बजट दरअसल विकास योजनाओं को गति देने,उसे निर्बाध संचालित करने की आर्थिक संरचना भर है।अगर केवल धन से ही विकास होता तो उत्तरप्रदेश में जाने कितने बजट अलग-अलग सरकारों के स्तर पर पेश हुए हैं और सबका आर्थिक आकार पहले से बड़ा रहा है । इस लिहाज से विकास हुआ होता तो आज उत्तर प्रदेश की तस्वीर कुछ और होती।वहीँ प्रति व्यक्ति आय देश में सर्वाधिक होती। हर शहर अपने में बेहद स्मार्ट होता। हर गांव विकास के मायने में आदर्श होता। गांवों को गोद लेने की अपील नहीं करनी पड़ती। पूर्व की सरकारों में हर विभाग के लिए बजट तो जारी हो जाता था लेकिन वह खर्च ही नहीं हो पाता था। मार्चमें उसे खर्च करने की आपाधापी मचती थी।संतोष किया जा सकता है कि इस सरकार में बजट लैप्स होने के मामले घटे हैं लेकिन भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस शत-प्रतिशत पूरा नही हो सका है। विकास के लिए विजन जरूरी होता है। ईमानदारी जरूरी होती है। भ्रष्टाचार की एक मछली व्यवस्था के समूचे तालाब को गंदा कर देती है।इस बात पर भी गौर करने की जरूरत है।इस बजट के जरिए सरकार ने जहां हर क्षेत्र में विकास के अवसर तलाशने का काम किया है,वहीं अपने एजेंडों को आगे बढ़ने का सम्यक प्रयास भी वह इस बजट में शिद्दत के साथ करती नजर आती है।धार्मिक स्थलों के विकास और वहां अवस्थापना सुविधाओं के विकास में धन की कमी आड़े न आने देने का उसका संकल्प इस बजट में बखूबी प्रतिध्वनित होता है। बजट में सत्तारूढ़ दल की कोशिश सबका साथ और सबका विकास की होती है और विपक्ष की कोशिश उसे सिरे से खारिज करने की होती है। सारा खेल दरअसल श्रेय और प्रेय का है।और इस खेल में अब न चूक चौहान की मुद्रा में सभी होते हैं। उत्तरप्रदेश विधानसभा में एक दिन पहले अखिलेश यादव और केशव मौर्य को नसीहतों की घुट्टी पिलाने वाले योगी आदित्यनाथ का दोस्ताना अंदाज यह बताने के लिए काफी था कि राजनीति में कोई भी भाव स्थायी नही होता। वहां जब जैसा तब तैसा का सिद्धांत ही काम करता है। वैसे यह तो माना ही जाएगा कि योगी सरकार ने भारी-भरकम बजट के जरिए आर्थिक विकास का मास्टर स्ट्रोक जड़ दिया है।साथ ही यह भी बताने-जताने की कोशिश की है कि वर्ष 2016-17 में पेश तत्कालीन अखिलेश सरकार के 3.46 लाख करोड़ के बजट से यह 2 गुना बड़ाहै।
इस बजट मे
युवाओं की शिक्षा, रोजगार, महिलाओं और किसानों के सशक्तिकरण, कानून-व्यवस्था के साथ-साथ राज्य के चहुंमुखी विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है। योगी सरकार का पिछला बजट 5,50,270.78 करोड़ रुपये का था। मौजूदा बजट में 27,598.40 करोड़ रुपये की नई योजनाएं भी शामिल की गई हैं। योगी सरकार प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना चाहती है और इसके लिए वह निरंतर प्रयासरत भी है। विगत दो साल कोरोना की भेंट चढ़ चुके हैं। इसके बाद भी इतना बड़ा बजट लाना साहस का काम है।इस बजट में गाँव-गरीब और किसान और मजदूर की चिंता तो है ही,शिक्षा और स्वास्थ्य पर भी सरकार का विशेष फोकस है।इस बजट में युवाओं और महिलाओं के लिए भी बहुत कुछ खास है।आयुर्वेदिक और प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति को आगे बढ़ने का सरकार का संकल्प भी इस बजट में प्रमुखता से नजर आता है।
