नौ गौरी में से एक हैं श्रृंगार गौरी। श्रृंगार गौरी की चर्चा इन दिनों हर सख्स की जुबान पर है। जी हां, सभ्यता व संस्कृति से भी पुरानी जींवत शहर मोक्षदायिनी काशी के गौरी श्रृंगार की पूजा को लेकर बहस छिड़ी है। काशी विश्वनाथ धाम का ही हिस्सा रहा श्रृंगार गौरी अब ज्ञानवापी मस्जिद में तब्दील है। लेकिन इसके अनुयायियों ने बाबा विश्वनाथ का ही हिस्सा बताते हुए मामले को न्यायालय पहुंचा दिया है। न्यायालय के आदेश पर सर्वे किया जा रहा है। दो दिन के सर्वे के बाद हिन्दू पक्ष का दावा है कि उनका पक्ष मजबूत हो गया है। गुंबद की तरफ सर्वे के दौरान एक दीवार पर हिंदू परंपरा के आकार दिखे, जिसे सफेद चुने से रंग आ गया है, जिससे कहा जा सकता है कि दावे जल्द ही हकीकत में बदलेंगे। सूत्रों के मुताबिक, सर्वे के दौरान मंदिरों के टूटे हुए शिखर के काफी टुकड़े मिले हैं.गंगा की कल-कल बहती धार व सुरीले संगीत का शहर है वाराणसी। चाय में घुलकर जिस तरह चीनी अपना अस्तित्व खो बैठती है, वैसी ही है बनारस की तासीर. अलौकिक मिजाज वाले शहर वाराणसी की सामाजिक समरसता देखकर बरबस ही ये बोल फूट पड़ते हैं- ’जियो रजा, ई बनारस हौ.’ वाराणसी इन दिनों अपनी गंगा-जमुनी तहजीब या कोई विशेषता या विरासत नहीं, श्रृंगार गौरी और ज्ञानवापी मस्जिद के विवाद की वजह से चर्चा में है. चर्चा की खास वजह है मां गौरी की पूजा। इनकी पूजा को लेकर मामला न्यायालय में है और न्यायालय के आदेश पर ही सर्वे किया जा रहा है। लगातार दूसरे दिन ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे किया गया। इस दौरान ज्ञानवापी मस्जिद के गुंबदों और दीवारों के अलावा पश्चिमी दीवार, नमाज स्थल व तहखाना के अंदर दोबारा सर्वे किया गया। इसके साथ ही तहखाने के अंदर एक कमरे में मलबा व पानी की वजह से सर्वे की कार्रवाई नहीं हो सकी, जिसके कारण 16 मई सोमवार को तीसरे दिन भी सर्वे किया जायेगा। एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह का कहना है कि रिपोर्ट गोपनीय है। दोनों पक्षों सहित प्रशासन भी पूरा सहयोग कर रहा है। जबकि दूसरे दिन के सर्वे के दौरान ज्ञानवापी मस्जिद में एक और चौथा कमरा मिला. जिस दरवाजे का यह ताला खोला गया, वो दरवाजा ज्ञानवापी मस्जिद के पीछे पश्चिमी दीवार पर है. बताया जाता है कि यह दरवाजा साढ़े तीन फीट का है, जिसके जरिए गुंबद तक जाया जा सकता है. इसके बाद सर्वे के लिए टीम गुंबद के पास पहुंची. यह दरवाजा हमेशा बंद रहता है लेकिन आज इसे खोला गया.
अब तक क्या मिला
ज्ञानवापी मस्जिद के तहखाने में सर्वे के दौरान दीवारों पर त्रिशूल और स्वास्तिक के निशान दिखे हैं। इनकी बनावट शैली का कोर्ट कमिश्नर व अधिवक्ताओं ने आकलन किया। सूत्रों के अनुसार एक तहखाने में मगरमच्छ का शिल्प देख सभी दंग रह गए। तहखाने में मंदिर शिखर का अवशेष भरा होने के कारण सर्वे में दिक्कत भी आई।
पहले नहीं था मंदिर-मस्जिद का विवाद
काशी करवट मंदिर के महंत पं. गणेश शंकर उपाध्याय बीते दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि 1992 के पहले तो कोई मंदिर-मस्जिद का विवाद नहीं था। मुझे आज भी याद है कि हम लोग बड़े आराम से ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में खेलने कूदने के लिए जाया करते थे। किसी तरह की रोकटोक नहीं थी। सीढ़ियों से उतरकर ग्राउंड फ्लोर में एक बड़ा हॉल था और उसमें कई खंभे थे। महंत ने बताया कि सीढ़ी के बगल वाले कमरे में भोला यादव की कोयले की दुकान थी और उसके बगल में चूड़ी की दुकान थी। वह पूरे मोहल्ले को हर तीज-त्योहार पर घर-घर चूड़ी पहनाने जाया करती थी। इसके बाद नंदी के मुंह के ठीक सामने व्यास जी का कमरा था जहां वह अपना व्यासपीठ का सामान रखा करते थे।मस्जिद के हर हिस्से में जाते थे हिंदू
केदारनाथ व्यास के छोटे भाई चंदर व्यास चबूतरे के ऊपर चढ़कर जाते थे। पीछे जो दरवाजा है वह ऊपर जाता है और वह खुलता भी था, मस्जिद के हर हिस्से में हिंदू जाते थे किसी तरह का कोई प्रतिबंध नहीं था। अक्सर हम लोगों की पतंग कटकर जाती थी तो हम लोग उसे लेने जाते थे। ज्ञानवापी परिसर की पौराणिकता की बात हो रही है तो बता दें कि वहां पर ज्ञानोदक तीर्थ था। इसको फिर से ज्ञानोदक तीर्थ बनाया जाए। जो भी लोग काशी का वर्णन गलत तरीके से कर रहे हैं उनको भैरव-भैरवी की यातना झेलनी पड़ेगी, इसलिए पहले काशी को जानें फिर उसके बारे में वर्णन करें।
