मासिक राधा नाम कीर्तन में उमड़ा आस्था का सैलाब
- राधा का नाम प्यारा जीवन का है सहारा, भव से पार होने का सब से बड़ा किनारा-भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा
सीहोर। शहर के शुगर फैक्ट्री के समीपस्थ एक निजी गार्डन में विठलेश सेवा समिति के तत्वाधान में भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा के मार्गदर्शन में देर रात्रि को आयोजित मासिक राधा नाम कीर्तन का आयोजन किया गया था, इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे और पूरे भाव और भक्ति से भजनों का आनंद लिया। इस संबंध में जानकारी देते हुए विठलेश सेवा समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि हर माह भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा के मार्ग दर्शन में मासिक राधा नाम कीर्तन का आयोजन किया जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहते है। गुरुवार की देर रात्रि को गार्डन में आयोजित राधा नाम कीर्तन में इस मौके पर भागवत भूषण पंडित श्री मिश्रा ने राधा के शानदार कीर्तन और भजनों की प्रस्तुतियां दी। उन्होंने इस दौरान राधा का नाम प्यारा जीवन का है सहारा, भव से पार होने का सब से बड़ा किनारा, किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए। राधे राधे रटो, चले आएंगे बिहारी, जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए और हमे राधा रानी तेरे नाम का सहारा, नाम का सहारा तेरे नाम का सहारा आदि अनेक भजन सुनाए।
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- जब-जब धरती पर पाप बढ़ा है तब-तब प्रभु ने किसी न किसी रूप में अवतरित होकर इनका नाश किया-आचार्य देवेन्द्र व्यास
सीहोर। घर के वातावरण का प्रभाव बच्चों पर पड़ता है। भगवान राम और कृष्ण जैसे व्यक्तित्व के लिए बच्चों को उसी तरह के संस्कार देने होंगे, वेदों में कहा गया है कि एक मां का यह काम तो तभी आरंभ हो जाता है जब बच्चा उसके गर्भ में होता है। गर्भ में ही बच्चा मां के आचार विचार व्यवहार कर्म से बहुत कुछ सीखता है। जब-जब धरती पर पाप बढ़ा है तब-तब प्रभु ने किसी न किसी रूप में अवतरित होकर इनका नाश किया है जिससे की सत्य हमेशा जीवित रह सके। भगवान श्री राम और श्रीकृष्ण ने धर्म की स्थापना के लिए जन्म लिया है। उक्त विचार शहर के बड़ा बाजार में जारी सात दिवसीय भागवत कथा के चौथे दिवस आचार्य देवेन्द्र राधेश्याम व्यास ने कहे। गुरुवार को भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव आस्था और उत्साह के साथ मनाया गया। इस मौके पर भगवान श्रीराम और भगवान कृष्ण के जन्म के प्रतीक के रूप में झांकी सजाई गई थी। आचार्य पंडित श्री व्यास ने कहा कि सोलह कलाओं के कृष्णावतार में भगवान ने असत्य पर सत्य की विजय और धर्म की स्थापना के लिए अर्जुन का सारथी बनना स्वीकार किया था। सहनशीलता मनुष्य को श्रेष्ठ बनाती है। देवकी और वसुदेव ने अपनी सात संतानों को काल के गाल में जाते हुए देखा और उनका दुख बर्दाश्त किया। इसी के परिणामस्वरुप कृष्ण का प्राकट्य हुआ। उन्होंने कहा कि सतयुग में भगवान गरुण की पीठ पर बैठकर आते हैं जबकि त्रेतायुग में भगवान मानव रुप में मानव मूल्यों को निभाते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के रुप में आते हैं। जबकि द्वापर युग में भगवान कृष्ण अर्जुन के रथ में बैठकर प्रकट होते हैं और कलियुग में भगवान साधु संतों की जिह्वा पर बैठकर सरल भक्तों के कानों में प्रवेश कर उनके हृदय में विराजमान हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में भागवत एवं सत्संग का हमारे जीवन में काफी महत्व है। जितने वेद-वेदांत, पुराण हैं सभी का निचोड़ भागवत कथा में है। भागवत कथा को जीवन में प्रतिपादित करने की सलाह देते हुए परोपकार करने की सीख दी। श्रीकृष्ण का जन्म मनुष्य जीवन के उद्धार के लिए हुआ है। कंस ने उनके जन्म लेने को रोकने के लिए अथक प्रयास किए लेकिन सफल नहीं हो पाया। अंत मेंं अपने पापों का घड़ा भरने पर श्रीकृष्ण के हाथों मरकर मोक्ष की प्राप्ति की। उन्होंने बताया मनुष्य जीवन सबसे उत्तम माना जाता है। इसी योनी में भगवान भी जन्म लेना चाहते हैं। जिससे वे अपने आराध्य ईश्वर की भक्ति कर सके। श्रीकृष्ण ने भागवत गीता के माध्यम से बुराई व सदाचार के बीच अंतर बताया। ईश्वर को धन दौलत व यज्ञों से कोई सरोकार नहीं है। वह तो केवल स्वच्छ मन से की गई आराधना के अधीन होता है।
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दस्तक अभियान के तहत 23 एनीमिक बच्चों को किया गया ब्लड ट्रांसफ्यूजन
दस्तक अभियान के तहत 0 से 5 वर्ष आयु वाले ऐसे बच्चे जिनका हीमोग्लोबिन 7 ग्राम से कम है, उन्हें ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया जा रहा है। अभियान की शुरूआत से अभी तक करीब 23 बच्चों को एनीमिक बच्चों को ब्लड चढ़ाया जा चुका है। सिविल अस्पताल आष्टा में गुरूवार को एनीमिक 06 बच्चों को ब्लड चढ़ाया गया। वहीं जिला चिकित्सालय सीहोर की ब्लड बैंक यूनिट में सीहोर के 4, इछावर के 5 तथा आष्टा के 08 बच्चों को ब्लड ट्रांसफ्यूजन किया जा चुका है। अभियान के अंतर्गत एएनएम, आशा तथा आंगनबाडी कार्यकर्ता द्वारा दल बनाकर घर-घर पहुंचकर दस्तक अभियान संचालित किया जा रहा है जिसमें 0 से 5 साल तक आयु वाले बच्चों को घर पर ही स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की जा रही है। अभियान के तहत 0 से 5 वर्ष आयु के 01 लाख 59 हजार 386 बच्चों को विभिन्न प्रकार की स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। आष्टा विकासखण्ड में 43 हजार 728 बच्चे, बुदनी 18 हजार 146, इछावर 20 हजार 74 नसरूल्लागंज 26 हजार 234, श्यामपुर 37 हजार 659 तथा सीहोर शहरी क्षेत्र में 13 हजार 545 बच्चों को दस्तक अभियान के दौरान घर-घर दस्तक देकर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुधीर कुमार डेहरिया ने बताया कि 5 वर्ष तक बच्चों में प्रमुख बाल्यकालीन बीमारियों की सक्रिय पहचान एवं प्रबंधन के लिए दस्तक अभियान की शुरूआत 18 जुलाई से की गई है। दस्तक अभियान 31 अगस्त तक संचालित होगा। अभियान की शत प्रतिशत सफलता के लिए मैदानी कर्मचारियों को विशेष प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है। सीएमएचओ डॉ. डेहरिया ने दस्तक अभियान के संबंध में जानकारी दी कि दस्तक दल द्वारा समुदाय में बीमार नवजातों और बच्चों की पहचान प्रबंधन एवं रेफरल सहित बाल्यकालीन निमोनिया की त्वरित पहचान एवं प्रबंधन-रेफरल, गंभीर कुपोषित बच्चों की सक्रिय पहचान रेफरल एवं प्रबंधन, 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों में गंभीर एनीमिया की सक्रिय स्क्रीनिंग, बाल्यकालीन दस्तरोग, नियंत्रण के लिए ओआरएस एवं जिंक उपयोग संबंधी सामुदायिक जागरूकता एवं प्रत्येक घर में ओआरएस पहुंचाना, 9 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों के समस्त बच्चों को विटामिन ए अनुपूरण, बच्चों में दिखाई देने वाली जन्मजात विकृतियों एवं वृद्धि विलंब की पहचान, समुचित शिशु एवं बाल आहारपूर्ति संबंधी समझाईश समुदाय को देना, एसएनसीयू एवं एनआरसी से छुट्टी प्राप्त बच्चों में बीमारी की स्क्रीनिंग तथा फॉलोअप को प्रोत्साहन तथा गृहभेंट के दौरान आंशिक रूप से टीकाकृत एवं छूटे हुए बच्चों की टीकाकरण स्थिति की जानकारी अभियान के दौरान दी जा रही है।
