मां पार्वती के जल से किया जाएगा भगवान शिव का अभिषेक, 31 जुलाई को निकाली जाएगी सीवन नदी से कुबेरेश्वर धाम तक भव्य कावड़ यात्रा
- करीब 11 किलोमीटर तक चलने वाली कावड़ यात्रा का ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में अनेक स्थानों पर किया जाएगा भव्य स्वागत
सीहोर। इन दिनों जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर में हर रोज बड़ी संख्या में कावड़ लेकर महिला और पुरुष आदि कावड़ यात्री आ रहे है और पूरी आस्था और उत्साह के साथ यहां पर भगवान का जलाभिषेक का क्रम जारी है। आगामी 31 जुलाई को शहर के सीवन नदी तट से कुबेरेश्वरधाम तक जाने वाली भव्य कावड़ यात्रा को लेकर शनिवार को धाम से लगे आधा दर्जन से अधिक ग्रामों के ग्रामीणों की एक विशेष बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में ग्राम नापलाखेड़ी, चितोडिया जाट, चितावलिया हेमा, चितावलिया लाखा, ग्राम भटौनी और दीदाखेड़ी सहित आधा दर्जन से अधिक ग्रामों के श्रद्धालुओं ने कोरोना काल के बाद सावन मास पर भव्य कावड़ यात्रा का आयोजन करने का निर्णय लिया है। इस बार की कावड़ यात्रा अपने आप में एक भव्य यात्रा रहेगी। इसमें सैकड़ों की संख्या में कांवड़िए शामिल होंगे। भगवा कपड़े पहने भक्तों के कंधे पर कांवड़ होगी। बोलबम के नारे के साथ कावड़िए शहर की जीवनदायनी सीवन नदी के तट पर पहुंचकर सुबह ग्यारह बजे शहर के प्रमुख मार्गों से होते हुए जिला मुख्यालय के समीपस्थ चितावलिया हेमा स्थित निर्माणाधीन मुरली मनोहर एवं कुबेरेश्वर महादेव मंदिर पहुंचेगे। करीब 11 किलोमीटर से अधिक भव्य कावड़ा यात्रा का ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में उत्साह के साथ भव्य स्वागत किया जाएगा। कावड़ यात्रा के दौरान माता पार्वती के जल से मंदिर में भगवान शिव का भव्य जलाभिषेक किया जाएगा।
आज निकाली जाएगाी शोभा यात्रा, आस्था के साथ मनाया गया भगवान श्रीकृष्ण और माता रुकमणी का विवाह उत्सव
- भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला का स्मरण करके देखो, सारा दिन आनंद में बीतेगा-आचार्य देवेन्द्र व्यास
सीहोर। प्रात: काल जप, ध्यान, प्रार्थना करने से परमात्मा तुम्हें सारा दिन पाप कर्मों से बचाएंगे। प्रात: काल भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला का स्मरण करके देखो। सारा दिन आनंद में बीतेगा। जब जीवन में आनंद की प्राप्ति होगी। तो समझना परमात्मा की कृपा हुई है, किंतु उस आनंद में स्वयं खुश होने और सुखी होने में दूसरों को दुखी मत करना। अपना स्वार्थ निहित मत करना, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बाल लीला में यही दिखाया है कि दूसरो को सूखी करने की इच्छा करने वाला कभी दुखी नहीं होता। भगवान श्रीकृष्ण पर माता रुकमणी को पूरा विश्वास था। वह आरंभ से ही भगवान के इच्छा करती आ रही थी, जिसके कारण अंत में भगवान से उनका विवाह हुआ। उक्त विचार शहर के बड़ा बाजार स्थित अग्रवाल धर्मशाला में जारी सात दिवसीय भागवत कथा में आचार्य पंडित देवेन्द्र राधेश्याम व्यास ने कहे। शनिवार को भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने पहुंचकर आचार्य श्री व्यास का सम्मान किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि संत, साधु और गुरु का कार्य ही समाज को जाग्रत करने का है। शनिवार को भगवान श्रीकृष्ण व रुक्मिणी विवाह की कथा सुनाई। नन्हे श्रीकृष्ण-रुक्मिणी ने भक्तों का मनमोह लिया। विवाह के दौरान जयकारे लगे और भक्तों ने पुष्पवर्षा की। रविवार को कथा विश्राम होगा। