सिटिजन चार्टन में नगर निगम के स्तर पर शासन व्यवस्था में सुधार के लिये कुछ सुझाव भी दिये गये हैं। इन सुझावों में पारदर्शी और ठोस सार्वजनिक परामर्श तंत्र के निर्माण, नागरिक चार्टर, एक पारदर्शी और मजबूत सार्वजनिक परामर्श तंत्र पर विशेष जोर देने के साथ नगर निगम के स्तर पर शासन में सुधार के लिए सुझाव भी प्रस्तुत करता है, यह देखते हुए कि कई नीतियां और सार्वजनिक कार्यक्रम नियमों और विनियम को विकसित करने के समय नागरिकों को साथ लिए बिना परिणाम नहीं देते हैं। मेंम्बर सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट आरडब्ल्यूए की सविता सिंह ने कहा, ‘‘सभी स्थानीय समस्याओं का प्रभावी समाधान तभी निकाला जा सकता है जब क्षेत्र के नागरिकों को नीति के डिजायन और उसके क्रियान्वयन में शामिल किया जाए। इस चार्टर के जरिये दिल्ली के हर वार्ड में समस्याओं का समयबद्ध निदान सुनिश्चित करने के लिये प्रभावशाली रास्ते निकालने की तरफ प्रशासन का ध्यान दिलाये जाने का प्रयास किया गया है। हमें उम्मीद है कि अधिकारीगण इन मांगों तथा सुझाये गये समाधानों पर समुचित ध्यान देंगे। हमेशा की तरह, शहर का हर आरडब्ल्यूए नगर निगम के अधिकारियों और निर्वाचित पार्षदों के साथ सहयोग करने को तैयार है, बशर्ते कि यह सहभागिता शुरुआत में ही प्रारम्भ हो जाए, बाद में नहीं। ’’ ऊर्जा के महासचिव विंग कमांडर (सेवानिवृत्त) जे एस चड्ढा ने कहा ‘‘इससे पहले, वर्ष 2020 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान ऊर्जा ने ‘पीपुल्स ग्रीन मेनिफेस्टो’ जारी किया था। उसमें चुनाव के प्रत्याशियों के लिये दिल्ली को रहने योग्य, सांस लेने लायक और परिवहन योग्य बनाने की प्रतिज्ञा लेने सम्बन्धी 10 मांगें रखी गयी थीं। वर्ष 2020 में 10 मांगों वाले पीपुल्स ग्रीन मेनिफेस्टो से लेकर अब 21 मांगों वाला पत्र तैयार किया गया है। इसमें स्थानीय स्तर पर समस्याओं के सार्वजनिक पारदर्शिता के साथ समयबद्ध ढंग से समाधान का अधिक स्पष्ट सेट तैयार किया गया है। ऐसा करके ऊर्जा ने दिल्ली के नागरिकों की आकांक्षाओं को उन अधिकारियों के सामने रखने का काम पूरा कर दिया है जिनके पास शहर की समस्याओं के समाधान के उपाय मौजूद हैं। अब यह उन पर है कि वे नागरिकों की मांग को पूरा करने की कैसी मंशा रखते हैं।” ऊर्जा शनिवार को जारी होने वाला यह चार पन्नों का मांगपत्र दिल्ली नगर निगम के चुनाव की घोषणा से पहले विचार के लिये एकीकृत एमसीडी के स्पेशल ऑफिसर और कमिश्नर, दिल्ली के उप राज्यपाल और क्षेत्र के सांसदों को दिया जाएगा। दिल्ली की पूर्व मुख्य सचिव श्रीमती शैलजा चंद्रा ने कहा ‘‘ऊर्जा की सूची में जो भी बातें शामिल हैं उनका समाधान करना एमसीडी के बुनियादी कर्तव्यों का हिस्सा हैं। उम्मीद है कि इस वक्त नगर निगम को पूरी तरह संचालित कर रहे अधिकारी नागरिकों की प्राथमिकताओं पर ध्यान देंगे। ’’
देश के तमाम नागरिक संगठनों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करते हुए दिल्ली नगर निगम के आसन्न चुनाव से पहले देश की राजधानी के यूनाइटेड रेजिडेंट्स ज्वाइंट एक्शन (ऊर्जा) ने नगर निगम की नयी सरकार के लिये अपनी मांगों की सूची जारी की है। ऊर्जा देश की राजधानी के 2500 से ज्यादा रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशंस (आरडब्ल्यूए) का एक छत्र संगठन है। इस 21 सूत्रीय सिटिजन चार्टर को शनिवार को वर्ल्ड एनवायरमेंट एक्सपो 2022 में ऑल इंडिया मेयर्स एण्ड आरडब्ल्यूए समिट के दौरान जारी किया गया। विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर ऊर्जा का मांगपत्र दिल्ली को अधिक रहने लायक शहर बनाने का आह्वान करता है, जहां वायु प्रदूषण की समस्या, नागरिकों से जुड़ी समस्याओं और शासन से सम्बन्धित मसलों का बेहतर समाधान मिले। इस चार्टर में दिल्ली के नागरिकों के सामने खड़ी प्रमुख चुनौतियों और जरूरतों का जिक्र किया गया है। साथ ही उनके समाधान और कार्रवाई की विशिष्ट मांगों को भी शामिल किया गया है। ऊर्जा के अध्यक्ष श्री अतुल गोयल ने कहा, “ऊर्जा को उम्मीद है कि इस सिटिजन चार्टर के लागू होने से दिल्ली के अपनी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होने का सपना पूरा होगा। इन जरूरतों में साफ-सुथरे सार्वजनिक स्थल, परिवहन के सभी साधनों से सुगम यात्रा, अतिक्रमण से मुक्त नगर, सभी के लिये सुरक्षित और पर्याप्त पानी की उपलब्धता और दिल्ली के सभी नागरिकों की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के लिये सुनियोजित विकास शामिल हैं। मैं दिल्ली को एक रहने योग्य, सांस लेने लायक और परिवहन के लिहाज से सुगम बनाने के ख्वाब को पूरा करने की दिशा में अथक प्रयासों के लिये ऊर्जा के अपने तमाम साथियों और पूरी दिल्ली के विभिन्न आरडब्ल्यूए संगठनों को धन्यवाद देता हूं। ” दिल्ली नगर में वायु प्रदूषण के स्तरों को कम करने की जरूरतों और समाधानों में कचरे का बेहतर प्रबंधन, धूल की रोकथाम, कचरे को जलाने और लैंडफिल से निकलने वाले प्रदूषण में कमी लाना, हरियाली वाले क्षेत्र को बढ़ाना, पार्किंग से जुड़ी अनियमितताओं और यातायात जाम की समस्या को सुलझाना, वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण में कमी लाना, कुटीर, लघु एवं मंझोले उद्योगों (एमएसएमई) से निकलने वाले प्रदूषण में कमी लाना, ऊर्जा उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भरता इत्यादि शामिल हैं। मांगों की सूची में पानी की बढ़ती मांग, छुट्टा पशुओं का प्रबंधन, भू उपयोग, स्वास्थ्य तथा शिक्षा जैसे अन्य मुद्दों को भी शामिल किया गया है।
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