आजादी के बाद 70 वर्षों तक कॉंग्रेस, वामपंथ तथा समाजवाद के नाम पर गैर-यथार्थवादी, सांप्रदायिक, परिवार केंद्रित नेतृत्व ने विकास की संभावनाओं को कुंद करने में कोई कसर नहीं छोड़ा| लोकतंत्र की हत्या करके इमरजेंसी लगाई गई। कांग्रेस ने लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई राज्य सरकारों को लगभग 90 बार बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया। कॉंग्रेस ने जहां देश में निर्भर अर्थव्यवस्था को खड़ा किया, वामपंथियों ने भारत के मौलिक चिंतन धारा को कुंद करने का कुत्सित प्रयास किया वहीं तथाकथित समाजवादियों ने जातिवाद, भ्रष्टाचार तथा परिवारवाद को पोषित किया है | लोकतंत्र की हत्या करके इमरजेंसी लगाई गई। कांग्रेस ने लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई राज्य सरकारों को लगभग 90 बार बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन क्या यह सच्चाई नहीं है। इन्हीं दलों ने जयप्रकाश नारायण, लोहिया, कर्पूरी ठाकुर जैसे नेताओं के विचारों को तिलांजलि देकर अपने परिवार को मजबूत किया है और भ्रष्टाचार के प्रतिमान गढ़े। जबकि भाजपा की आधारशिला लोकतंत्र, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, लोक कल्याण, सामाजिक समरसता तथा अंत्योदय के लक्ष्यों में निहित है। नरेंद्र मोदी ने इन्हीं उद्देश्यों को अंगीकार करते हुए सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सब का प्रयास को अपने शासन का मूल मंत्र बनाया। हमे विश्वास है कि धर्मांतरण जैसे मुद्दों पर भी राज्य और केंद्र सरकार गंभीरता से विचार करेगी। देश ने केंद्र में कॉंग्रेस नीत यूपीए सरकार तथा बिहार में राजद के शासनकाल को देखा है और उसके दंश को झेला है। यूपीए 1 एवं 2 में राजद कॉंग्रेस पार्टी का साझीदार था। इस सरकार के भ्रष्टाचार के कारनामों ने दुनियाभर में भारत को शर्मसार किया था। राजद के पंद्रह साल के कालखंड में अलकतरा घोटाला, चारा घोटाला ,पैसों का गबन, नौकरियों के बदले जमीन या मकान लिखवाना साथ-साथ अपराध का वह सिलसिला जिसमें हत्या, लूट, नक्सलवादी आंदोलन, जातीय हिंसा जैसे कारनामें रोजमर्रा की बातें हो गई थी। शाम ढलते ही सड़कों के सुनसान होने की बात आज भी लोगों के रोंगटे खड़ा कर देता है। आज नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार हो या बिहार में एनडीए की सरकार भ्रष्टाचार का कहीं नाम नहीं है। प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित करते हुए कहा है कि हमने 8 वर्षों के गरीब कल्याण, सेवा और सुशासन को समर्पित कार्यकाल में एक भी ऐसा काम नहीं किया है, जिससे हमारा देश या देशवासियों का सर झुके। यह हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है कि इस अवधि में इस सरकार पर भ्रष्टाचारका कोई आरोप नहीं लगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो विषय 8 वर्ष पहले कहा था कि ना खाऊँगा ना खाने दूंगा आज उसको चरितार्थ कर दिया है। आज जब विरोधियों पर भ्रष्टाचार सम्बन्धी कोई कार्यवाई होती है तो वे अपने काले कारनामों पर से लोगों का ध्यान हटाने के लिए स्वयं को सताये जाने का आरोप लगते हैं। रामधारी सिंह दिनकर ने परशुराम की प्रतीक्षा में इनके जैसे हीं नेताओं के काले कारनामों को देखकर लिखा था–
घाक है जो देवता-सदृश दिखता है
लेकिन, कमरे में गलत हुक्म लिखता है।
जिस पापी को गुण नहीं गोत्र प्यारा है
समझो उसने ही हमें मारा है।
