पटना : राजद प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल द्वारा 1990 दशक के विधायकों और सांसदों को गुंडा और मवाली कहे जाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि भाजपा के सिमटते जनाधार ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष को मानसिक दिवालियापन का शिकार बना दिया है। उन्हें किसी अच्छे मनोचिकित्सक से ईलाज की जरूरत है। राजद प्रवक्ता ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव की सर्वस्वीकार्यता और जनाधार की बढती व्यापकता से भाजपा नेताओं की बेचैनी इतनी बढ गई है कि बौखलाहट में वे क्या बोल देंगे इसका भी ख्याल नहीं रहता। 1990 के दशक में सांसद और विधायक का चुनाव जीतने वाले यदि गुंडे और मवाली थे तो उनके पिता स्व मदन प्रसाद जायसवाल भी 1990 में हीं बेतिया से विधायक बने थे। राजद प्रवक्ता ने भाजपा अध्यक्ष को याद दिलाते हुए कहा है कि जिन्दगी भर भाजपा का झंडा ढोने वाले उनके स्वर्गवासी पिता मदन प्रसाद जायसवाल जी भाजपा द्वारा तिरस्कृत किये जाने के बाद जब राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद के शरण मे गये, तो उन्हों ने हीं 2005 में बेतिया से राजद का टिकट देकर सबसे पहले संजय जायसवाल को राजनीतिक पहचान दिलाई थी। संजय जायसवाल को बताना चाहिए कि उस समय वे क्या थे गुंडा या मवाली? राजद प्रवक्ता ने कहा कि संजय जायसवाल जिम्मेवार पद पर हैं, उन्हें बोलने मे शब्द और भाषा की मर्यादा का ख्याल रखना चाहिए। भ्रामक और अनर्गल बयानबाजी कर वे आज के युवा पीढ़ी को गुमराह नहीं कर सकते। मालूम हो कि डॉ जायसवाल ने कहा था कि 90 के दशक में नेता बूथ लूटने का काम करते थे। बाद में बूथ लूटने वाले गुंडे भी राजनीति में आ गए। वहीं, 90 में ही बिहार में लालू के शासनकाल में तो हद हो गई, जब गुंडे मवाली विधायक और सांसद बन गया और 2002 तक पहुंचते-पहुंचते जाति के नाम पर समाज सेवा करने वाले लोग भी राजनीति में आने लगे। इसके बाद अब राजनीतिक धंधेबाज भी राजनीति में आ रहे हैं।
शुक्रवार, 6 मई 2022
बिहार : संजय जायसवाल के पिता 2005 में बेतिया से राजद विधायक : गगन
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