नयी दिल्ली, 01 अगस्त, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने महंगाई और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर सरकार पर विपक्ष के हमले का सोमवार को करारा जवाब देते हुए कहा कि देश के बाहर और भीतर गंभीर चुनौतियों के बावजूद भारत में महंगाई दर को सात प्रतिशत के इर्द-गिर्द और काबू में रखा गया है तथा इसे और कम करने के उपाय किए गए हैं। वित्त मंत्री ने पैकेज्ड और ब्रांडेड दूध, दही, चावल आदि खाने-पीने की चीजों पर जीएसटी के निर्णय के लिए केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश करने वाले विपक्ष को आइना दिखाते हुए कहा,' जीएसटी के बारे में जो भी निर्णय होता है, वह जीएसटी परिसर करती है जो इस मामले अधिकार प्राप्त संवैधानिक निकाय है। जीएसटी का फैसला कोई प्रधानमंत्री मोदी का फैसला नहीं होता।' श्रीमती सीतारमण ने कहा कि हाल में दूध, दही, पनीर और अन्य ब्रांडेड चीजों पर जीएसटी लगाने का फैसला जीएसटी परिषद में सर्वसम्मत से लिया गया था। इन चीजों की खुली बिक्री पर कोई कर नहीं है और पैकेज्ड चीज पर भी 25 किलोग्राम से ऊपर की पैंकिंग को जीएसटी के दायरे में नहीं रखा गया है। वित्त मंत्री महंगाई के मुद्दे पर लोकसभा में नियम 193 के तहत चर्चा का जवाब दे रही थीं। चर्चा में 30 से अधिक सदस्यों ने भाग लिया। वित्त मंत्री के जवाब के दौरान पहले कांग्रेस के सदस्य और फिर द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) के सदस्यों ने बहिर्गमन किया। श्रीमती सीतारमण ने कहा, “भारत कोविड-19 जैसी अभूतपूर्व महामारी और यूरोप में युद्ध से उत्पन्न परिस्थितियों के बावजूद भारत इस समय दुनिया के सबसे तेजी से वृद्धि कर रही अर्थव्यवस्था बना हुआ है और भारत में मुद्रास्फीति अमेरिका और यूरोप जैसे देशों की तुलना में नियंत्रण में है। ” उन्होंने विपक्ष की टोका-टाकी के बीच कहा कि महंगाई पर इस बहस को राजनीतिक रंग दिया गया है। यह आंकड़ों पर आधारित बहस नहीं थी, इसलिए विपक्ष को मेरा राजनैतिक जवाब भी सुनने को तैयार रहना चाहिए। वित्त मंत्री ने कहा,'राजनीतिक भाषण देते हैं तो राजनैतिक भाषण सुनना भी पड़ेगा। मैं आपको इसमें व्यवधान की अनुमति देती हूं।'
वित्त मंत्री की इस बात पर अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने उन्हें टोकते हुए कहा कि सदन व्यवस्था के हिसाब से ही चलता है। वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की तुलनात्मक स्थिति अच्छी हैख् देश अभूतपूर्व संकट से खड़ा हुआ है। इसमें जनता का योगदान है। विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष दो-तीन साल से विश्व की सबसे तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था बताते आ रहे हैं। आज वे अगर यदि विश्व अर्थव्यवस्था की समीक्षा करते हुए उसमें गिरावट का अनुमान लगाते समय भारत की संभावित वृद्धि दर को 8.2 प्रतिशत से घटाकर 7.4 प्रतिशत करते हैं तब भी भारत की वृद्धि दर अन्य देशों के ऊपर है। श्रीमती सीतारमण ने कहा,' देश के सामने समस्या जरूर है। हम उससे निपट रहे हैं।' उन्होंने भारत में मुद्रास्फीति जनित मंदी के खतरे के बारे में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी द्वारा पूछे गए स्पष्टिकरण का जवाब देते हुए साफ-साफ कहा,'भारत में मंदी या स्टैगफ्लेशन का सवाल ही नहीं उठता।' उन्होंने कहा कि विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका में इस वर्ष पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.9 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 1.6 प्रतिशत का संकुचन हुआ। इसे वे तकनीकी मंदी बता रहे हैं लेकिन भारत के मंदी