कविता : जय उत्तराखंड, जय देवभूमि - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 23 जुलाई 2022

कविता : जय उत्तराखंड, जय देवभूमि

जय उत्तराखंड, जय देवभूमि


जय हो हमारी जन्मभूमि।।




धरती मां की गोद में हम समाए


हम फूलों से अब मुस्कुराए।।





पवित्र गंगा बहती जहाँ,


हजारो लोग बसते वहाँ।।




इसकी मिट्टी इसका कण,


जो हमें करते आनन्दित हर क्षण।।





पवित्र गंगा उत्तराखंड में बहती,


देवप्रयाग को अपना उद्गम कहती।।




उत्तराखंड में है चार धाम,


होते जहां मंगल काम।।





सरमूल से जहां पानी आता,


सरयू जैसी पवित्र नदी को लाता।।




शीश हिमालय इसके है,


नदियाँ नाले जिसके हैं।।





सरयू गोमती का संगम लगता,


गुरु शिष्य का मेल लगता।।




वृक्ष की छाँव में लगता माँ का आँचल,


यहाँ की प्रकृति इतनी सुंदर, सबके मन को भाय।।





सभी राज्यों में उत्तराखंड खास है,


तभी यहां देवी-देवताओं में वास है।।




ऐसी जन्मभूमि को,


मेरा नमस्कार है।।



ममता जोशी
ममता जोशी

हरसीला, कपकोट

बागेश्वर, उत्तराखंड

(चरखा फीचर)

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