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण और रुकमणी जी का विवाह धूमधाम से रचाया। उन्होंने कहा कि मनुष्य पूरे जीवन इधर-उधर भटकता रहता है, जबकि भक्त के दिल में भगवान का वास होता है। लेकिन आज के युग में प्रत्येक व्यक्ति की हालत हिरण जैसी हो गई है। जैसे हिरण के शरीर में कस्तूरी होती है लेकिन वह कस्तूरी की खोज में जगह-जगह भटकता रहता है। इसी तरह से भगवान की खोज में मनुष्य जगह-जगह भटक रहा है। यदि प्रत्येक व्यक्ति पूरी श्रद्धा के साथ भगवान का भजन, पूजा करे तो निश्चित तौर पर उनके इष्ट आराध्य देव उनको दर्शन देने के साथ-साथ उनके कष्टों का निवारण करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मनुष्य को थोड़ा समय भगवान की भक्ति में अवश्य लगाना चाहिए। हमारे व्यवहार पर ही हमारे जीवन का आधार बना हुआ है। अच्छे बनो और अच्छे कर्म करो, यह सिद्धांत सत्य के सिद्धांत पर आधारित है। हमारी समस्या है अच्छे और बुरे में भेद कैसे करें। जानकारी के अनुसार रविवार को दोपहर दो बजे से कथा आरंभ की जाएगी और शाम को चार बजे कथा विश्राम के साथ ही शोभा यात्रा निकाली जाएगी।
सर्व ब्राह्मण समाज के तत्वाधान में चंद्रशेखर आजाद को किया नमन
सीहोर। शनिवार को शहर के खजांची लाइन स्थित ब्राह्मण धर्मशाला भवन में भारत के स्वतंत्रता संग्राम के क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर सर्व ब्राह्मण समाज के तत्वाधान में एक भव्य आयोजन कर उनको श्रद्धा सुमन अर्पित किए गए। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद कोतवाली थाना प्रभारी नलिन बुधौलिया, सर्व ब्राह्मण समाज के कार्यकारी अध्यक्ष सुदीप व्यास, सर्व ब्राह्मण समाज हितकारणी संस्था ट्रस्ट के अध्यक्ष मनोहर शर्मा, चल समारोह अध्यक्ष प्रवीण तिवारी, युवा अध्यक्ष नितिन उपाध्याय ने आजाद के चित्र पर पुष्प अर्पित करते हुए उनके जीवन पर प्रकाश डाला। सभा के यहां पर उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि आजादी के इतिहास में अनगिनत ब्राह्मणों ने अपनी कुर्बानियां दी हैं, जिस पर ब्राह्मण समाज को गर्व है। उन्होंने कहा कि ऐसे देश भक्तों को याद कर उनके सपनों को पूरा करना हमारा कर्तव्य है। चंद्रशेखर ने काकोरी कांड, सेंट्रल एसेंबली में भगत सिंह द्वारा बम फेंकने तथा असहयोग आंदोलन में सक्रिय भाग लिया था। 1931 में उनके बलिदान के बाद हजारों युवा स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे। उनके शहीद होने के 16 साल बाद उनकी भारत की आजादी का सपना पूरा हुआ। वक्ताओं ने आजाद के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आजाद एक सच्चे देशभक्त व वीर युवा क्रांतिकारी थे। उन्होंने शपथ ली थी कि वह अंग्रेजों की गोली से नहीं मरेंगे। इस प्रकार उन्होंने अपने आजाद नाम को सार्थक किया व जीवन के अंतिम क्षण तक किसी की गिरफ्त में नहीं आए। चंद्रशेखर आजाद एक व्यक्ति नहीं, अपने आप में एक आंदोलन थे। आज