दाउदनगर: बिहार के जाने माने आरटीआई एक्टिविस्ट हैं शिव प्रकाश राय. एक्टिविस्ट शिवप्रकाश राय सूचना के अधिकार पर 2013 के आगे से ही काम कर रहे हैं.शानदार कार्य करने के उपरांत प्राप्त अनुभवों से कार्य का दायरा बढ़ाते हुए व्यापक नागरिक हितों की पूर्ति के लिए अपने सक्रिय साथियों से विचार विमर्श के उपरांत नागरिक अधिकार मंच के गठन की योजना बनायी. इस नागरिक अधिकार मंच के माध्यम से विविध तरीके से व्यापक नागरिक हितों की पूर्ति के लिए संघर्ष किया जा रहा है.इसी क्रम में शुक्रवार को दाउदनगर अंचल कार्यालय में सेवारत अंचलाधिकारी के साथ घटित गंभीर आपराधिक कृत्य करने वालों पर न तो प्राथमिकी दर्ज हुई और न ही किसी प्रकार की कार्रवाई ही हुई. कार्रवाई के दरम्यान अपराधियों के आर्म्स का लाइसेंस निरस्त करने तथा उन्हें उपलब्ध कराए गए सरकारी सुरक्षा गार्ड हटाए जाएं. एक्टिविस्ट शिव प्रकाश राय ने कहा कि मुख्यालय स्तरीय वरीय पुलिस अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद शुक्रवार को ही देर रात में प्राथमिकी दर्ज हो पाई है. जिला स्तरीय सभी अधिकारी केवल इसके लिए प्रयासरत रहे थे कि किसी तरह भी प्राथमिकी दर्ज नहीं होने पाए. इस मामले में यह पूछा जाना चाहिए कि अंचल अधिकारी दाउदनगर के द्वारा 15 जून को समर्पित प्राथमिकी आवेदन पर आखिर 17 जून की रात में प्राथमिकी दर्ज क्यों हुई. इस बीच कौन-कौन अधिकारी हैं जो उसे बचाने के लिए अनवरत प्रयासरत रहे? थानाध्यक्ष का हवाला देकर लोग मुख्यालय स्तरीय अधिकारियों को गलत सूचना देते रहे कि आवेदक द्वारा प्राथमिकी आवेदन वापस ले लिया गया है, जबकि अंचल अधिकारी दाउदनगर प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए लगातार प्रयासरत थे. वरीय अधिकारियों को गलत सूचना देने पर थानाध्यक्ष पर क्या कार्रवाई की गई ? प्रकाश चंद्रा से जिले और दाऊदनगर अनुमंडल के सभी वरीय अधिकारियों के संबंधों की जांच की जानी चाहिए कि आखिर वे किस अहसान के तले दबे होने के कारण अपने सबॉर्डिनेट के साथ आपराधिक कृत्य कारित करने के बावजूद प्राथमिकी आवेदन में आरोपी बने प्रकाश चंद्रा के पक्ष में बचाव के लिए ढाल बन कर दीवार की तरह खड़े थे ?
मंगलवार, 21 जून 2022
बिहार : 15 जून की आवेदन पर 17 जून की रात में प्राथमिकी क्यों?
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