भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉक्टर मृत्युंजय मोहपात्रा ने देश में रियल टाइम मॉनिटरिंग पूर्वानुमान और पूर्व चेतावनी के मुद्दों का जिक्र करते हुए कहा कि हीटवेव की पूर्व चेतावनी को लेकर हाल के वर्षों में देश में काफी प्रगति हुई है। नगरों और जिला स्तर पर हीट एक्शन प्लान के परिणाम स्वरूप वर्ष 2015 के बाद देश में गर्मी के कारण मौतों की संख्या में कमी आई है। उन्होंने कहा कि मौसम विभाग बढ़ती गर्मी के बीच हीटवेव की पूर्व चेतावनी को लेकर काफी काम कर रहा है। देश के उत्तरी इलाकों में मेट्रोलॉजिकल सब डिवीजन स्तर पर उपयोगकर्ताओं जैसे कि एनडीएमए, स्वास्थ्य विभाग, रेलवे, मीडिया तथा रोड ट्रांसपोर्ट इत्यादि को ईमेल, व्हाट्सएप, फेसबुक, टि्वटर और प्रेस रिलीज के जरिए हीटवेव के संबंध में पूर्व चेतावनी भेजी जाती है। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक हेल्थ गांधीनगर के निदेशक डॉक्टर दिलीप मावलंकर ने कहा कि तापमान बढ़ने पर इंसानों, जानवरों और पौधों के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। हमें तापमान के हिसाब से अनुकूलन करके अपना बचाव करना होगा। उन्होंने भारत में हीटवेव की पूर्व चेतावनी की व्यवस्था में बदलाव की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि पश्चिमी देशों की तरह भारत में भी मेहनतकश लोगों के लिए काम के पैमाने तय किए जाने चाहिए कि भीषण गर्मी में वे किस तरह से काम करेंगे। हमें शहरों में 'थ्रेशोल्ड आधारित लोकल वार्निंग सिस्टम' बनाना चाहिए। डॉक्टर मावलंकर ने कहा कि अगर कोई व्यक्ति सीधे धूप में काम कर रहा है और तापमान 4-5 डिग्री बढ़ जाता है तो उसके स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ेगा और उसे हीट स्ट्रोक हो सकता है। उस वक्त उसके बचने की उम्मीद सिर्फ 60% ही रह जाती है। भारत में हीट स्ट्रोक के जितने मामले रिपोर्ट किए जाते हैं, वे सिर्फ 'टिप आफ आइसबर्ग' ही हैं क्योंकि पश्चिमी देशों के विपरीत भारत में 'ऑल कॉज डेली मोटिलिटी' रिपोर्ट नहीं की जाती है।
गौरतलब है कि वर्ष 2019 में भारत में अत्यधिक गर्मी के संपर्क में आने से 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के 46600 लोगों की मौत हो गई भीषण गर्मी के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाला दबाव बुजुर्ग लोगों, शहरों में रहने वाले लोगों और दिल तथा फेफड़ों की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे लोगों के साथ-साथ झुग्गी बस्तियों में रह रहे लोगों तथा कम आमदनी वाले समुदायों के लिए घातक बनता जा रहा है। गर्मी के कारण जनस्वास्थ्य पर बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर भारतीय विशेषज्ञ इस खतरे के प्रति पूर्वानुमान, जन जागरूकता और सरकारी प्रतिक्रियाओं को मजबूत करके स्थानीय स्तर पर लचीलापन को बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं। तपिश से संबंधित विस्तृत पूर्वानुमान और पूर्व चेतावनी के आधार पर हीट एक्शन प्लान कमजोर आबादी को इस तीव्र खतरे से बचाने के लिए और गर्मी से संबंधित स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में सार्वजनिक जागरूकता में सुधार करने में मदद करते हैं। पिछले कुछ हफ्तों में देश के अनेक हिस्सों में तापमान खतरनाक स्तर तक बढ़ना शुरू हो चुका है। कुछ इलाकों में अधिकतम तापमान सामान्य से चार से 8 डिग्री सेल्सियस तक ज्यादा महसूस किया गया। आने वाले महीनों में और भी ज्यादा गर्म और खतरनाक स्थितियों के बारे में पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है। अत्यधिक गर्मी सिर्फ असुविधाजनक ही नहीं है बल्कि यह अब वैश्विक स्तर पर अधिक घातक खतरा भी बनती जा रही है। ऐसे में हीटवेव की पूर्व चेतावनी की मजबूत व्यवस्था करना जन स्वास्थ्य के लिहाज से एक आवश्यकता नहीं बल्कि अनिवार्यता बन गई है।
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