पुरी, 01 जुलाई, ओडिशा के पुरी में शुक्रवार को दो वर्षो के अंतराल के बाद भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और देवी सुभद्रा के साथ उत्साही भक्तों से मिलने के लिए निर्धारित समय से तीन घंटे पहले श्रीमंदिर से बाहर आए। उल्लेखनीय है कि गत दो वर्ष कोरोना महामारी के दौरान रथयात्रा उत्सव का आयोजन नहीं हो सका। मंदिर के निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार सभी देव प्रतिमाओं की होने वाली पहंडी की प्रक्रिया सुबह नौ बजे शुरु होनी थी। वह नौ बजे की बजाय तीन घंटे पहले सुबह छह बजे शुरु हुई। सेवकों ने मंगला आरती, अवकाश, द्वारपाल और सूर्य पूजा, रोसहोमा के साथ सुबह तीन बजे तक और अनुष्ठान को पांच बजे पूरा कर लिया गया इसके बाद देवताओं को गोपाल भोग लगाया गया। सिंहद्वार के सामने श्री मंदिर के बाहर पुजारियों ने एक अनुष्ठान का आयोजन किया तथा देवताओं को चढ़ाने से पहले तीन रथों का अभिषेक किया गया। इससे पहले मंदिर के बढ़ई प्रत्येक रथ पर ‘कनक मुंडियाँ’ लगाई और ध्वजारोहण किया। यह सभी प्रक्रिया सुबह छह बजे समाप्त हो गई। श्री मंदिर के अंदर सेवकों ने बलभद्र के साथ पहंडी जुलूस शुरू किया, उसके बाद देवी सुभद्रा और अंत में भगवान जगन्नाथ आए। झांझ, मृदंग, बिगुल, शंख ध्वनि और ओडिसी नर्तकियों के प्रदर्शन वाले संगीत समारोह में फूलों से सुसज्जित भगवान जगनाथ प्रकट हुए। भगवान जगन्नाथ की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखा गया। हरिओम और हुलुहुल की ध्वनि और भजनों के पाठ ने वातावरण भक्तिमय कर दिया। इस अवसर पर रथ यात्रा स्थल ‘बदादंडा’ पर लोगों का सैलाब देखा गया। देश भर से लाखों श्रद्धालु इस भव्य आयोजन को देखने तीर्थ नगरी में आये है। पहंडी समाप्त होने के बाद गोवर्धन पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती और उनके शिष्यों ने प्रत्येक रथ पर देवताओं की पूजा की। करीब 1230 बजे गजपति ने दिव्यसिंह देब अपने प्रसिद्ध ‘तंजान’ सवारी पर आये और सोने की झाडू से रथों के मार्ग को साफ किया। पहले भगवान बलभद्र के रथ पर तालध्वज उसके बाद देवी सुभद्रा फिर भगवान सुदर्शन और आखिर में भगवान जगन्नाथ नंदीघोष पर आसीन किया गया। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक सड़क मार्ग से पुरी पहुंचे और श्रीमंदिर परिक्रमा परियोजना के दक्षिण की ओर परिक्रमा मॉडल देखा और फिर उत्सव स्थल पर गये। ओडिशा के राज्यपाल प्रो. गणेशी लाल, केंद्रीय मंत्री बिस्वेश्वर टुडू के अलावा पटनायक सरकार के कई मंत्रियों ने भगवान जगन्नाथ के नंदीघोष रथ को दोपहर करीब 0220 बजे खींचने में भाग लिया। अगर सब कुछ ठीक रहा है तो तीनों रथ सूर्यास्त से पहले अपने गंतव्य गुंडिचा मंदिर तक पहुंच जायेगे।
शुक्रवार, 1 जुलाई 2022
श्रद्धालुओ से मिलने भगवान जगन्नाथ तीन घंटे पहले श्रीमंदिर से बाहर आए
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