शरीफ अपने मंत्रिमंडल के गठन में कुछ वक्त ले सकते हैं - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

बुधवार, 13 अप्रैल 2022

शरीफ अपने मंत्रिमंडल के गठन में कुछ वक्त ले सकते हैं

shahbaz-ministry-may-delay
इस्लामाबाद, 13 अप्रैल, पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ अपने नए मंत्रिमंडल का गठन करने में कुछ वक्त ले सकते हैं, क्योंकि उन्हें सत्तारूढ़ गठबंधन की नाज़ुक प्रकृति का इल्म है और वह सभी सहयोगियों को साथ लेकर चलना चाहते हैं। मीडिया में आई खबरों में बुधवार को यह जानकारी दी गई है। पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) और पाकिस्तान पीपल्स पार्टी (पीपीपी) के सूत्रों ने ‘डॉन’ अखबार को बताया कि दोनों दलों के नेतृत्व ने सभी सहयोगी दलों को संघीय कैबिनेट में शामिल करने और उन्हें उनकी पसंद के मंत्रालय देने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि सत्तारूढ़ गठबंधन में आठ राजनीतिक दल और चार निर्दलीय शामिल हैं और चूंकि शरीफ केवल दो वोटों के अंतर से प्रधानमंत्री बने हैं, इसलिए वह सहयोगियों के संग किसी भी गलतफहमी के साथ अपना कार्यकाल शुरू नहीं करना चाहते हैं। पाकिस्तान की संसद ने शरीफ को सोमवार को मुल्क का 23वां प्रधानमंत्री चुना था। इससे पहले अविश्वास प्रस्ताव के जरिए इमरान खान सरकार गिर गई थी। सदन में 342 सदस्य हैं और शरीफ 174 वोट हासिल करके प्रधानमंत्री चुने गए थे। खबर में कहा गया है कि 70 वर्षीय शरीफ अपने सभी सहयोगियों को साथ लेकर चलना चाहते हैं, खासकर, उन लोगों को जो पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) नीत गठबंधन सरकार का साथ छोड़ने के बाद उनके साथ आ गए हैं। ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ ने खबर दी है कि सत्तारूढ़ गठबंधन में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी पीपीपी संघीय कैबिनेट में शामिल होने के लिए अनिच्छुक दिखती है, क्योंकि इसे लेकर पार्टी के अंदर ही मतभेद हैं। उसमें कहा गया है कि पीपीपी के अधिकतर नेता मंत्री बने बिना ही चुनाव सुधारों के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि अन्य का विचार है कि अगर वे सरकार से बाहर रहते हैं तो गठबंधन सरकार दो महीने भी नहीं टिकेगी। ‘द न्यूज़’ ने खबर दी है कि शरीफ ने मंगलवार को पीपीपी के नेताओं और पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी और पीपीपी के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो, पीडीएम अध्यक्ष मौलाना फज़ल-उर-रहमान, एमक्यूएम-पी नेताओं, बीएनपी-मेंगल प्रमुख अख्तर मेंगल, बीएपी के संसदीय नेता खालिद मैगसी, जम्हूरी वतन पार्टी के प्रमुख शाहज़ैन बुगती और निर्दलीय सदस्य असलम भूतानी के साथ अलग-अलग बैठकें कीं। शरीफ ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पीपीपी मंत्रिमंडल में शामिल होगी। ‘डॉन’ अखबार ने पीपीपी के एक नेता के हवाले से कहा, “हम अपने गठबंधन की नाजुक प्रकृति को जानते हैं और हम मौजूदा सरकार को कामयाब होते देखना चाहते हैं। हम यह धारणा नहीं बनाना चाहते कि हम सिर्फ कुछ विभागों को लेने या भत्तों और विशेषाधिकारों का आनंद लेने के लिए सत्ता में आए हैं।” मंत्रिमंडल के गठन पर विचार-विमर्श की जानकारी रखने वाले पीपीपी नेता ने कहा कि शरीफ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि पार्टी संघीय कैबिनेट में शामिल हो, क्योंकि उनका मानना है कि अगर पीपीपी इससे बाहर रहती है, तो इससे जनता में गलत संदेश जाएगा। एक निजी टीवी चैनल से बात करते हुए फैसलाबाद से पीएमएल-एन के सांसद राणा सनाउल्लाह ने कहा कि अगले कुछ दिनों में आम सहमति से नया मंत्रिमंडल गठित किया जाएगा। वह सभी सहयोगी दलों के प्रमुखों के साथ बैठक के दौरान शरीफ के साथ थे। पीपीपी प्रधानमंत्री शरीफ के नेतृत्व वाले संघीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के मुद्दे पर बंटी हुई है। पीपीपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि वे मंत्रिमंडल में शामिल होने के बजाय संवैधानिक पद पाने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं उन्होंने कहा कि नेशनल असेंबली के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के इस्तीफे के बाद दो संवैधानिक पद पहले ही खाली हो गए हैं, जबकि वे सीनेट के अध्यक्ष सादिक संजरानी को हटाने की भी योजना बना रहे हैं। इस बीच, एमक्यूएम-पाकिस्तान (एमक्यूएमपी) ने मंत्रिमंडल में शामिल नहीं होने और शरीफ सरकार को बाहर से समर्थन देने का फैसला किया है। ‘द न्यूज़’ की खबर के मुताबिक, फैसले के बारे में प्रधानमंत्री को बता दिया गया है।

कोई टिप्पणी नहीं: