नयी दिल्ली, 30 अगस्त, उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) को नौकरियों और शिक्षा में 10 फ़ीसदी आरक्षण की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले की संवैधानिक वैधता की जांच करेगा। मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी, न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट, बेला एम त्रिवेदी और जे बी पारदीवाला की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि ईडब्ल्यूएस के अलावा आरक्षण देने के उद्देश्य से मुसलमानों को सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़ा माना जा सकता है या नहीं, इस सवाल पर भी वह विचार करेगी। संविधान पीठ ने कहा कि वह प्रक्रिया संबंधी पहलुओं और इससे जुड़े ब्योरे पर छह सितंबर को फैसला करेगी। इसके बाद 13 सितंबर से सुनवाई शुरू करेगी। शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस आरक्षण मामले की जांच पहले करेगी। इसके बाद आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपील पर विचार करेगी। उच्च न्यायालय ने मुसलमानों को आरक्षण देने वाले एक स्थानीय कानून को खारिज कर दिया था। संविधान पीठ ने कहा कि चूंकि ईडब्ल्यूएस आरक्षण मामल अतिव्यापी हैं, इसलिए वह पहले इससे संबंधित याचिकाओं पर पहले विचार करेगी। इसके बाद वह मुस्लिमों के आरक्षण को चुनौती देने वाली अपीलों पर विचार करेगी। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने चार वकीलों - कानू अग्रवाल, शादान फरासत, नचिकेता जोशी और महफूज नाजकी को नोडल अधिवक्ता दायित्व सौंपा है। अदालत ने यह दायित्व इस मामले में सामान्य संकलन दाखिल करने सहित याचिकाओं का सुचारू रूप से संचालन सुनिश्चित करने के वास्ते किया है। केंद्र सरकार ने 103वें संविधान संशोधन अधिनियम, 2019 के तहत शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में ईडब्ल्यूएस आरक्षण का प्रावधान किया था।
मंगलवार, 30 अगस्त 2022
ईडब्ल्यूएस आरक्षण वैधता की जांच करेगा सुप्रीम कोर्ट
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