नारी बिना संसार अधूरा है।
खुशबू बिना जैसे फूल अधूरा है।।
जैसे संसार बिना इंसान अधूरा है।
धरती बिना अंबर अधूरा है।।
बिना सांस जैसे जिस्म अधूरा है।
वैसे ही नारी बिना जीवन अधूरा है।।
नारी बिना घर अधूरा है।
बाती बिना जैसे दीपक अधूरा है।
वैसे ही नारी बिना हर रिश्ता अधूरा है।।
मिकिला, कपकोट
बागेश्वर, उत्तराखंड
(चरखा फीचर)
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