रांची, 02 अप्रैल, झारखंड मुक्ति मोर्चा की वरिष्ठ नेता और विधायक सीता सोरेन ने पार्टी के सीनियर नेता रहे स्टीफन मरांडी को अपने दायरे में रहकर बयान करने की सलाह दी है। श्रीमती सोरेन ने आज कहा कि स्टीफन मरांडी किसी अदृश्य शक्ति के इशारे पर झारखंड मुक्ति मोर्चा सुप्रीमो शिबू सोरेन को गुमराह और दिग्भ्रमित करने का काम छोड़ दें । इस पार्टी को दिशोम गुरु और दिवंगत दुर्गा सोरेन ने अपने खून-पसीने से सींचने का काम किया है। विधायक श्रीमती सोरेन ने अनुशासनहीनता का पाठ पढ़ाने वाले स्टीफन मरांडी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें यह याद रखनी चाहिए कि किस तरह से सारी नैतिकता को तिलांजलि देते हुए सोरेन परिवार के खिलाफ उन्होंने दुमका में चुनाव लड़ा और अब बाद में अपने राजनीतिक भविष्य को अंधकारमय देखकर फिर से संगठन में वापस लौटने का काम किया। स्टीफन मरांडी को यह बात शिबू सोरेन से पूछनी चाहिए कि रामगढ़ के नेमरा में जन्म लेने वाले दिशोम गुरू संताल परगना में कैसे टपक पड़े। उन्हें यह भी बताना चाहिए कि अपने राजनीतिक भविष्य और निजी फायदे के लिए वे दुमका से महेशपुर में आकर कैसे टपक गये। स्टीफन मरांडी को यह भी पूछना चाहिए कि दुर्गा सोरेन ने गुरुजी के साथ वर्षां तक चले अलग झारखंड राज्य की लड़ाई में हिस्सा लेकर अपना सर्वत्र क्यों न्योछावर कर दिया। श्रीमती सोरेन ने कहा कि आम्रपाली के विस्थापितों, स्थानीय मजदूर और जल, जंगल और जमीन की आवाज उठाने को गुनाह मानने वाले स्टीफन मरांडी को यह भी बताना चाहिए कि उनके नेतृत्व में संताल परगना के आदिवासियों और मूलवासियों का कितना विकास हुआ। दिवंगत पति दुर्गा सोरेन ने सिर्फ झारखंड के आदिवासियों-मूलवासियों के हितों की रक्षा को लेकर संघर्ष की शुरुआत की थी, चाहे वह संथाल के आदिवासियों के शोषण का मामला हो या फिर छोटानागपुर-आम्रपाली के विस्थापितों-मजदूरों के हक और अधिकार की बात हो, सभी के विकास का सपना स्व. दुर्गा सोरेन ने देखा था और उनके सपने को पूरा करा करने के लिए वह निरंतर आगे भी काम करती रहेंगी। इसलिए स्टीफन मरांडी सिर्फ अपने निजी स्वार्थ में और अदृश्य शक्ति के इशारे पर एक परिवार में मतभेद पैदा करने की कोशिश ना करें।
शनिवार, 2 अप्रैल 2022
झारखण्ड : सीता सोरेन ने स्टीफन मरांडी को दायरे में रहने की दी सलाह
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