रांची. भाकपा- माले की केंद्रीय कमेटी की बैठक 2-4 अप्रैल 2022 तक रांची में की गयी थी.इस बैठक में कई प्रस्ताव पारित किया गया.केंद्र सरकार के द्वारा लगातार डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़ा दिये जा रहे हैं.इसका असर आम आदमी को भुगतना पड़ रहा है.दो वर्षों में बेरोजगारी चरम पर पहुंच गयी है.भाकपा- माले के द्वारा कहा गया कि इसके आगे प्रस्ताव में विस्तार से उल्लेख किया जा रहा है.
प्रस्ताव 1. पांच राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के बाद से अब तक केंद्र सरकार ने लगातार 12वीं बार डीजल-पेट्रोल के दाम बढ़े हैं. महामारी और लॉकडाउन के पिछले दो वर्षों में बेरोजगारी चरम पर पहुँच गयी है. ऐसे में ईंधन के दाम बढ़ाना - जिससे खाद्य पदार्थों के दाम भी निश्चित ही बढ़ेंगे - देश के गरीबों के साथ क्रूर मजाक है. मूल्य वृद्धि को तुरंत वापस लेने के सवाल पर भाकपा माले द्वारा 7-13 अप्रैल तक एक सप्ताह का देशव्यापी अभियान लिया जा रहा है.
2. सफल आम हड़ताल पर हम देश के मजदूर वर्ग और ट्रेड यूनियनों को, और तीन किसान विरोधी कानूनों को वापस लेने के लिए मोदी सरकार को बाध्य करने वाले सफल ऐतिहासिक आंदोलन के लिए देश के किसानों को बधाई देते हैं. आगे किसानों द्वारा मांगी गई दरों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य, और चार लेबर कोडों की वापसी एवं मजदूर अधिकारों की गारंटी करने वाले श्रम कानूनों को लाने आदि सवालों पर किसान और मजदूर आंदोलनों के नए अध्याय की तैयारी में अपने प्रयासों को तेज करने का संकल्प लेते हैं. हम निजीकरण एवं सार्वजनिक संपत्तियों की बिक्री, सभी मजदूरों के लिए रोजगार सुरक्षा, लिविंग वेज एवं सामाजिक सुरक्षा, युवाओं के लिए सभी खाली पदों को भरने, बगैर भ्रष्टाचार व परेशान किये नौकरियां देने और उनके सम्मान व न्याय की गारंटी के लिए संघर्ष तेज करने का भी संकल्प लेते हैं.
3. असेम्बली चुनावों के बाद विपक्ष शासित राज्यों में भ्रष्ट तरीकों से सरकार गिराने और यहाँ तक कि ऐसे एन डी ए शासित राज्यों में गैर भाजपा नेतृत्व के बजाय सीधे भाजपा का शासन लाने की साजिशें देखी जा रही हैं. लोकतंत्र को हड़प लेने की ऐसी साजिशों का हम पुरजोर विरोध करेंगे.
4. यूक्रेन से लौटे छात्रों के भविष्य के प्रति मोदी सरकार की उदासीनता की हम कड़ी निंदा करते हैं और मांग करते हैं की सरकारी खर्चे पर इन छात्रों को अपनी पढ़ाई पूरी करने और डिग्री पाने के लिए कदम उठाये जाएँ.
5. देश में बेरोजगारी लगातार बढ़ती ही जा रही है। मोदी सरकार इसके लिए सीधे जिम्मेदार है जो रोजगार सृजन तो दूर की बात, रिक्त सरकारी पदों को भरने के लिए पारदर्शी प्रणाली तक नहीं लाई है. हम बेरोजगार नौजवानों के आंदोलनों का गर्मजोशी से समर्थन करते हैं और मनरेगा की तर्ज पर शहरी मजदूरों के लिए भी रोजगार योजना की माँग करते हैं.
6. यूक्रेन में रूसी सेना द्वारा बड़ी संख्या में नागरिकों के नरसंहार करने और मृतकों के शवों को सामूहिक कब्रों में दबाए जाने की बेहद चिंताजनक खबरें आ रही हैं. मोदी सरकार द्वारा पुतिन के इस सैन्य आक्रमण का मौन समर्थन शर्मनाक है. हम भारत की जनता से यह आह्वान करते हैं कि वह अपनी आजादी को बचाने के लिए संघर्षरत यूक्रेन की जनता के समर्थन में खड़े होकर मोदी सरकार पर यह दबाव बनाए कि वह युद्ध पर रोक लगाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आवाज उठाते हुए कूटनीतिक पहल ले. हम युद्ध तत्काल बंद करने, एक स्वतंत्र देश के रूप में यूक्रेन की सम्प्रभुता की गारंटी करने और नाटो द्वारा पूर्ववर्ती विस्तार की कोशिशों पर रोक लगाने के हिमायती हैं. चूंकि वारसा संधि अब अस्तित्व में नहीं है, ऐसे में नाटो के लिए भी अपने बने रहने का कोई कारण नहीं है और इसे भी खुद को भंग कर देना चाहिए.
7. हम श्रीलंका में बढ़ती महंगाई, बिजली में कटौती, बेरोजगारी और गहरे आर्थिक संकट के खिलाफ चल रहे जन उभार और जन आंदोलन के साथ हम साझेदारी व्यक्त करते हैं और इस आंदोलन पर दमन के लिए आपातकाल की घोषणा की निंदा करते हैं.
8. भारत से रोहिंग्या शरणार्थियों को म्यांमार वापस भेजा जाना अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानूनों का घोर उल्लंघन है. इन कानूनों के अनुसार किसी भी शरणार्थी को ऐसे देश में वापस नहीं भेजा जा सकता है जहां उसकी जान खतरे में हो. म्यांमार में रोहिंग्या समुदाय की नागरिकता छीनी जा चुकी है. राज्य प्रायोजित नरसंहार से बचने के लिए ही रोहिंग्या म्यांमार छोड़कर भारत में शरण ले रहे हैं. उन्हें भारत सरकार द्वारा फिर नरसंहार की आग में झोंक देना शर्मनाक है. अफगानिस्तान हो या म्यांमार - पड़ोसी देशों के मुस्लिम शरणार्थियों के साथ मोदी सरकार के भेदभावपूर्ण सीएए कानून के मद्देनजर हम यह माँग करते हैं कि भारत रोहिंग्या शरणार्थियों को सम्मान और सुरक्षा की गारंटी करे.
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