किसानों के भुगतान पर घेरने वालों को भी सरकार ने मुहतोड़ जवाब दिया है।यह तो बताया ही है कि 2022 में उसने गन्ना किसानों का सर्वाधिक भुगतान किया है,साथ ही उत्तर प्रदेश के शेष गन्ना किसानों को भुगतान के लिए 1000 करोड़ का प्रस्ताव किया है। मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना के तहत 34,307 सरकारी नलकूपों और 252 छोटी शाखा नहरों के साथ-साथ 1000 करोड़ रुपये के माध्यम से किसानों को मुफ्त सिंचाई सुविधा का भी बजटीय प्रस्ताव दियाहै। मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के तहत किसानों के लिए 650 करोड़ रुपये के दुर्घटना बीमा का प्रस्ताव किया है। योगी सरकार ने भी पीएम गति शक्ति योजना के तहत मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी परियोजनाओं के लिए 897 करोड़ रुपये और मेरठ से प्रयागराज तक 594 किलोमीटर लंबे 6-लेन गंगा एक्सप्रेसवे के लिए 34 करोड़ रुपये प्रस्तावित किया है। आधी आबादी की सुरक्षा किसी भी प्रदेश के लिए बड़ी चुनौती होती है। उत्तरप्रदेश के सभी 75 जिलों के समस्त 1535 थानों पर महिला हेल्प डेस्क बनाना ,2,740 महिला पुलिस कार्मिकों को 10,370 महिला बीटों का आवंटन ,3 महिला पीएसी बटालियन लखनऊ, गोरखपुर तथा बदायूँ निश्चित रूप से बड़ी पहल है।इसका स्वागत किया जाना चाहिए। सभी जनपदों में जनपद स्तर पर साइबर हेल्प डेस्क स्थापना और महिला सामर्थ्य योजना हेतु 72 करोड़ 50 लाख रुपये की व्यवस्था,महिलाओं की सुरक्षा एवं सशक्तिकरण तथा कौशल विकास हेतु 20 करोड़ की व्यवस्था का स्वागत किया जाना चाहिए। 2025 में प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ की तैयारी के लिए 100 करोड़ रुपए के बजट की व्यवस्था की है।
सरकार ने केन्द्र स्मार्ट सिटी के तहत चयनित 10 शहरों के लिए 2000 करोड़ और राज्य स्मार्ट सिटी में चयनित 7 शहरों के लिए 210 करोड़ रुपए की व्यवस्था कर जहां प्रदेश के समग्र विकास को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की है,,वहीं- स्वच्छ भारत मिशन योजना के लिए 1353 करोड़ 93 लाख रुपए का बजट प्रस्तावित कर स्वच्छता अभियान को भी गति देने का प्रयास किया है। प्रधानमंत्री आवास योजना-सबके लिये आवास (शहरी) योजना के लिए 10,127 करोड़ 61 लाख रुपए का बजट देकर उसने डबल इंजन की सरकार की शक्ति का बोध कराया है। नगर पंचायतों के विकास के लिए सरकार ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय आदर्श नगर पंचायत योजना के तहत 200 करोड़ रुपए और मुख्यमंत्री नगरीय अल्प विकसित व मलिन बस्ती योजना के लिए बजट में 215 करोड़ रूपये की व्यवस्था की है। नलजल योजना की चिंता की है तो गौ संरक्षण का भी ध्यान रखा है। एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यस्था के लिए हमें दहाई के आंकड़े में विकास दर हासिल करनी होगी। इसमें संदेह नहीं कि सरकार इस दिशा में सोच भी रही है और बेहतर कर भी रही है लेकिन यह लक्ष्य तब तक पूरा नहीं होगा जब तक उसे जन-जन का साथ न मिले। भ्रष्टाचार और अपराध को रोककर ही इस दिशा में आशातीत सफलता प्राप्त की जा सकती है।बजट से सरकार की इच्छाशक्ति का पता चलता है। आगाज अच्छा है तो अंजाम भी बेहतर होगा। इतनी उम्मीद तो की ही जा सकती है।
सियाराम पांडेय'शांत'
-लेखक स्वतंत्र पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं।
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