यह योजना परिलब्धियों और भुगतान के मामले में उदार और आकर्षक दोनों है। सेवा से मुक्त होने पर, अग्निवीर एक विशेष योग्यता प्रमाणपत्र के धारक के रूप में नागरिक समाज में वापस आ जाएंगे और देश भर में उपलब्ध आत्मविश्वास से परिपूर्ण और अनुशासित मानव संसाधनों की रीढ़ बन जाएंगे। वैकल्पिक नौकरियों में प्लेसमेंट सहित समाज और आजीविका में उनका एकीकरण सक्रिय रूप से सुगम होगा, जिसमें उच्च शिक्षा के लिए क्रेडिट भी शामिल है। चौथे वर्ष में प्रति माह 40000 रुपये का एक समग्र पैकेज पाने के अलावा, उनमें से प्रत्येक को 11.71 लाख रुपये सेवा निधि पैकेज के माध्यम से, जिसमें उनके मासिक वेतन के 30 प्रतिशत के योगदान का मिलान सरकार द्वारा समान राशि से किया जाएगा। वास्तव में, उनके पास व्यक्तिगत बचत के अलावा, सेवा के बाद अपने सपनों को पूरा करने के लिए, आयकर से मुक्त एक बड़ी एकमुश्त राशि होगी। उन्हें 48 लाख रुपये का जीवन बीमा कवर, मृत्यु के मामले में 44 लाख रुपये का अनुग्रह भुगतान और मृत्यु के मामले में शेष 4 साल की सेवा के लिए भुगतान मिलेंगे, जो बड़े प्लस पॉइंट हैं। 100/75/50 प्रतिशत विकलांगता के लिए क्रमशः 44/25/15 लाख रुपये का विकलांगता मुआवजा सबसे अधिक आश्वस्त करने वाला है। भारत सरकार की यह पथ-प्रदर्शक पहल युवा, देशभक्त, शारीरिक रूप से फिट और अत्यधिक प्रेरित युवाओं की नियमित भर्ती और रोजगार का अवसर को खोल देगी, जो गर्व के साथ वर्दी पहनना चाहते हैं और कम समय के लिए राष्ट्र की सेवा करना चाहते हैं। इस साल कुल मिलाकर 46,000 अग्निवीरों की भर्ती की जाएगी। सैनिकों के लिए 17 साल की "कलर सर्विस" के परिणामस्वरूप एक अनुभवी और कठोर युद्ध क्षमता वाली सेना हो सकती है, लेकिन इसने एक उम्रदराज सेना भी बनाई जिसमें 60 प्रतिशत से अधिक पुरुष 30 वर्ष से अधिक आयु के हैं।
उदाहरण के तौर पर, यह ध्यान देने योग्य है कि 1978 में भारतीय सेना अन्य रैंकों (ओआर) के स्तर पर वर्तमान की तुलना में अधिक युवा थी, जिसमें कुल 8,45,025 पुरुषों में से 72.6 प्रतिशत सिपाही और 1.6 प्रतिशत सूबेदार थे। आज सिपाहियों की संख्या 40 प्रतिशत से नीचे गिर गई है। खासकर अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जब शारीरिक रूप से जोरदार तैनाती की बात आती है, तो ऐसे में यह एक वांछनीय मिश्रण नहीं है। भारत के सशस्त्र बलों को छरहरा, फिटर और अधिक युवा होने की जरूरत है। वर्तमान में, नियमित पदोन्नति के कारण जूनियर कमीशंड अधिकारियों (जेसीओ) और समकक्ष रैंकों की संख्या आनुपातिक रूप से अधिक है। केवल सशस्त्र बलों को युवा रखने के लिए अधिक से अधिक संख्या में भर्ती करना स्पष्ट रूप से टिकाऊ नहीं है। अग्निपथ योजना युवा रंगरूटों की निरंतर भर्ती सुनिश्चित करते हुए इनकी कुल संख्या को नियंत्रित रखने में मदद करेगी। दुनिया की सभी प्रमुख सेनाएं सुधार के दौर से गुजर रही हैं। कर्मियों की संख्या में कमी और आधुनिक हथियारों और उपकरणों पर पूंजीगत व्यय बढ़ाने पर जोर देने की ओर रुझान है। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने 1980 के दशक के बाद से बड़े पैमाने पर विमुद्रीकरण किया, आधुनिकीकरण पर ध्यान देने के साथ, कुल संख्या 4.5 मिलियन से घटाकर लगभग 2 मिलियन कर दी। आज भारतीय सशस्त्र बलों के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक कुल मिलाकर बजटीय बाधा है। यह इस तथ्य के बावजूद है कि मोदी सरकार ने विशेष रूप से पूर्वी लद्दाख में चीनी आक्रमण के बाद सशस्त्र बलों को आवश्यक हथियार और उपकरण उपलब्ध कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अत्यधिक वेतन और पेंशन बिलों ने सैन्य आधुनिकीकरण के लिए धन की उपलब्धता पर भारी दबाव डाला है। भारत में अग्निपथ योजना का उद्देश्य पेंशन और ग्रेच्युटी पर समग्र बोझ में कमी लाने के साथ ही सशस्त्र बलों की एक युवा और तकनीक-प्रेमी प्रोफ़ाइल सुनिश्चित करना है।
