- * 31 मई को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन/धरना आदि कार्यक्रम होंगे’
- * राशन व राशन कार्ड निरस्तीकरण अभियान को वापस ले सरकार’
पटना. देश में लगातार बढ़ती बेरोजगारी और पेट्रो पदार्थों की आसमान छूती कीमतों के खिलाफ वाम दलों के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर बिहार में 25 से 31 मई तक सघन आंदोलनात्मक अभियान चल रहा है और 31 मई को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन/धरना आदि कार्यक्रम होंगे. वाम दलों के नेताओं ने आज पटना में संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के जरिए यह जानकारी दी. वाम नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार जनता की आंखों में धूल झोंकना बंद करे. पेट्रोल व डीजल की बेतहाशा बढ़ी कीमतों में मामूली सी गिरावट करके वह अपना पीठ थपथपाना चाहती है. मोदी सरकार रूस व उक्रेन युद्ध का बहाना बनाकर पेट्रो पदार्थो की कीमत लगातार बढ़ाती गई. अब उसमें मामूली कमी कर रही है, लेकिन आंकड़े कुछ और ही गवाही देते हैं. मई 2014 में पेट्रोल पर केंद्रीय कर 9.48 रु. और डीजल पर 3.56 रुपये था. 21 मई 2022 को यह कर बढ़कर क्रमशः 27.90 व 21.80 रुपया हो गया. इसके खिलाफ तीखे आंदोलन के बाद फिलहाल यह टैक्स क्रमशः 19.90 व 15.80 रु. है. यह टैक्स अब भी 2014 की तुलना में काफी अधिक है. इसलिए हमारी मांग है कि सरकार सभी प्रकार के अधिभार/ उपकर को वापस लेकर पेट्रो पदार्थों की कीमत को पुराने स्तर पर लगाए. इन पदार्थों पर तो कोई टैक्स लगाना ही नहीं चाहिए, इसकी भरपाई के लिए सरकार को कॉरपोरेट पर टैक्स लगाना चाहिए. वाम नेताओं ने कहा कि पहले से कोविड व लाॅकडाउन की मार झेल रही आम जनता आज कमरतोड़ महंगाई की जबरदस्त मार झेलने को विवश है. आमदनी तो बढ़ नहीं रही लेकिन महंगाई लगातार बढ़ रही है. गरीब, मध्यम वर्ग, प्राइवेट कंपनियों में नौकरी करने वाले, छोटे व्यवसायी आदि सभी तबके पेट्रोल-डीजल-गैस के दाम में अभूतपूर्व बढ़ोतरी से त्रस्त है. पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से परिवहन व माल ढुलाई अत्यंत महंगा हो गया है. विगत एक साल में पेट्रोलियम पदार्थों में 70 प्रतिशत, सब्जियों के दाम में 20 प्रतिशत, खाने के तेल में 23 प्रतिशत और अनाज के दाम में 8 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है. करोड़ों भारतीय का भोजन गेहूं की कीमत में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. गेहूं विदेश भेजा जा रहा है और उसकी कम सरकारी खरीद का बहाना बनाकर जनवितरण प्रणाली से इसे गायब कर इसके बदले चावल देना तय किया गया है. केंद्र सरकार उल्टे आज राशन व राशन कार्ड निरस्तीकरण अभियान में लगी हुई है. यह भोजन के अधिकार पर हमला है, बिहार में 28 लाख 79 हजार राशन कार्ड रद्द कर दिए गए. इसे अविलम्ब वापस लिया जाना चाहिए. खाद्य व अन्य उपयोगी सामानों पर सरकार जनता के लिए विशेष पैकेज की गारंटी करे. राज्य में बिजली बिल पहले की तुलना में कई गुना बढ़ गया है. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में भी हो रहे खर्च में अभूतपूर्व बढ़ोतरी हुई है. फीस से लेकर किताबें, यूनीफाॅर्म, स्टेशनरी, स्कूल बस भाड़ा में 50 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है. मजबूरन लोगों को कर्ज लेना पड़ रहा है और वे लगातार कर्ज के भंवरजाल में फंसते जा रहे हैं. एक तरफ आम लोग भीषण महंगाई की मार झेल रहे हैं, ठीक इसी समय कॉरपोरेट की संपत्ति में अकूत वृद्धि हो रही है. महंगाई से जनता को राहत प्रदान करने की बजाए दिल्ली व पटना की सरकर अपने खिलाफ बढ़ते जनअसंतोष को काले कानूनों से दबाने का प्रयास कर रही है. वह अपने एकाधिकारवादी-सांप्रदायिक एजेंडे को लागू करने का भरसक प्रयास कर रही है और देश में अमन-चैन के माहौल को खराब करने में लगी हुई है. सरकार के लोकतंत्र व संविधान विरोधी रवैये का वाम दल पुरजोर विरोध करते हैं. 5 जून को संपूर्ण क्रांति दिवस पर महागठबंधन के द्वारा आयोजित भाजपा-जदयू सरकार की असफलता के खिलाफ आयोजित कार्यक्रम में वाम दल के कार्यकर्ता पूरे जोर-शोर से भाग लेंगे. गांव स्तर पर उसकी तैयारी चल रही है. जाति जनगणना पर भाजपा के रुख से स्पष्ट है कि यह पार्टी दलितों-पिछड़ों के अधिकारों व उनके आरक्षण की घोर विरोधी है.वाम दल पेट्रो पदार्थों पर सभी अधिभारध्उपकर वापस लेने, पीडीएस में गेहूं आपूर्ति बहाल करने, पीडीएस सिस्टम को मजबूत करने, गैर आयकर भुगतान परिवारों को प्रत्यक्ष 7500 रु. प्रति माह प्रदान करने, शहरी क्षेत्रों में रोजगार गारंटी योजना लागू करने, मनरेगा आवंटन में वृद्धि करने, बेरोजगारी भत्ता कानून बनाने, सभी रिक्त पदों पर भर्ती, बिना वैकल्पिक व्यवस्था के गरीबों को उजाड़ने पर रोक लगाने तथा तमाम उपभोक्ताओं को 200 यूनिट फ्री बिजली देने की भी मांग करते है. संवाददाता सम्मेलन को माले के पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेंद्र झा, वरिष्ठ नेता केडी यादव, सीपीएम के सर्वोदय शर्मा व मनोज चंद्रवंशी, सीपीआई के विजय नारायण मिश्र व रामलला सिंह, फॉरवर्ड ब्लॉक के अमेरिका महतो व आरएसपी के वीरेंद्र ठाकुर ने संबोधित किया.
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