बिहार : करोड़पति एवं अरबपति सदस्य को पेंशन की आवश्यकता नहीं - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 3 जुलाई 2022

बिहार : करोड़पति एवं अरबपति सदस्य को पेंशन की आवश्यकता नहीं

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पटनाः शिवहर लोकसभा की सदस्य हैं रमा देवी.इसके साथ ही सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता संबंधी स्थायी समिति की सभापति भी हैं.सांसद रमा देवी ने माननीय संसद सदस्य,विधानसभा सदस्य एवं विधान परिषद सदस्यगण को सेवामुक्त के बाद दी जाने वाली पेंशन की ओर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ध्यान आकृष्ट कराया है.उन्होंने कहा कि पूर्व में यूपीए सरकार के द्वारा नियम में संशोधन करते हुए यह प्रावधान किया गया था कि यदि कोई एक दिन का भी किसी सदन का सदस्य बन जाए तो उन्हें आजीवन पेंशन एवं अन्य सुविधाएं दी जाएगी. आगे कहा कि यूपीए सरकार ने प्रावधान कर दिया कि यदि कोई व्यक्ति विधानसभा/विधान परिषद के साथ-साथ लोकसभा एवं राज्यसभा दोनों सदनों के सदस्य रहे तो वे दोहरी पेंशन के हकदार होंगे तथा पूर्व सदस्य की मृत्यु के उपरांत उनके पति/पत्नी आजीवन पेंशन की आधी राशि देने का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी ने अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव डाला है जिससे लोग अभी भी जूझ रहे हैं.ऐसी परिस्थिति में माननीय सदस्यगणों को दिये जाने पेंशन मद के लिए सरकार के उपर सैकड़ों करोड़ की अतिरिक्त राशि का बोझ बढ़ जाता है. जिसको बंद करने की समय-समय पर जनता द्वारा मांग की जाती है.उन्होंने कहा कि आपके दूरदर्शी नेतृत्व में आज देश में कई ऐतिहासिक एवं सुधारात्मक कार्य हुए हैं, देशवासियों को आपसे काफी अपेक्षाएं है. एक रिपोर्ट के अनुसार आज देश के अधिकांश सदस्यगण करोड़पति एवं अरबपति है,जिन्हें सही मायने में पेंशन की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए. सांसद रमा देवी ने सुझाव दी है कि माननीय पूर्व संसद सदस्य, विधानसभा सदस्य एवं विधान परिषद सदस्यगण को दिये जाने वाले पेंशन और भत्ते ( मेडिकल व परिवहन सुविधा को छोड़कर) बंद करने के लिए प्रावधान में संशोधन होनी चाहिए और इनसे होने वाली बचत की राशि से देश में आम वृद्धजनों को दिये जाने वाली वृद्धापेंशन की राशि में मंहगाई के हिसाब से बढ़ोतरी किये हाने से देश के नागरिकों में एक सकारात्मक संदेश जाएगा. अंत में सांसद ने कहा कि इस विषय पर विचार करते हुए माननीय पूर्व संसद सदस्य,विधानसभा सदस्य एवं विधान परिषद के सदस्यगण को दिये जाने वाले पेंशन एवं भत्तों (मेडिकल एवं परिवहन सुविधा को छोड़कर ) बंद करने के लिए प्रावधान में संशोधन करते हुए आम वृद्धजनों को दिये जाने वाली वृद्धापेंशन की राशि में बढ़ोतरी के लिए कृपा की जाए. वित्त मंत्रालय के अधीन संस्था केंद्रीय पेंशन लेखा कार्यालय (सीपीएओ) ने आरटीआई आवेदन के जवाब में बताया है कि एक अप्रैल 2010 से लेकर 31 मार्च 2018 तक पूर्व सांसदों को 489.19 करोड़ रुपये का पेंशन दिया जा चुका है. इस हिसाब से औसतन हर साल 61 करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि पूर्व सांसदों के पेंशन पर खर्च की जाती है.खास बात ये है कि पेंशन लेने वालों में बड़े बिजनेसमैन, अखबार के मालिक, पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व चुनाव आयुक्त, पूर्व मुख्यमंत्री, सुप्रीम कोर्ट के बड़े वकील, फिल्मकार, नामी पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद और भ्रष्टाचार के मामलों में आरोपियों तक के नाम शामिल हैं. सीपीएओ से मिली जानकारी के मुताबिक सबसे ज्यादा 75.37 करोड़ रुपये का पेंशन साल 2011-12 में पूर्व सांसदों को दी गई. इसके बाद 2014-15 में 62.39 करोड़ रुपये, 2015-16 में 65.07 करोड़ रुपये, 2016-17 में 53.56 करोड़ रुपये और 2017-18 में 55.43 करोड़ की राशि पूर्व सांसदों को पेंशन के रूप में दी गई है.‘संसद के सदस्यों का वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम, 1954’ के तहत पूर्व सांसदों को पेंशन देने का प्रावधान है और एक अप्रैल 2018 से पूर्व सांसदों को हर महीने 25,000 रुपये की पेंशन राशि दी जाती है. इससे पहले ये राशि 20,000 रुपये प्रति माह थी.

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