बर्लिन, 02 मई, भारत एवं जर्मनी ने परस्पर हरित एवं टिकाऊ विकास साझीदारी की शुरुआत की घोषणा करने के साथ ही नवीकरणीय ऊर्जा, समग्र प्रव्रजन एवं गतिशीलता, उच्चस्तरीय कारपोरेट प्रशिक्षण, ग्रीन हाइड्रोजन, कृषि पारिस्थिकी तथा वनीकरण समेत आठ क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को आगे बढ़ाने के समझौतों पर आज दस्तखत किये। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज यहां जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़ के साथ भारत जर्मनी अंतरसरकारी परामर्श की छठवीं बैठक की सह अध्यक्षता की जिसमें ये फैसले लिये गये। बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शामिल थे। बैठक के बाद प्रधानमंत्री श्री मोदी और चांसलर श्री शोल्ज़ ने हरित एवं टिकाऊ विकास साझीदारी की शुरुआत के घोषणापत्र के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किये। जबकि विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जर्मनी के विभिन्न मंत्रियों के साथ भारत जर्मनी नवीकरणीय ऊर्जा साझीदारी, दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच गुप्त सूचनाओं के कूटबद्ध आदान प्रदान के करार तथा तीसरे देशों में त्रिपक्षीय विकास सहयोग परियोजनाओं के क्रियान्वयन के समझौतों पर दस्तखत किये गये। विदेश सचिव विनय मोहन क्वात्रा ने समग्र प्रव्रजन एवं गतिशीलता तथा उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन सचिव अनुराग जैन ने भारतीय कारपोरेट एक्ज़ीक्यूटिव्स के प्रशिक्षण के करार पर हस्ताक्षर किये। इसी अवसर पर वीडियो लिंक के माध्यम से ग्रीन हाइड्रोजन, कृषि पारिस्थिकी तथा वनीकरण के क्षेत्र में सहयोग के लिए क्रमश: ऊर्जा मंत्री आर के सिंह, कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र यादव ने हस्ताक्षर किये। जर्मनी में चांसलर शोल्ज़ के पदभार संभालने के बाद इस पहली अंतरसरकारी परामर्श बैठक में दोनों पक्षों के बीच यूक्रेन-रूस के बीच युद्ध तथा हिन्द प्रशांत क्षेत्र को खुला एवं शांतिपूर्ण बनाये रखने के मुद्दे पर भी वैचारिक आदान प्रदान हुआ। भारत ने रूस यूक्रेन युद्ध के कारण विश्व भर में खाद्यान्न एवं तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण आम आदमी के जीवन पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों पर गहरी चिंता जतायी और दोनों पक्षों से युद्ध तुरंत रोकने का आह्वान किया। बैठक के बाद दोनों देशों ने एक संयुक्त वक्तव्य भी जारी किया जिसमें दोनों ने कार्बन उत्सर्जन के कारण तापमान में अभिवृद्धि तय सीमा दो प्रतिशत की बजाय डेढ़ प्रतिशत तक रखने का प्रयास करने का संकल्प दोहराया।
संयुक्त वक्तव्य में जर्मनी ने यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा की लेकिन भारत ने इस वाक्य से परहेज किया हालांकि यूक्रेन में मानवीय संकट को लेकर जर्मनी के साथ एक स्वर में चिंता साझा की और नागरिकों की मौत की निंदा की। दोनों पक्षों ने हिंसा काे तुरंत बंद करने, अंतरराष्ट्रीय कानून का पालन करने तथा सभी देशों की संप्रभुता एवं प्रादेशिक अखंडता का पालन करने की आवश्यकता पर बल दिया। बैठक के बाद में प्रेस वक्तव्य में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि आज की भारत-जर्मनी आईजीसी दर्शाती है कि दोनों ही देश इस महत्वपूर्ण साझीदारी को कितनी प्राथमिकता दे रहे हैं। लोकतांत्रिक देशों के तौर पर भारत और जर्मनी कई मूल्यों को साझा करते हैं। इन साझा मूल्यों और साझा हितों के आधार पर पिछले कुछ वर्षों में हमारे द्विपक्षीय संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। श्री मोदी ने कहा कि वर्ष 2019 में हुई पिछली आईजीसी के बाद से विश्व मे महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं। कोविड-19 महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव डाला है। हाल की भूराजनीतिक घटनाओं ने भी दिखाया कि विश्व की शांति और स्थिरता कितनी नाजुक स्थिति में है, और सभी देशों के बीच अंतर संपर्क है। प्रधानमंत्री ने कहा, “यूक्रेन के संकट के आरम्भ से ही हमने तुरंत युद्ध-विराम का आह्वान किया