दरभंगा (रजनीश के झा) पूरे देश में हाल ही में हुए लोकसभा एवं विधानसभा के उपचुनाव के परिणाम विभिन्न दलों के आलाकमान की आँखों को खोलने के लिए काफी है। एन डी ए गठबंधन के नेताओं को चुनाव परिणाम का विश्लेषण कर आत्म चिंतन करना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी जिस कांग्रेस मुक्त भारत की बात करती थी आज उसी कांग्रेस ने अपने कमजोर नेतृत्व के बल पर ही सही, कई लोकसभा एवं विधानसभा की सीटों पर विजय हासिल कर दिखला दिया है कि यह देश किसी की निजी संपत्ति नहीं है। समय काल एवं परिस्थिति से यहां समीकरण बनते और बिगड़ते हैं। बिहार के बोचहा में भी उपचुनाव हुए। पिछले चुनाव में इस सीट से वी आई पी के उम्मीदवार चुनाव जीते थे और इस बार भी बी आई पी सुप्रीमो मुकेश साहनी यह सीट चाहते थे। इससे पहले उन्होंने स्वयं गठबंधन धर्म का त्याग कर यूपी से भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ अपना उम्मीदवार खड़ा कर अपने लिए गहरा गड्ढा खोदा और इसका परिणाम हुआ कि भाजपा ने यह सीट अपने लिए रख लिया। एन डी ए में हुए इस कलह का सीधा लाभ आर जे डी को मिला और आर जे डी ने फिर से एक बार यह साबित करने में सफलता प्राप्त की कि उसके जनाधार में कोई क्षरण नहीं हुआ है। बिहार में एन डी ए के विभिन्न घटकों के अंदर एक नया फैशन शुरू हुआ है जिसमें एक दूसरे के नेताओं पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर एक दूसरे को छोटा दिखलाने का सिलसिला पिछले दिनों से चल रहा है। बिहार में श्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में एन डी ए गठबंधन की सरकार चल रही है और भारतीय जनता पार्टी के दूसरी पंक्ति के नेता घुमा-फिरा कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एवं उनकी सरकार पर ही हमला करते आ रहे हैं। इसके पीछे उनका उद्देश्य जो भी हो लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे बचकानी हरकत मान रहे हैं। आप खुद अपने नेता, मुख्यमंत्री और उनकी सरकार पर कटाक्ष करते हैं तो निश्चय ही आप गठबंधन की सरकार को कमजोर कर रहे हैं। और धीरे-धीरे प्रशासन से सरकार की पकड़ ढीली होगी और इसका सीधा प्रभाव विकास के कार्यों पर पड़ेगा। अभी भी बहुत विलंब नहीं हुआ और भारतीय जनता पार्टी तथा जनता दल यूनाइटेड के बड़े नेताओं को आपस में बैठकर इस मनमुटाव को समाप्त करना चाहिए। जहां तक जनता दल यूनाइटेड के अंदरूनी विवाद का सवाल है मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को समय रहते इस पर भी ध्यान देना चाहिए नहीं तो पार्टी और भी कमजोर होता चला जाएगा। सही लोगों को ताकत देने से ही संगठन मजबूत होगा। अभी हाल में संपन्न हुए एम एल सी चुनाव परिणाम पर भी जनता दल यू को चिंतन करना चाहिए। आखिर उसके उम्मीदवार मधुबनी सीट से चौथे नंबर पर क्यों और कैसे चले गए? साथ ही इसके लिए जिम्मेवारी का भी निर्धारण होना चाहिए तभी फिर से आप अपने पुराने स्थान पर लौटने की उम्मीद लगा सकते हैं। श्री नीतीश कुमार अपने जिला एवं अपने पुराने निर्वाचन क्षेत्र मैं अपने साथियों एवं पुराने कार्यकर्ताओं से मिलने एवं उनका हाल जानने की अच्छी परंपरा शुरू की है और यह उन्हें पूरे राज्य में चलाना होगा तभी उनके पुराने लोग एक बार फिर से उसी पुराने तेवर में लौटकर संगठन को मजबूत बनाने का प्रयास करेगे। पिछले एक-दो वर्षों में बिहार की राजनीति में एक विशेष परिवर्तन परिलक्षित हो रहा है तथा यहां के बुद्धिजीवी एवं युवा राजनीति में काफी दिलचस्पी लेने लगे हैं यह बात भी पुराने नेताओं के लिए एक चेतावनी है तथा उन्हें नेतृत्व नई पीढ़ी को सौपने की दिशा में तुरत पहल शुरू करनी चाहिए।
बुधवार, 20 अप्रैल 2022
दरभंगा : उपचुनाव परिणाम से नेताओं की आँखें खुलनी चाहिए : विनोद चौधरी
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