चंडीगढ़, 04 जून, हरियाणा का अपना विधानसभा भवन होने का सपना साकार होने जा रहा है और चंडीगढ़ प्रशासन इसके लिये भूमि देने के लिये तैयार हो गया है। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों के साथ विधानसभा भवन के लिये प्रस्तावित स्थलों पर दौरा किया और बाद में चर्चा के बाद इसे जल्द अंतिम रूप दिया जाएगा। चंडीगढ़ प्रशासन ने हरियाणा विधानसभा भवन के लिये रेलवे चौक से आई पार्क जाती सड़क पर दाईं ओर, कलाग्राम के सामने मजीमाजरा की ओर जाती सड़क तथा और राजीव गांधी आईटी पार्क के निकट की भूमि के विकल्प पेश किये हैं। हरियाणा का प्रस्तावित विधानसभा भवन अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित होगा। वर्तमान में पंजाब से बंटवारे के 55 साल बाद भी साझा विधानसभा भवन से ही काम चल रहा है लेकिन हरियाणा को इसमें उसके हिस्से के अनुसार जगह नहीं मिल पाई है। हरियाणा के हिस्से के लगभग 20 कमरों पर अभी भी पंजाब का कब्जा है। श्री गुप्ता ने इस सम्बंध में अनेक बार मामला पंजाब विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष उठा कर उनके हिस्से के कमरे उन्हें देने की मांग कर चुके हैं लेकिन इसमें सफलता हासिल नहीं हुई। हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ने इस बारे में प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति और लोकसभा अध्यक्ष को भी पत्र लिखे थे जिनमें सभी राज्यों और कुछ केंद्र शासित प्रदेशों के पास स्वतंत्र विधान भवन होने का उदाहरण दिया था। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना, उत्तराखंड और इसके अलावा कुछ ऐसे भी उदाहरण हैं, जहां पहले से विधानसभा भवन होने के बावजूद समय की मांग के अनुसार नये भवनों का निर्माण किया गया। राजस्थान विधानसभा का नवनिर्मित विधान भवन जयपुर में, गुजरात विधानसभा का गांधी नगर में, हिमाचल प्रदेश का धर्मशाला स्थित विधान भवन इसके प्रमुख उदाहरण हैं। इतना ही नहीं देश की राजधानी दिल्ली में भी आवश्यकताओं के अनुसार नया संसद भवन बनाया जा रहा है। उनके इस पत्रों पर सकारात्मक प्रतिक्रिया हुई। इस योजना में विपक्ष को भी शामिल करते हुये श्री गुप्ता ने इन पत्रों की एक प्रति विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा को भी भेजी थी। श्री गुप्ता ने पत्र में लिखा था कि 2026 में प्रस्तावित परिसीमन में हरियाणा में लोकसभा की 14 और विधानसभा की 126 सीटें होने का अनुमान है, लेकिन विधानसभा सदन इस समय 90 विधायकों के बैठने की ही व्यवस्था है। इसके अलावा एक भी विधायक के लिए स्थान बनाना यहां मुश्किल काम है। वर्ष 2026 के लिए मात्र पांच वर्ष का समय शेष है, इसलिए इस दिशा में अभी से विचार कर योजना बनानी होगी। इसके अलावा विधानसभा सत्र के दौरान मंत्रियों, समिति अध्यक्षों और विधायकों के बैठने का भी पर्याप्त स्थान नहीं है। पंजाब विधानसभा के लगभग सभी मंत्रियों को सत्र के दौरान उनके कार्यालय के लिए स्वतंत्र कमरों का प्रावधान है। हरियाणा विधानसभा में मुख्यमंत्री के अलावा किसी भी मंत्री या समितियों के अध्यक्ष के बैठने के लिए व्यवस्था नहीं है। इस कारण से समितियों की बैठकें सुचारू रूप से नहीं चल पा रही हैं। पत्रों के अनुसार हरियाणा विधानसभा सचिवालय में सेवारत करीब 350 अधिकारियों और कर्मचारियों के बैठने के लिए भी पर्याप्त स्थान नहीं है। एक कमरे में तीन से चार शाखाओं को समायोजित करना पड़ा है। दो प्रदेशों का साझा विधानभवन होने के कारण पार्किंग की भी समस्या है। सत्र के दिनों में यह समस्या और ज्यादा बढ़ जाती है।
रविवार, 5 जून 2022
हरियाणा अब बनाएगा चंडीगढ़ में अपना विधानसभा भवन
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