हम उन्हें एक महान क्रांतिकारी के रुप में याद करते हुए नमन करते हैं। युवा वर्ग से आह्वान करते हैं, कि आजाद के जीवन चरित्र से प्रेरणा लेकर व्यसनमुक्त व देशभक्त बनें। कार्यक्रम का सफल संचालन समाज के वरिष्ठ पदाधिकारी रमाकांत समाधिया ने किया। इस मौके पर समाज के वरिष्ठ पदाधिकारी राजेन्द्र शर्मा बब्ल गुरु, दीपक शर्मा, राजेन्द्र शर्मा, कल्लू, महेश पारिक, मनोज दीक्षित मामा, राकेश शर्मा, दीपक पुरोहित, नारायण शास्त्री, बृजेश पाराशर, नवनीत उपाध्याय, मोनू दुबे, आदित्य उपाध्याय, मनोज शर्मा आदि शामिल थे।
भोपाल में अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की प्रतिमा स्थापित होगी– मुख्यमंत्री श्री चौहान
- एक साल में एक लाख सरकारी नौकरियाँ, 15 अगस्त से आरंभ होगी भर्ती प्रक्रिया, प्रतिमाह 2 लाख युवाओं को जोड़ा जाएगा स्व-रोजगार से हर साल होगी युवा पंचायत
- यूथ फॉर आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश का प्लेटफार्म होगी यूथ महापंचायत युवाओं के सुझाव शामिल कर बनेगी युवा नीति, 12 जनवरी से होगी लागू अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की 116वीं जयंती पर शुरू हुई पहली राज्य स्तरीय यूथ महापंचायत
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि भोपाल में अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की भव्य प्रतिमा स्थापित की जाएगी। प्रतिमा के आधार में, आजाद के जन्म-स्थल भाबरा (अलीराजपुर) से लायी गई मिट्टी का उपयोग होगा और प्रतिमा स्थल को युवाओं के लिए प्रेरणा-स्रोत के रूप में विकसित किया जाएगा। मैं युवाओं के सपनों को किसी कीमत पर मरने नहीं दूंगा। प्रदेश में एक साल में एक लाख सरकारी नौकरियों में भर्ती होगी, जिसकी प्रक्रिया 15 अगस्त से आरंभ हो जाएगी। साथ ही प्रतिमाह 2 लाख युवाओं को स्व-रोजगार से जोड़ा जाएगा। प्रतिमाह रोजगार दिवस मनाकर विभिन्न योजनाओं का लाभ युवाओं को उपलब्ध कराया जाएगा। प्रदेश में युवाओं के सुझावों को शामिल करते हुए नई युवा नीति तैयार की जाएगी, जिसे स्वामी विवेकानंद की जयंती, युवा दिवस 12 जनवरी से लागू किया जाएगा। युवाओं की रचनात्मकता को प्रोत्साहित करने युवा पुरस्कार की स्थापना और राज्य युवा सलाहकार परिषद का गठन भी किया जाएगा। प्रदेश में प्रतिवर्ष युवा पंचायत होगी। युवाओं में देशभक्ति की भावना का संचार करने के लिए युवा पंचायत के जिला स्तरीय विजेताओं को "माँ तुझे प्रणाम'' योजना में देश की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर भेजा जाएगा। सभी विभागों तथा महाविद्यालयों में युवा सेल का गठन होगा। युवा महापंचायत को यूथ फॉर आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के लिए प्लेटफार्म के रूप में विकसित किया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की 116वीं जयंती पर रवीन्द्र भवन कन्वेंशन हॉल भोपाल में पहली राज्य स्तरीय यूथ महापंचायत के शुभारंभ-सत्र को संबोधित कर रहे थे। जिले में राज्य स्तरीय कार्यक्रम का सीधा प्रसारण शासकीय कन्या महाविद्यालय सीहोर में युवाओ एवं महाविद्यालय स्टॉफ ने देखा। राज्य स्तरीय कार्यक्रम में खेल एवं युवा कल्याण, तकनीकी शिक्षा, कौशल विकास एवं रोजगार मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया, संयुक्त राष्ट्र में पर्यावरण कार्यक्रमों के कार्यकारी निदेशक रहे श्री एरिक सॉल्हिम, अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा श्री शैलेन्द्र सिंह उपस्थित थे। केन्द्रीय सूचना और प्रसारण, युवा कार्यक्रम और खेल मंत्री श्री अनुराग ठाकुर कार्यक्रम में नई दिल्ली से वर्चुअली शामिल हुए। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने वंदे- मातरम् और सरस्वती वंदना के साथ दीप जला कर युवा महापंचायत का शुभारंभ किया। भोपाल के बाईक राइडर्स ने अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की जन्म-स्थली भाबरा (अलीराजपुर) से लायी मिट्टी और वहाँ के जल कलश मुख्यमंत्री श्री चौहान को सौंपे। बाईकर श्रेयसी अग्रवाल ने अपनी यात्रा के अनुभव साझा किए। साथ ही शहडोल की श्रुति तिवारी, खरगौन के कुणाल वर्मा और भोपाल की अनन्या तिवारी ने अपने विचार रखे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद के शौर्य, वीरता और समर्पण का उल्लेख करते हुए युवाओं से कहा कि राज्य सरकार ने कई अनाम स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और बलिदान को प्रकाश में लाने का कार्य किया है। राज्य में विभिन्न स्थानों पर स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति में स्मारक स्थापित किए गए हैं। वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत को प्रतिपादित करने वाला भारत, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सर्वे भवन्तु सुखिन: सर्वे भवन्तु निरामय: के विचार को व्यवहारिक रूप दे रहा है। इसी क्रम में प्रधानमंत्री श्री मोदी की पहल पर कोरोना का टीका भारतवासियों के साथ विश्व के कई गरीब देशों के नागरिकों को भी उपलब्ध कराया गया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मेरा यह मानना है कि युवा कल का नहीं, आज का नागरिक है। यूथ महापंचायत से युवाओं को नीति-निर्माण की प्रक्रिया में जोड़ने का प्रयास किया जा रहा है। हमारा उद्देश्य है कि यह महापंचायत युवाओं को सरकार और समाज से जोड़ने का प्लेटफार्म बनें। प्रदेश में नए स्टार्टअप शुरू कर युवाओं ने चमत्कार किया है। राज्य की क्रिकेट टीम ने रणजी ट्राफी जीत कर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। प्रदेश के युवा अपनी योग्यता और क्षमता को प्रत्येक क्षेत्र में सिद्ध कर रहे हैं। युवाओं के सहयोग से हम, देश और प्रदेश के लिए क्या सर्वश्रेष्ठ कर सकते हैं, इसका रोडमेप बनाना होगा। आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश का रोडमेप युवाओं से साझा कर इस दिशा में भी उनका हरसंभव सहयोग लिया जाएगा। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता के लिए सीएम राइज स्कूल आरंभ किए जा रहे हैं। मेधावी विद्यार्थियों के अध्ययन की निरंतरता के लिए मुख्यमंत्री मेधावी विद्यार्थी योजना क्रियान्वित है। सिंगापुर के सहयोग से आरंभ किए जा रहे ग्लोबल स्किल पार्क में युवाओं के प्रशिक्षण, कौशल उन्नयन की व्यवस्था है। युवाओं के दक्षता संवर्धन के लिए हरसंभव प्रयास जारी है, इससे उनके रोजगार का मार्ग प्रशस्त होगा। मुख्यमंत्री उद्यम क्रांति योजना स्व-रोजगार के लिए सहायता भी उपलब्ध कराई जा रही है। युवाओं के विकास और आगे बढ़ने में जो बाधाएँ हैं, उन्हें दूर करने राज्य सरकार हरंसभव प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि युवा अपने कॅरियर के बारे में अवश्य सोंचे। साथ ही अपने परिवेश, समाज और प्रदेश के प्रति संवेदनशील बने। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने युवाओं से पौध-रोपण करने, अपने क्षेत्र की आँगनवाड़ी के संचालन में भागीदारी, अपने गाँव/नगर का गौरव दिवस मनाने, बेटी बचाओ अभियान, जल-संरक्षण तथा नशामुक्ति संबंधी गतिविधियों में सक्रियता से भाग लेने का आहवान किया। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने युवाओं से हर घर तिरंगा अभियान में उत्साह से भाग लेने की अपील की। उन्होंने कहा कि देश भक्ति की भावना का संचार करने वाले इस अभियान में हमारा यह प्रण हो कि 13 से 15 अगस्त की अवधि में हर घर में तिरंगा लहराए। केन्द्रीय मंत्री श्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि भारत के युवाओं के लिए कोई भी चुनौती बड़ी नहीं है। देश में आरंभ 102 स्टार्टअप को आज यूनिकॉर्न का दर्जा प्राप्त है, जो भारत के युवाओं की सामर्थ्य का प्रमाण है। प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में देश में ही कोविड वैक्सीन बनाकर तथा सैन्य सामग्री में आत्म-निर्भरता की ओर आगे बढ़ कर भारत ने अपनी क्षमता सिद्ध की है। केन्द्रीय मंत्री श्री ठाकुर ने युवाओं से अगले 25 वर्ष में भारत को विश्व गुरू के स्तर पर स्थापित करने और आत्म-निर्भर भारत के निर्माण के लिए समर्पित भाव से कार्य करने की अपील की। खेल एवं युवा कल्याण मंत्री श्रीमती यशोधरा राजे सिंधिया ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान की कल्पना और विचार के परिणामस्वरूप ही यूथ महापंचायत का आयोजन संभव हो पाया। महापंचायत से वर्तमान डिजिटल युग के युवाओं को स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष और बलिदान से परिचित कराने और उन्हें देश-प्रदेश के इतिहास से जोड़ने का यह अभिनव प्रयास है। मंत्री श्रीमती सिंधिया ने युवाओं से प्रधानमंत्री श्री मोदी के आत्म-निर्भर भारत के स्वप्न को साकार करने का आहवान किया। संयुक्त राष्ट्र में पर्यावरण कार्यक्रमों के कार्यकारी निदेशक रहे श्री एरिक सॉल्हिम ने अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद के योगदान का स्मरण किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान में युवाओं के सम्मुख प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण-संरक्षण मुख्य चुनौती है। मध्यप्रदेश को सोलर स्टेट और नेचुरल स्टेट के रूप में विकसित कर पूरे विश्व के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत किया जा सकता है। श्री सॉल्हिम ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान प्रतिदिन पौधा लगाते हैं। प्रदेश के युवाओं को इसका अनुसरण करना चाहिए। उन्होंने सौर ऊर्जा अपनाने और प्लास्टिक का उपयोग कम करने का आव्हान भी किया। राज्य स्तरीय यूथ महापंचायत में 52 जिलों से चयनित 6-6 युवा तथा एनसीसी, राष्ट्रीय सेवा योजना आदि के कैडेट्स और विभिन्न महाविद्यालयों के विद्यार्थी सम्मिलित हुए। प्रदेश के सभी जिलों से युवाओं ने कार्यक्रम में ऑनलाइन सहभागिता की। दो दिवसीय महापंचायत में पर्यावरण और युवा, नेक्स्ट ज़ेन स्टार्टअप्स, मेरा एमपी-मेरा गौरव, युवा और सामाजिक विकास, एमपी के युवा चेंपियन तथा युवा और लोकतंत्र विषय पर सत्र होंगे।