और इस बात पर जोर दिया था कि विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत ही एकमात्र उपाय है। हमारा मानना है कि इस युद्ध में कोई विजयी पार्टी नहीं होगी, सभी को नुकसान होगा। इसीलिए हम शांति के पक्ष में है।” उन्होंने कहा कि यूक्रेन संघर्ष से उत्पन्न उथल-पुथल के कारण तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं, विश्व में खाद्यान्न और उवर्रक की भी कमी हो रही है। इस से विश्व के हर परिवार पर बोझ पड़ा है। विकासशील और गरीब देशों पर इसका असर और गंभीर होगा। इस संघर्ष के मानवीय दुष्प्रभावों से भारत बहुत ही चिंतित है। हमने अपनी तरफ से यूक्रेन को मानवीय सहायता भेजी है। हम अन्य मित्र देशों को भी अन्न निर्यात, तेल आपूर्ति और आर्थिक सहायता के माध्यम से मदद करने की कोशिश कर रहे हैं।
श्री मोदी ने कहा कि आज छठी आईजीसी में भारत-जर्मनी भागीदारी को ऊर्जा एवं पर्यावरण के क्षेत्रों में हमारे सहयोग को महत्वपूर्ण दिशानिर्देश दिया है। आज के निर्णयों का हमारे क्षेत्र और विश्व के भविष्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने हरित एवं टिकाऊ विकास साझीदारी की सराहना करते हुए कहा कि इस नयी साझीदारी के तहत जर्मनी ने वर्ष 2030 तक 10 अरब यूरो की अतिरिक्त विकास सहायता से भारत के हरित विकास योजनाओं को बल देने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने एक ग्रीन हाइड्रोजन कार्यबल भी बनाने का निर्णय लिया है। दोनों देशों मे ग्रीन हाइड्रोजन के ढांचे को बढ़ाने में यह बहुत उपयोगी रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड पश्चता काल में भारत अन्य बढ़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले सबसे तेज़ वृद्धि देख रहा है। हमें विश्वास है कि भारत वैश्विक रिकवरी का महत्वपूर्ण स्तंभ बनेगा। हाल ही में हमने बहुत कम समय में यूएई तथा ऑस्ट्रेलिया के साथ व्यापार समझौतों पर हस्ताक्षर किये। यूरोपीय संघ के साथ भी हम मुक्त व्यापार करार (एफटीए) वार्ताओं में शीघ्र प्रगति के लिए प्रतिबद्ध हैं। भारत के कुशल कामगारों और प्रोफेशनल्स से कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं को लाभ मिला है। भारत और जर्मनी के बीच हो रहे समग्र प्रव्रजन एवं गतिशीलता साझीदारी करार से दोनों देशों के बीच आवाजाही सुगम बनेगी। जर्मन चांसलर ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारत जर्मनी के बहुत ही महत्वपूर्ण साझीदारों में से एक है। जर्मनी के लिए एशिया में भारत आर्थिक, सुरक्षा नीति, जलवायु एवं राजनीतिक विषयों में एक महाशक्ति है। उन्होंने कहा कि विश्व की प्रगति सही मायनों में तभी हो सकती है जब हम यह सुनिश्चित करें कि विश्व व्यवस्था अनेकों देशों द्वारा बहुपक्षीय प्रणाली पर आधारित होगी, ना कि कुछ ताकतवर देशों के इशारे पर चले। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बनने के बाद भारत एवं जर्मनी के सरकारों के बीच अंतरसरकारी परामर्श से बहुत खुशी हुई है। यह हमारे विशेष संबंधों की एक निशानी है। श्री शोल्ज़ ने कहा कि उन्होंने श्री मोदी को जून में होने वाली जी-7 शिखर बैठक के लिए आमंत्रित किया है। उन्होंने कहा कि वह वैश्विक मुद्दों पर भारत के साथ फोकस कर रहे हैं जिससे हमारे संबंध और प्रगाढ़ हुए हैं। श्री शोल्ज़ ने कहा कि हमारी बैठक की एक और बड़ी कामयाबी हरित एवं टिकाऊ विकास साझीदारी पर हस्ताक्षर रहे हैं जो आने वाले सुरक्षित एवं संरक्षित विश्व के लिए है। उन्होंने कहा कि रूस ने यूक्रेन पर हमला करके अंतरराष्ट्रीय कानूनों के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन किया है। यूक्रेन में युद्ध एवं मानवीय आबादी पर हिंसक हमले दिखाते हैं कि रूस किस प्रकार से संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र के बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन कर रहा है। इसलिए वह रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन से अपील कर रहे हैं कि वह इस खूनखराबे को बंद करें और यूक्रेन से अपनी सेना वापस बुलाएं।
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