स्थानीय भाषाओं का संरक्षण सरकार और समाज का दायित्व : कोविंद - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 5 मई 2022

स्थानीय भाषाओं का संरक्षण सरकार और समाज का दायित्व : कोविंद

kovind
गुवाहाटी 04 मई, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को कहा कि किसी भी स्थानीय भाषा का संरक्षण सरकार और समाज का दायित्व है। श्री कोविंद ने यहां बोडो साहित्य सभा के 61वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि स्थानीय भाषा को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने नयी शिक्षा नीति पर प्रमुखता से जोर दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयासों से क्षेत्र की शांति और समृद्धि में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। राष्ट्रपति ने कहा कि बोडो साहित्य सभा ने भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में बोडो भाषा को शामिल करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। उन्होंने युवाओं से स्थानीय भाषा को बढ़ावा देते तथा इसे और अधिक जीवंत बनाने के लिए साहित्यिक गतिविधियों में सहभागिता की अपील की। उन्होंने कहा कि असम में 35 लाख से अधिक लोग बोडो भाषा बोलते हैं और इसे सहयोगी भाषा के रूप में मान्य किया गया है। उन्होंने कहा , “बोडो समाज से मेरा पुराना नाता है। राज्यसभा सदस्य के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मैंने हमेशा बोडोलैंड के मुद्दे पर चर्चा की थी।” उन्होंने अन्य भाषाओं की किताबों का बोडो भाषा में अनुवाद किये जाने पर हर्ष व्यक्त किया।

कोई टिप्पणी नहीं: