बिहार में एक जाति है यादव। इस जाति के बड़े हिस्से को एक बीमारी लग गयी है। बीमारी का नाम है – तेजस्वी सरकार। इस जाति का युवा रात में सोते समय सपना देखता है कि कल सुबह तेजस्वी यादव को सीएम पद का शपथ ग्रहण होने वाला है। लेकिन अगली सुबह लगता है कि किसी ने छल कर दिया, इसलिए सरकार नहीं बनी। फिर नये सपने बुनने में जुट जाता है। बुधवार को दोपहर बाद से इस सपने को नया पंख मिल गया। लोगों को लगने लगा है कि तेजस्वी सरकार जल्दी भी बनने वाली है। नीतीश सरकार के दिन गिनती के रह गये हैं। यह चर्चा खटाल से चौपाल तक हर जगह है। बुधवार को सुबह काफी देर तक बारिश होती रही। इस कारण करीब दो बजे हम विधान सभा पहुंचे। रास्ते में घंटी सुनायी दे रही थी। भोजनावकाश के बाद बैठक शुरू होने वाली थी। जब हम स्पीकर चैंबर के सामने पहुंचे तो कई राजद विधायक खड़े थे। उनके चेहरे पर खुशी थी। यह समझ में नहीं आया कि स्पीकर चैंबर के सामने खड़े विधायकों के चेहरे क्यों चमक रहे हैं। इसी बीच एक साथी ने सूचना दी कि राजद सदस्यों की संख्या विधान सभा में 76 से बढ़कर 80 हो गयी है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव उन विधायकों के साथ स्पीकर से मुलाकात कर रहे हैं। हमें यह समझ में नहीं आया कि ये कौन चार लोग हैं। हम वालों ने तो नहीं चौकी बदल ली। इस बीच हम पत्रकार दीर्घा में पहुंचे। सदन में पूर्व सीएम जीतन राम मांझी अपने कुनबे के साथ मौजूद थे। इसके बाद दिमाग ठनका कि चार लोग हैं कौन, जिनको लेकर तेजस्वी यादव स्पीकर से मुलाकात कर रहे थे। सदन में स्पीकर के आने और कार्यवाही शुरू होने के बाद हम प्रेस रूम में आये। तब किसी ने बताया कि औवेसी वाली पार्टी के चार विधायकों ने स्पीकर से मुलाकात कर राजद में विलय का प्रस्ताव दिया है। पार्टी प्रमुख अखतरुल ईमान को छोड़ शेष लालटेन को रौशन करने की तैयारी कर रहे हैं। सदन की कार्यवाही सवा पांच बजे समाप्त हो गयी। इसके बाद मुख्य सचेतक ललित यादव, समीर महासेठ और भूदेव चौधरी स्पीकर और सचिव के कक्ष में फेरी लगाते रहे, लेकिन स्पीकर विजय कुमार सिन्हा ने देर रात तक चार विधायकों के राजद में विलय को मंजूरी नहीं दी थी। मामले को गुरुवार तक टाल दिया। इस बीच एआईएमआईएम के नेता अखतरुल ईमान ने वीरेंद्र यादव न्यूज के साथ बातचीत में कहा कि इस बार चार जीताकर लाये थे, अगली बार चालीस जीताकर लायेंगे। उन्होंने कहा कि अगले लोकसभा और विधान सभा चुनाव में अधिकतर सीटों पर पार्टी उम्मीदवार देगी। विधानमंडल के गलियारे में भागदौड़ के क्रम में उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद से मुलाकात हो गयी। उनसे जीएसटी परिषद की बैठक लेकर को थोड़ी चर्चा हुई और फिर हम सत्ता पक्ष लॉबी में चले गये। उधर विधायकों के साथ बातचीत यह बात सामने आयी कि जब विपक्ष की ओर से कटौती प्रस्ताव मूव भी नहीं किया गया तो इस विषय पर बहस और वोटिंग का क्या औचित्य है। बिना विपक्ष के कटौती प्रस्ताव के मतदान का क्या औचित्य है। वहां से निकले तो एक पत्रकार साथी से मुलाकात हो गयी। उनसे चर्चा करते हुए हमने कहा कि एक कहावत है कि बड़ी मछली छोटी मछली खा जाती है। इस विधान सभा में ‘मछली न्याय’ का पर्व चल रहा है। सबसे पहले जदयू बसपा और लोजपा को निगल गयी। उसके पास भाजपा वीआईपी के तीन विधायकों को गटक गयी। इस बार राजद ने एआईएमआईएम के चार विधायकों को गटकने की पूरी तैयारी कर ली थी। मछली को प्रक्रिया की ‘कड़ाही’ में तल लिया गया था, लेकिन गटकने के रास्ते में विधानसभा सचिवालय ने कांटा चुभा दिया। यह कांटा अब राजद को भारी पडऩे लगा है। राजद ने सदन की कार्यवाही के बहिष्कार की घोषणा कर रखी है। यदि बहिष्कार को जारी रखा तो गुरुवार को नवागत चार सदस्यों के लिए सीट आवंटन संभव नहीं हो पायेगा। इसमें एक पेंच यह भी है कि विधान सभा सचिवालय कल कितने बजे तक विलय को मान्यता देता है या कानूनी विमर्श के नाम पर टाल देता है। इसमें भी राजद के प्राण अटके रहेंगे।
- जदयू 2, भाजपा 3 और राजद ने 4 विधायकों के गले में डाला है पार्टी का ‘फंदा’
--- वीरेंद्र यादव ---
वरिष्ठ संसदीय पत्रकार, पटना
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