- अभियान के तहत घर-घर दस्तक देकर दी जा रही 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों को स्वास्थ्य सुविधाएं, 31 अगस्त 2022 तक संचालित होगा दस्तक अभियान
हितग्राहियों की ई-केवायसी एवं आधार-बैंक खाता लिकिंग कार्यवाही 31 जुलाई तक पूर्ण करने के आदेश
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत हितग्राहियों को किसान सम्मान निधि की 12 वीं किश्त का लाभ दिलाने के लिए कलेक्टर श्री चन्द्र मोहन ठाकुर ने संबंधित अधिकारियों को हितग्राहियों का पीएम किसान पोर्टल पर ई-केवायसी एवं आधार-बैंक खाता लिकिंग कार्यवाही 31 जुलाई तक पूर्ण करने के आदेश दिए है। किसान सम्मान निधि की 12 वीं किश्त उन हितग्राहियों को प्रदान की जाएगी, जिनके द्वारा ई-केवायसी की कार्यवाही पूर्ण की जा चुकी है। हितग्राहियों का पीएम किसान पोर्टल पर ई-केवायसी एवं आधार-बैंक खाता लिकिंग कार्यवाही 31 जुलाई तक पूर्ण कराए जाने के लिए अधिकारी-कर्मचारियों को दायित्व सौंपे गए है। जिले के समस्त एसडीएम को संबंधित अनुभाग के लिए नोडल अधिकारी बनाया गया है। साथ ही समस्त बैंकरो के साथ बैठक आयोजित कर 31 जुलाई तक हितग्राहियों की ई-केवायसी पूर्ण कराने के लिए निर्देशित किया जाने के आदेश भी दिए गए है। अधीक्षक भू-अभिलेख को समस्त बैंकर्स एवं प्रबंधक ई-गवर्नेस एवं समस्त तहसीलदारों को लंबित ई-केवायसी हितग्राहियों तथा आधार-बैंक खाता हेतु लंबित हितग्राहियों की सूची उपलब्ध कराने, ई-केवायसी एवं आधार-बैंक खाता लिंकिंग की दैनिक प्रगति का विश्लेषण कर कलेक्टर को प्रस्तुत करने तथा जिन पंचायतों में ई-केवायसी कार्य प्रगति सबसे कम है उनका कार्य पूर्ण कराये जाने के लिए कार्य योजना बनाने का कार्य सौंपा गया है। तहसीलदार एवं नायब तहसीलदार को संबंधित तहसील के लिए नोडल अधिकारी बनाया गया है। ई-केवायसी एवं आधार-बैंक लिंकिंग के लिए लंबित खाता सूची संबंधित पटवारी, पंचायत हितग्राहियों की सचिव, ग्रामरोजगार सहायक को उपलब्ध कराने, पटवारी, पंचायत सचिव, ग्राम रोजगार सहायक द्वारा किये गये ई-केवायसी एवं आधार-बैंक खाता लिंकिंग कार्य की दैनिक समीक्षा करने का कार्य दिया गया है। जनपद सीईओ को संबंधित जनपद पंचायत के लिए नोडल अधिकारी बनाया गया है। जनपद सीईओ पंचायत सचिव एवं रोजगार सहायक को निर्देशित करेंगे कि वे अभियान के दौरान संबंधित ग्राम पंचायत में उपस्थित होकर हितग्राहियों के ई-केवायसी, आयुष्मान कार्ड के लिए प्रदाय की गई बायोमेट्रिक डिवाईस से कराया जाना सुनिश्चित करे एवं आधार-बैंक खाता लिंकिंग कार्य करनेहेत हितग्राहियों के बैंक भेजें। जनपद पंचायत अंतर्गत अभियान के दौरान ई-केवायसी एवं आधार-बैंक खाता लिंकिंग कार्य की दैनिक प्रगति की जानकारी अधीक्षक भू-अभिलेख को दें। इसके साथ ही हितग्राहियों का पीएम किसान पोर्टल पर ई-केवायसी एवं आधार-बैंक खाता लिकिंग कार्यवाही 31 जुलाई तक पूर्ण कराए जाने के लिए अनेक अधिकारियों को विभिन्न कार्यदायित्व सौंपे गए है।
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