इस्लामाबाद, छह मई, पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारी को तलब किया और उन्हें जम्मू-कश्मीर को लेकर भारत द्वारा गठित परिसीमन आयोग की रिपोर्ट को स्पष्ट रूप से अस्वीकार किए जाने की जानकारी दी। भारत सरकार ने परिसीमन आयोग को जम्मू-कश्मरीर के विधानसभा और संसदीय क्षेत्रों की सीमाओं को फिर से निर्धारित करने का काम सौंपा है। न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) रंजना देसाई की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय आयोग ने बृहस्पतिवार को केंद्र-शासित प्रदेश की विधानसभा सीटों की सीमाओं को फिर से निर्धारित करने से जुड़ी अपनी अंतिम रिपोर्ट पर दस्तखत किए। जम्मू-कश्मीर में परिसीमन आयोग का गठन मार्च 2020 में किया गया था। आयोग ने बृहस्पतिवार को अधिसूचित अपनी अंतिम रिपोर्ट में जम्मू क्षेत्र को छह, जबकि कश्मीर घाटी को एक अतिरिक्त विधानसभा सीट दी है। इसके बाद 90 सदस्यीय विधानसभा में जम्मू संभाग की 43 और कश्मीर की 47 सीटें होंगी। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने भारतीय दूतावास के अधिकारी को तलब किया। विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि भारतीय राजनयिक से कहा गया कि परिसीमन आयोग का मकसद जम्मू-कश्मीर की मुस्लिम बहुसंख्यक आबादी को ‘‘बेदखल करना और कमजोर बनाना’’ है। बयान में कहा गया है कि पाकिस्तान स्पष्ट रूप से जम्मू-कश्मीर पर बने तथाकथित परिसीमन आयोग की रिपोर्ट को खारिज करता है। बयान के अनुसार, भारतीय पक्ष से कहा गया कि यह पूरी कवायद हास्यास्पद थी और जम्मू-कश्मीर में सभी राजनीतिक दलों ने इसे पहले ही खारिज कर दिया था, क्योंकि इस कदम के जरिये भारत केवल पांच अगस्त 2019 के अपने अवैध कृत्य को ‘‘वैध’’ बनाना चाहता था। गौरतलब है कि भारत ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त कर दिया था, जिसका पाकिस्तान ने कड़ा विरोध किया था। उसने इस्लामाबाद में तैनात भारतीय उच्चायुक्त को भी निष्कासित कर दिया था, जिसके बाद से ही दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध तनावपूर्ण हैं। वहीं, भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से स्पष्ट रूप से कहा है कि देश की संसद द्वारा 2019 में अनुच्छेद-370 के अधिकतर प्रावधानों को समाप्त करना उसका आंतरिक मामला है।
शनिवार, 7 मई 2022
पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में गठित परिसीमन आयोग की रिपोर्ट खारिज की
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