देहरादून (उत्तराखंड), 12 अप्रैल, उत्तराखंड में देहरादून के निकट विकासनगर में यमुना नदी पर तैयार 120 मेगावाट की व्यासी जलविद्युत परियोजना की झील के डूब क्षेत्र में आ रहे लोहारी गांव में सोमवार से पानी भरना शुरू हो गया जहां अपने मकानों, गलियों और खेतों को डूबता देख ग्रामीणों की आंखें आंसुओं से भीग गयीं । देहरादून जिला प्रशासन का इस संबंध में कहना है कि वह उनके उचित विस्थापन के लिए सभी व्यवस्थाएं कर रहा है और उन्हें मुआवजा भी दिया जा रहा है लेकिन अपने दिल के करीब रही चीजों से हमेशा के लिए बिछुडने का अहसास ग्रामीणों को बहुत दर्द दे रहा है । महिलाएं और बुजुर्ग जहां समीपवर्ती मकानों की छत पर चढकर नीचे गांव में धीरे-धीरे डूबते जा रहे अपने मकानों और खेतों को देख रहे हैं जबकि बच्चे अपने मोबाइल फोन के कैमरों में इस दृश्य को कैद कर रहे हैं । देहरादून के जिलाधिकारी आर राजेश कुमार ने बताया कि गांव के डूबने से करीब 76 परिवार प्रभावित हुए हैं । उन्होंने बताया कि शनिवार को उन्हें अपने मकान खाली करने का नोटिस दिए जाने से पहले ग्रामीणों के साथ कई दौर की वार्ता हुई है । कुमार ने बताया कि ग्रामीणों को पर्याप्त मुआवजा दिया गया है और उनके पुराने घरों के नजदीक ही उन्हें पुनर्वासित करने के लिए भूमि की तलाश की जा रही है । उन्होंने कहा, ‘‘ इस प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है क्योंकि हम उन्हें एक ऐसी जगह पर बसाना चाहते हैं जहां उन्हें भविष्य में किसी औेर पनबिजली परियोजना के कारण फिर से परेशान न होना पडे़।’’ अधिकारी ने बताया कि गांववालों ने अपने पुराने गांव के पास ही पडी आठ-नौ बीघा जमीन पर उन्हें बसाए जाने का सुझाव दिया है क्योंकि वे अपनी सांस्कृतिक जडों से कटकर दूर नहीं जाना चाहते । उन्होंने बताया कि मुआवजे की रकम का 80 फीसदी और अगले एक साल के मकान किराए का पैसा प्रभावित परिवारों को पहले ही दिया जा चुका है । कुमार ने बताया कि प्रभावितों को क्षेत्र में लागू सर्किल रेट से चार गुना पैसा मुआवजे के रूप में दिया जाता है लेकिन लोहारी के निवासियों को यह सर्किल रेट से सात गुना अधिक दिया जा रहा है । जिलाधिकारी ने बताया कि परियोजना की निर्माण एजेंसी—यूजेवीएन लिमिटेड से ग्रामीणों को ज्यादा मुआवजा देने का अनुरोध किया गया है और वह इसके लिए तैयार भी है ।
मंगलवार, 12 अप्रैल 2022
ब्यासी बांध की झील में लोहारी गांव डूबा
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