नयी दिल्ली, 27, उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केंद्र सरकार से पूछा कि वह यह बताए कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में उम्र कैद की सजा के तहत 30 से अधिक वर्षों से सजा काट रहे ए जी पेरारीवलन को रिहा करने का आदेश क्यों नहीं देना चाहिए। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने केंद्र से यह भी जानना चाहा कि क्या राज्यपाल के पास संविधान के तहत संघवाद के सिद्धांत के विपरीत राज्य मंत्रिमंडल द्वारा की गई सभी सिफारिशों को राष्ट्रपति को भेजने की शक्ति है। शीर्ष अदालत ने 1991 के उस हत्याकांड मामले के सभी सात दोषियों की रिहाई के लिए तमिलनाडु सरकार के मंत्रिमंडल के 2018 के प्रस्ताव का जिक्र करते हुए केंद्र सरकार से ये सवाल किया। पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज से सवाल किया, “आप उसे (पेरारीवलन) रिहा करने के लिए सहमत क्यों नहीं हैं? 20 साल से अधिक जेल में सेवा करने वाले लोगों को रिहा कर दिया जाता है।” शीर्ष अदालत ने पेरारिवलन और अन्य को रिहा करने की राज्य मंत्रिमंडल की सिफारिश पर तीन वर्षों से अधिक समय तक राज्यपाल द्वारा निर्णय नहीं लेने और फिर उसे राष्ट्रपति को भेजने करने का जिक्र करते हुए श्री नटराजन से पूछा कि यह किस प्रावधान के तहत आता है। पीठ ने पेरारीवलन के वकील के इस सुझाव से भी सहमति जताई कि अदालत को अनुच्छेद 161 के तहत राज्यपाल की शक्ति का प्रयोग ‘समयबद्ध’ रूप से करने पर भी विचार करना चाहिए। उच्चतम न्यायालय इस मामले में अगली सुनवाई चार मई को करेगा। गौरतलब है कि पेरारीवलन फिलहाल जमानत पर बाहर हैं।
गुरुवार, 28 अप्रैल 2022
राजीव गांधी की हत्या के दोषी को क्यों न छोड़ा जाए : सुप्रीम कोर्ट
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