हालांकि मनुष्य अब भी युद्ध के केंद्र में बना हुआ है परन्तु डिजिटल युग में संपर्क रहित युद्ध यह सुनिश्चित करता है कि भविष्य के युद्ध कुछ अलग ही तरीके से लड़े जाएंगे जिसमे कृत्रिम बुद्धिमत्ता, स्वचालित प्रणालियों , स्टैंड-ऑफ हथियारों, साइबर स्पेस और अंतरिक्ष-आधारित बुद्धिमत्ता निगरानी और सैन्य सर्वेक्षण (इंटेलिजेंस सर्विलांस एंड रीकानसन्स _ आईएसआर) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं I अपनी तकनीकी पृष्ठभूमि के चलते अग्निवीर भारतीय सशस्त्र बलों में कुशलता के कई अतिरिक्त सेट डालेंगे और इसके अलावा सैन्य सेवा औसत में भी 4-5 वर्ष कम हो सकेंगे । दुनिया भर के कई आधुनिक सशस्त्र बलों में सक्रिय और आरक्षित सेवा के विकल्पों के साथ सेवा अवधि 2 से 8 वर्ष तक होती है । यह तर्क खोखला है कि छोटी अवधि की सेवा प्रशिक्षण, मनोबल और प्रतिबद्धता से समझौता कर सकती है। इज़राइली सेना में पुरुषों और महिलाओं के लिए क्रमशः 30 महीने और 22 महीने की सेवा अवधि है उसके बाद भी उसे दुनिया में सर्वश्रेष्ठ सेनाओं में से एक होने की प्रतिष्ठा प्राप्त है। संयुक्त राज्य अमेरिका ( यूएस ) और ब्रिटेन ( यूके ) में भी कम अवधि के सेवा अनुबंध हैं। फ्रांस में विशेषज्ञता के आधार पर एक से दस साल के बीच की छोटी अवधि के अनुबंध भी हैं। अग्निवीरों के लिए ऐसा प्रशिक्षण कई विश्व स्तरीय सशस्त्र बलों में प्रचलित समय सीमा के बराबर होगा।
अग्निपथ योजना के परिणामस्वरूप समाज के लिए एक हिंसक संकट खडा कर देने वाले युवा सैनिकों को विस्थापित करने की आशंका गलत है। अपनी आयु के 30 वर्ष वाले दशक में सेवा मुक्त होने वाले सैनिक अनिवार्य " वर्दीधारी सेवा " के अंत में नियमित रूप से सेना छोड़ देते हैं और समाज के लिए कैसा भी खतरा नहीं बनते हैं। यह मानने का कोई कारण नहीं है कि बेहतर कौशल-सेट और प्रेरणा वाले छोटे लोगों को भी अलग तरह से व्यवहार करेंगे । राष्ट्रीय राइफल्स ( आरआर ), गार्ड्स और पैराशूट रेजिमेंट जैसी विभिन्न सैन्य इकाइयों की एआईएसी संरचना ने अभी तक अच्छा काम किया है। ऐसा कोई कारण नहीं है कि भारतीय सेना की विभिन्न रेजिमेंटों में पूरे भारत से अग्निवीरों का समावेश उसी प्रकार समान रूप से न चल पाए । अग्निपथ योजना का एक बड़ा लाभ यह है कि यह युवाओं के लिए असंख्य अवसरों को खोलेगा और असैन्य-सैन्य संलयन को बढ़ावा देगा और इसके साथ ही सेवा से बाहर आने वाले युवा भारतीय सशस्त्र बलों की सर्वश्रेष्ठ रेजिमेंटल परंपराओं के योग्य प्रतिनिधि भी बनेंगे। औपनिवेशिक युग के दौरान, ब्रिटिश जानबूझकर अक्सर फूट डालो और राज करो की नीति का उपयोग करते थे ताकि सशस्त्र बलों सहित, उनके हितों के साथ जुड़ने करने वाले हित समूह तैयार किए जा सकें। एआईएसी के माध्यम से बनने वाली मिश्रित रेजिमेंट निश्चित रूप से बदलते समय के अनुरूप हैं। भारतीय सशस्त्र बलों को साथ लेकर चलते हुए राष्ट्रीय एकता, सौहार्द और संबंध, जाति, समुदाय, धर्म, भाषा या प्रांतीय संबद्धता पर नहीं बल्कि एक देशभक्त भारतीय होने की अधिक न्यायसंगत धारणा पर आधारित होने चाहिए। अग्निपथ योजना उस आवश्यकता को समग्रता में पूरा करती है।
सुजान आर. चिनॉय
(लेखक मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस के महानिदेशक हैं; व्यक्त किए गए विचार व्यक्तिगत हैं I )
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