नयी दिल्ली, 06 मई, उच्चतम न्यायालय ने समाजवादी पार्टी के नेता और उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री आजम खान की जमानत अर्जी पर फैसला करने में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की देरी पर शुक्रवार को अपनी नाराजगी व्यक्त की। उच्च न्यायालय ने पिछले साल दिसंबर में जमानत अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस बीच याचिकाकर्ता ने अंतरिम जमानत के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जहां उन्हें उच्च न्यायालय में जाने का निर्देश दिया गया था। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने याचिकाकर्ता खान को 87 मामलों में से 86 में जमानत मिलने तथ्य पर गौर किया तथा कथित तौर पर जमीन हड़पने के एक मामले में जमानत पर फैसला करने में देरी पर नाराजगी जताते हुए सख्त टिप्पणियां कीं। पीठ ने उच्च न्यायालय को दो दिनों का और मौका देते हुए कहा,“अब फैसला सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है। 137 दिनों मे कोई आदेश पारित नहीं किया गया है। उन्हें (आजम खान को) 86 मामलों में जमानत पर रिहा किया गया था। यह एक मामला है। हम केवल इतना ही कह सकते हैं कि यह ( इस हालत में जमानत पर फैसले में में देरी) न्याय का मजाक है। यदि आवश्यकता होगी तो आने वाले बुधवार को हम और कुछ कहेंगे। आइए हम उन्हें (उच्च न्यायालय को) दो दिनों का मौका दें।” उत्तर प्रदेश के सीतापुर के जेल में बंद पूर्व मंत्री खान के एक वकील ने अदालत के समक्ष कहा कि उच्च न्यायालय ने पिछले साल दिसंबर में जमानत अर्जी पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, लेकिन राज्य सरकार को गुरुवार को एक हलफनामा दाखिल करके रिकॉर्ड पर नई सामग्री लाने की अनुमति दी। यह मामला उत्तर प्रदेश रामपुर में मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय परियोजना के लिए जमीन हड़पने के आरोप से जुड़ा हुआ है। इस मामले पर शीर्ष अदालत 11 मई को अगली सुनवाई करेगी। पूर्व सांसद खान ने विधानसभा चुनाव प्रचार में भाग लेने के लिए फरवरी में शीर्ष अदालत से अंतरिम जमानत की गुहार लगाई थी। तब शीर्ष अदालत ने उनकी अर्जी अस्वीकार करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष जाने को कहा था, जहां उनकी जमानत याचिका लंबित है।
शनिवार, 7 मई 2022
सुप्रीम कोर्ट ने आज़म खान पर फैसला सुरक्षित रहने पर जताई नाराजगी
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