संयुक्त राष्ट्र, 10 जून, भारत से गेहूं के निर्यात पर पाबंदी में जो अपवाद हैं, उनके चलते 2022-23 में निर्यात 70 लाख टन रहने का अनुमान है। यह बीते पांच साल में भारत के औसत निर्यात से अधिक होगा। संयुक्त राष्ट्र की खाद्य एजेंसी ‘द फूड ऐंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन (एफएओ) ने यह कहा। इन अपवादों में पहले तय हो चुकीं अनुबंध प्रतिबद्धताएं, सरकार से सरकार को बिक्री और खाद्य सुरक्षा के उद्देश्य से किया जाने वाला निर्यात शामिल है। एफएओ ने बृहस्पतिवार को खाद्य परिदृश्य जारी किया जिसमें कहा गया कि वैश्विक गेहूं बाजार 2022-23 का सत्र बहुत अधिक अनिश्चितता के बीच शुरू हो रहा है। इसमें कहा गया, ‘‘यूक्रेन में जारी लड़ाई, कई देशों में कारोबार नीति परिवर्तनों और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंची कीमतें गेहूं बाजार के परिदृश्य को आकार देंगे। खाद्य एजेंसी ने कहा कि गेहूं की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें 2008 के बाद अब इतनी बढ़ी हैं जिनका कारण है कुछ प्रमुख निर्यातक देशों में उपज की कमी से वैश्विक उपलब्धता कम होना, यूक्रेन और भारत समेत गेहूं निर्यात नहीं होना। इसके अलावा 2022-23 में आपूर्ति संबंधी चिंताओं के कारण भी दबाव बढ़ रहा है। वर्ष 2022 के लिए वैश्विक गेहूं उत्पादन 2021 के रिकॉर्ड स्तर से 0.8 फीसदी घटकर 77.1 करोड़ टन रहने का अनुमान है जो बीते चार साल में पहली गिरावट होगी। ऑस्ट्रेलिया, भारत, मोरक्को और यूक्रेन में साल-दर-साल आई गिरावट कनाडा, ईरान और रूस में अनुमानित बढ़त पर भारी पड़ेगी। इसमें कहा गया कि गेहूं के निर्यात पर भारत में पिछले महीने जो पाबंदी लगाई गई उससे 2022-23 में विदेशों में आपूर्ति प्रभावित होगी जबकि 2021-22 में देश की बाजार में हिस्सेदारी काफी बढ़ गई थी। हालांकि पहले की अनुबंध प्रतिबद्धताओं, सरकार से सरकार को बिक्री और खाद्य सुरक्षा उद्देश्यों को इस पाबंदी से छूट हासिल है और इनके तहत निर्यात 2022-23 में 70 लाख टन रहने का अनुमान है जो बीते पांच साल में भारत के औसत निर्यात से अधिक होगा।
शुक्रवार, 10 जून 2022
पाबंदी के बाद भी भारत से 70 लाख टन निर्यात का अनुमान : संरा
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