विश्वभर में प्रचलित हो गया है। छठ पूजा सूर्य, उषा, प्रकृति,जल, वायु और उनकी बहन छठी मइया को समर्पित है, ताकि उन्हें पृथ्वी पर जीवन की देवतायों को बहाल करने के लिए धन्यवाद और कुछ शुभकामनाएं देने का अनुरोध किया जाए। छठ में कोई मूर्तिपूजा शामिल नहीं है। त्यौहार के अनुष्ठान कठोर हैं और चार दिनों की अवधि में मनाए जाते हैं। इनमें पवित्र स्नान, उपवास और पीने के पानी (वृत्ता) से दूर रहना, लंबे समय तक पानी में खड़ा होना, और प्रसाद (प्रार्थना प्रसाद) और अर्घ्य देना शामिल है। परवातिन नामक मुख्य उपासक (संस्कृत पार्व से, जिसका मतलब 'अवसर' या 'त्यौहार') आमतौर पर महिलाएं होती हैं। हालांकि, बड़ी संख्या में पुरुष इस उत्सव का भी पालन करते हैं क्योंकि छठ लिंग-विशिष्ट त्यौहार नहीं है। छठ महापर्व के व्रत को स्त्री-पुरुष-बुढ़े-जवान सभी लोग करते हैं। कुछ भक्त नदी के किनारों के लिए सिर के रूप में एक प्रोस्टेशन मार्च भी करते हैं। पर्यावरणविदों का दावा है कि छठ सबसे पर्यावरण-अनुकूल हिंदू त्यौहार है। यह त्यौहार नेपाली और भारतीय लोगों द्वारा अपने मुख्य रूप से मनाया जाता है। बता दें कि इसी संस्था के एक विंग माँ अन्नपूर्णा कम्युनिटी किचन पिछले 630दिनों से गरीबों को रोज ही जयनगर रेलवे स्टेशन परिसर में लंगर लगा कर भरपेट खाना खिला रही है। इसका लाभ जरूरतमंद, गरीब, विकलांग, अहसहाय लोगों को संस्था खाना खिला कर देती आ रही है। मौके पर जानकारी देते हुए संस्था के संस्थापक सदस्य भाई समाजसेवी अमित कुमार राउत ने बताया कि हमारी संस्था हमेशा ही जरुरतमंद लोगों की मदद के लिए हर समय तत्पर रहती है। उन्होंने कहा कि हमारी यह संस्था गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को समय-समय पर शिविर लगाकर सहयोग करती है। ठंड के समय करीब 1000कंबल एवं शाल एवं अन्य अनगिनत गर्म कपड़े भी जरूरतमंद लोगों को चिन्हित करके पिछले वर्ष भी हमारे संस्था के द्वारा दिया गया था। संस्था के एक वर्ष पूरा होने पर भी हमलोगों ने निःशुल्क मेडिकल कैम्प लगवाया था, जिसमें 300 के करीब लोगों को निःशुल्क चिकित्सीय परामर्श के साथ निःशुल्क जांच एवं दवा तक निःशुल्क दिया गया था। बता दें कि समय-समय पर माँ अन्नपूर्णा सेवा समिति ऐसे सामाजिक कार्य करती रहती है।
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