हलांकि, ये पंक्तियाँ उन्होंने कॉंग्रेस के कार्यशैली पर लिखी थी, जो आज भी काँग्रेस और राजद जैसी दलों पर सटीक बैठती है। समाज के सभी वर्गों, जातियों के लिए भाजपा तथा एनडीए की सरकार ने श्रेष्ठ प्रयास किए हैं। पिछड़े वर्ग को संवैधानिक दर्जा देना एक ऐसा कदम है जिसे राजद ने वर्षों तक यूपीए सरकार के वक्त दबाकर रखा था। बाबा साहब अंबेडकर की जन्म स्थली, शिक्षा स्थान सहित पांच स्थानों को पंच तीर्थ स्थल के रूप में विकसित कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें यथोचित सम्मान दिया। उनके व्यक्तित्व को पूर्ववर्ती सरकारों ने मान्यता नहीं दी थी। प्रधानमंत्री ने जम्मू कश्मीर में धारा 370 हटा कर वहां के कमजोर वर्ग विशेषकर बाल्मीकि और बक्करवाल समाज को आरक्षण उपलब्ध करा कर सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर कर दी है।नीट में ओबीसी को 27% एवं सामान्य वर्ग के गरीबों को 10% आरक्षण का प्रावधान इसी दिशा मे उठाए गए कदम हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने “प्रधानमंत्री मतस्य संपदा योजना” के माध्यम से निषाद समुदाय के लिए उल्लेखनीय कार्य किए हैं। इस योजना के अंतर्गत 20,050 करोड़ रुपए निषाद समुदाय की आर्थिक उन्नति के लिए दिए गए हैं बिहार मीठे पानी में मछली उत्पादन में देश में अव्वल राज्य बन चुका है। आज बिहार में 2005की तुलना मे मछली का उत्पादन लगभग 3 गुना बढ़ चुका है | स्वास्थ्य, सड़कें-हाइवे, बिजली, पानी, उद्योग, कृषि, शिक्षा, शुद्ध पेयजल सहित अन्य सभी महत्वपूर्ण अवसंरचनाओं के क्षेत्र में हमने तेजी से काम संपादित किए है। राज्य में प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2005 के 8000 रुपए के मुकाबले आज 48000 रुपए तक पहुँच गयी है और जीडीपी की दर जो 2005 के पूर्व 3% के आसपास थी वह आज 11% पार कर चुकी है। आज हमें इस बात की खुशी है की विगत वर्षों में राज्य में मँझले कद के उद्योगों का संजाल विकसित हो रहा है आज देश अपने सांस्कृतिक विरासतों तथा उसके वैभव को पुनः स्थापित कर रहा है। नेहरू के छद्म-सेक्युलरवाद का दर्शन जिसे हम वामपंथ का भी साझा दर्शन कह सकते हैं उसने हिंदुओं के सांस्कृतक अधिष्ठानों, उसके प्रामाणिक जीवनशैली तथा उसके परम्पराओं के संदर्भ में लगातार दुष्प्रचार किए हैं| क्या यह सच्चाई नहीं है कि भारत का समाज हिंदुओं की बहुलता की वजह से सहिष्णु है और हमने भारत के साझी विरासत में सभी को स्थान दिया है? आज आतंकवाद केवल कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों मे सिमट के रह गया है। कॉंग्रेस तथा राजद के युवराज पाकिस्तान समर्थक तथाकथित सेमिनारों में भारत-विरोध की भाषा बोल रहे हैं। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के जिस प्रांगण में वो भारत विरोधी “आइडिया ऑफ इंडिया” सेमीनार का हिस्सा बनने गए थे उससे उन्हें वामपंथियों की मान्यता तो जरूर मिल सकती है परंतु देश की जनता उन्हे कभी माफ नहीं करेगी। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इतिहास से सबक लेकर एक सबल-सक्षम तथा क्रियाशील राष्ट्र के रूप में समावेशी सांस्कृतिक अधिष्ठान वाली पहचान को पुनर्जीवित कर रहा है। काशी का ज्ञानवापी हो या कश्मीर घाटी में फैले सूर्य मंदिर के अवशेष सभी राम मंदिर और काशी विश्वनाथ की तरह वापस जीवंत हो उठने को तत्पर हैं। राजनीति की तमाम चुनौतियों के बीच भाजपा ने देश की जनता के बीच नई आशा और विश्वास का संचार किया हैऔर भारत नरेंद्र मोदी के साहसी और कुशल नेतृत्व में विश्व गुरु बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है।
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