पटना 12 जून, भाकपा-माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने बिहार विधानसभा के 24 जून से शुरू होने वाले सत्र में स्वास्थ्य विभाग को सदन के एजेंडे से एकदम बाहर कर देने पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है और कहा है कि इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण सवाल के प्रति किस प्रकार का नजरिया रखती है. उन्होंने कहा कि अभी कोरोना की मार खत्म नहीं हुई है, महामारी किसी न किसी रूप में जारी है. फिर से कोरोना का प्रकोप बढ़ रहा है और लोग एक बार फिर भय के साये में जी रहे हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग सरकार के एजेंडे में सर्वोपरि होना चाहिए था, लेकिन उसे शामिल ही नहीं किया गया. कहा कि कोविड के दूसरी लहर में हमने स्वास्थ्य व्यवस्था की लचर स्थिति को काफी करीब से देखा. हमारी पार्टी ने सरकार को इस संबंध में जमीनी रिपोर्ट सौंपी है. ऐसे भी लगातार खबरें प्रकाशित होती रहती हैं कि डाॅक्टरों-नर्सों और अन्य चिकित्साकर्मियों के आधे से अधिक पद खाली हैं. आशा कार्यकर्ताओं की हालत खराब है. लोग इलाज के अभाव में मर रहे हैं. लेकिन सरकार को इसकी तनिक भी चिंता नहीं है. अब चूंकि आगामी विधानसभा सत्र के कार्यक्रम में यह विभाग है ही नहीं, तो न तो सवाल पूछे जा सकते हैं और न सरकार को मजबूर किया जा सकता है. सरकार अपनी जवाबदेहियों से भाग रही है. भाकपा-माले विधायक दल सरकार की इस साजिश को बखूबी समझ रही है. हम कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग को जोड़ने व कार्य दिवस कम से कम 10 दिनों का करने की मांग करते हैं ताकि जनता के सवालों पर ठोस बातचीत हो सके.
रविवार, 12 जून 2022
बिहार : विधानसभा के आगामी सत्र में स्वास्थ्य विभाग एजेंडा में क्यों नहीं : माले
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