ज्ञानवापी पहुंच गए थे ज्ञानी जैल सिंह
महंत परिवार के महेश उपाध्याय ने बताया कि उनको वह वाकया आज भी याद है जब ज्ञानी जैल सिंह बतौर गृहमंत्री बाबा विश्वनाथ का दर्शन करने आए थे। जब उन्होंने छत्ताद्वार से प्रवेश किया तो वह मस्जिद को ही मंदिर समझकर अंदर आ गए थे। उनके साथ एसएचओ चौक भी थे लेकिन वह पीछे-पीछे थे। मैंने उनको पहचान लिया था और लोगों को बताया। इसी दौरान मस्जिद के मौलवी ने उनको बताया कि यह मस्जिद है और मंदिर अभी आगे है। इसके बाद वह मस्जिद से निकलकर मंदिर में गए।
तुष्टिकरण की नतीजा: गिरीराज
ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि बंटवारे के समय प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू को चाहिए था कि आक्रांताओं की सारी निशानी मिटा देते, लेकिन उन्होंने तुष्टिकरण की राजनीति के लिए काशी, मथुरा और अयोध्या के विवाद को बनाए रखा. यही नहीं, नेहरू ने औरंगजेब और बाबर के नाम पर सड़क भी रखी. उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के लिए नेहरू को ही जिम्मेदार ठहराया है.
काशी में मंदिर-मस्जिद विवाद
1991- स्वयंभू विश्वेश्वर नाथ मंदिर की तरफ से मामला दर्ज हुआ. प्लाट संख्या 9130 मौजा शहर खास के दो हिस्सों का हवाला दिया गया. नौबतखाना और मस्जिद के दावे पर सवाल उठाए गए. मंदिर की जगह पर मस्जिद बनी होने का दावा किया गया. अदालत ने प्लेसेज ऑफ वरशिप एक्ट का ज़िक्र किया. इसके बाद सिविल जज ने मुकदमा ख़ारिज कर दिया. इसके खिलाफ पुनरीक्षण अर्जी मंजूर कर ली गई. ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे की मांग उठी. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सर्वे पर रोक लगा दी.
अदालत में ज्ञानवापी मस्जिद विवाद
1936 में पहली बार मुकदमा दर्ज हुआ. वाराणसी ज़िला अदालत में याचिका दी गई. दीन मोहम्मद ने याचिका दायर की थी. परिसर को मस्जिद की ज़मीन घोषित करने की मांग की गई. 1937 में अदालत ने फैसला सुनाया था. दीन मोहम्मद का दावा खारिज हुआ. विवादित स्थल पर नमाज पढ़ने की अनुमति मिली. 1991 में स्वयंभू विश्वेश्वर नाथ मंदिर की तरफ से मामला दर्ज कराया गया. मंदिर की जगह पर मस्जिद का दावा किया गया.
हिंदू पक्ष की 3 बड़ी मांगें
मंदिर का हिस्सा घोषित हो ज्ञानवापी परिसर
मुस्लिमों के आने पर प्रतिबंध लगे
मंदिर का पुनर्निर्माण हो
ज्ञानवापी में वीडियोग्राफी क्यों?
कोर्ट के आदेश के बाद सर्वेक्षण हो रहा है. दोनों तहखानों का भी सर्वे होगा. वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी होगी. वीडियोग्राफी के लिए कमिश्नर नियुक्त किए गए थे. मस्जिद के नीचे अवशेष का पता चल सकेगा. मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने की जानकारी मिलेगी. ऐसे ही फैसले से राम मंदिर का रास्ता साफ हुआ था. अयोध्या में मंदिर के अवशेष की जानकारी मिली थी.
क्या है श्रृंगार देवी विवाद?
अगस्त 2021 में 5 महिलाओं ने मुकदमा दाखिल किया. मस्जिद परिसर में मौजूद श्रृंगार देवी के रोजाना दर्शन की मांग की. वाद स्वीकारते हुए जज ने कोर्ट कमीश्नर की नियुक्ति की. कोर्ट ने मस्जिद परिसर की वीडियोग्राफी का आदेश दिया.
श्रृंगार देवी विवाद में अब तक क्या हुआ?
अगस्त 2021- रोजाना पूजा की अनुमति मांगी
8 अप्रैल 2022- कोर्ट ने सर्वे के आदेश दिए
8 अप्रैल 2022- अजय मिश्रा कोर्ट कमिश्नर नियुक्त
6 मई 2022- ज्ञानवापी परिसर में सर्वे शुरु
7 मई 2022- मुस्लिम पक्ष ने सर्वे का विरोध किया
7 मई 2022- कोर्ट कमिश्नर बदलने की मांग
7 मई 2022- वीडियोग्राफी नहीं हो पाई
9 मई 2022- कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा
9 मई 2022- सर्वे की नई तारीख पर सुनवाई
10 मई 2022- अगले दिन के लिए सुनवाई टली
11 मई 2022- सुनवाई पूरी, फैसला सुरक्षित रखाट
12 मई 2022- कोर्ट कमिश्नर बदलने की मांग खारिज
12 मई 2022- दोबारा सर्वे शुरु करने के आदेश
--सुरेश गांधी--
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