24 जुलाई 1824 को अंग्रेजी सेना से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे अमर शहीद कुंवर चैन सिंह
देश में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ पहली सशस्त्र क्रांति 1858 में प्रारंभ हुई और देश भर में अंग्रेजो खिलाफ क्रांति की मशाल जलाई गयी तथा अनेक वीर सपूतों ने अंग्रेजी सेना से लड़ाई करते हुए अपने प्राणों का बलिदान दिया। इस क्रांति का नायक शहीद मंगल पाण्डे को माना जाता है। मेरठ क्रांति के 33 साल पहले ही इस क्रांति की शुरूआत हो चुकी थी। मालवा अंचल में अनेक वीरों ने अंग्रेजी सेना से बगावत कर युद्ध लड़ा और अपने प्राणों का बलिदान किया। स्वतंत्रता के इतिहास में सीहोर जिले की अन्य घटनाओं के साथ ही अमर शहीद कुंवर चैन सिंह की शहादत भी स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। सीहोर स्थित कुंवर चैन सिंह की छतरी पर गॉड ऑफ ऑनर की परम्परा मध्यप्रदेश सरकार ने वर्ष 2015 से शुरू की। सन् 1818 में ईस्ट इंडिया कंपनी और भोपाल के तत्कालीन नवाब के बीच हुए समझौते के बाद कंपनी ने सीहोर में एक हजार सैनिकों की छावनी बनाई। कंपनी द्वारा नियुक्त पॉलिटिकल एजेंट मैडॉक को इस फौजी टुकड़ी की कमान सौंपी गई। समझौते के तहत मैडॉक को भोपाल सहित नरसिंहगढ़, खिलचीपुर और राजगढ़ रियासत से संबंधित राजनीतिक अधिकार दिए गए। इस फैसले को नरसिंहगढ़ रियासत के युवराज अमर शहीद कुंवर चैन सिंह ने गुलामी की निशानी मानते हुए स्वीकार नहीं किया और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह कर दिया। उन्होंने अंग्रेजो के वफादार दीवान आनंदराम बख्शी और मंत्री रूपराम बोहरा को मार दिया। इन दोनों की हत्या के अभियोग से बचने के लिए अंग्रेजो ने कुछ शर्तें रखी जिसे कुंवर चैन सिंह ने ठुकरा दिया। अमर शहीद कुंवर चैन सिंह 24 जुलाई 1824 की दोपहर अपने घोड़े पर बैठकर कैम्प से बाहर जाने लगे तब अंग्रेजों के कर्मचारियों ने उन्हें यह कहते हुए रोका दिया कि आपको कैम्प से बाहर जाने की इजाजत नहीं है। इससे कुंवर चैन सिंह का स्वाभिमान आहत हुआ। उन्हें ब्रिटिश हुकुमत की गुलामी कतई स्वीकार नहीं थी। वे मेडॉक और जॉनसन के आदेश की अवहेलना कर कैम्प से बाहर चले गये। मना करने के बाद भी कुंवर चैन सिंह के बाहर चले जाने से युद्ध की आशंका के चलते मेडॉक ने सेना को बुलवाने का प्रबंध किया और यह सेना डाबरी की छावनी, सीहोर की छावनी, भोपाल तथा होशंगाबाद से बुलवाई थी। लगभग 5 से 6 हजार सैनिक सीहोर पहुंच चुके थे। अंग्रेजी सेना ने 24 जुलाई 1824 की रात्रि में कुंवर चैन सिंह के कैम्प को घेर लिया और अंग्रेजी फौज द्वारा आक्रमण कर दिया गया। कुंवर चैन सिंह अपने विश्वस्त साथी हिम्मत खां और बहादुर खां सहित 43 सैनिकों के साथ अंग्रेजी फौज का वीरतापूर्वक सामना करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। उन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का आगाज किया।
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