में पड़ने का कोई ड़र नहीं है। वित्त मंत्री ने देश की वृहद आर्थिक स्थिति को मजबूत बताते हुए कहा कि भारत में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के अवरुद्ध ऋण कम हुआ है और वित्त वर्ष 2021-22 में केंद्र सरकार पर कर्ज जीडीपी के तुलना में घटकर 56.29 प्रतिशत पर आ गया। जबकि अमेरिका और कई अन्य देशों में यह अनुपात 100 प्रतिशत से ऊपर है। उन्होंने जीएसटी संग्रह और विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में सुधार के ताजा आंकड़ों का उल्लेख करते हुए कहा कि जुलाई में जीएसटी संग्रह 1.49 लाख करोड़ रुपये के साथ अब तक का दूसरा सबसे बड़ा मासिक संग्रह है और पांच महीने से लगाता 1.4 लाख करोड़ रुपये से ऊपर चल रहा है। इसी तरह विनिर्माण क्षेत्र का परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) जुलाई 2022 में 56.4 प्रतिशत रहा। जून में आठ प्रमुख उद्योगों की वार्षिक वृद्धि दर 12.7 प्रतिशत रही। श्रीमती सीतारमण ने कहा,'भारतीय अर्थव्यवस्था बहुत उत्साहजनक संकेत दे रही है।' उन्होंने कहा,'मुद्रास्फीति है इसे मैं स्वीकार करती हूं पर इसका स्तर क्या है।' वित्त मंत्री ने कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के दौरान 2008-13 तक भारतीय अर्थव्यवस्था पांच जर्जर अर्थव्यवस्थाओं में गिनी जाने लगी थी। उन्होंने कहा, “ संप्रग के समय लगातार 28 महीनों में 22 महीने मुद्रास्फीति नौ प्रतिशत से अधिक थी। संप्रग के समय नौ बार मुद्रास्फीति 10 प्रतिशत से भी ऊपर चली गयी थी। ” वित्त मंत्री ने कहा, “ इस समय अब भी जबकि वैश्विक व्यापार में स्थिरता नहीं आयी है। भारत में मुद्रास्फीति सात प्रतिशत के आस-पास सीमित है। इसे और भी नीचे लाने का प्रयास चल रहा है। ”
वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि हमारे ऊपर महंगाई का आरोप लगाने वालो को पीछे की बातों का भी ध्यान रखना चाहिए।उन्होंने कहा कि विपक्ष के कुछ नेताओं पर आरोप लगाया कि वे सरकार की अलोचना करते समय केवल कुछ चुनिंदा अर्थशास्त्रियों (कौशिक बसु, रघुराम राजम) का ही नाम लेते हैं। वित्त मंत्री ने उनके उस उदाहरण को उन्हीं के तर्क से काटते हुए आरबीआई के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन के नाम का उल्लेख किया कि आरबीआई ने अच्छा काम किया है और उसने विदेशी मुद्रा का भंडार मजबूत कर भारत को श्रीलंका और पाकिस्तान जैसी स्थिति से बचाया है। वित्त मंत्री ने कहा,' राजन ने यह भी कहा है कि हमारे पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा है, विदेशी ऋण भी कम है। विश्व में हर जगह भोजन और ईंधन महंगा होने से महंगाई बढ़ी है। अनाज सस्ता हो रहा है और इससे भारत में भी महंगाई कम होगी।' उन्होंने कहा कि राजन ने आरबीआई के काम की सराहना तो कि पर उन्होंने ये बताना मुनासिब नहीं समझा की सरकार ने महंगाई को कम करने के लिए अपनी तरफ से क्या-क्या उपाय किया है। श्रीमती सीतारमण ने इसी संदर्भ में कहा कि कच्चा पाम ऑयल और सोया तथा सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क घटाने, सोया और सुरजमुखी तेल के कुल 20 लाख टन आयात को शुल्क मुक्त करने तथा मसहूर जैसी दलहनों पर आयात शुल्क कम करने के निर्णयों का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले एक माह के अंदर खाद्य तेलों के खुदरा दामों में कमी आयी है। उन्होंने यह भी कहा तेल और दलहनों पर आयात शुल्क हटाने के बावजूद दलहन-तिलहन किसानों को उत्पादन बढ़ाने के लिए समर्थन देती रहेगी। उन्होंने कहा कि महंगाई रोकने और सूक्ष्म, लघु एवं मझौली इकाइयों के लिए लोहा जैसे कच्चे माल को सस्ता करने के लिए स्टील की कतरन, कोयला, मेटकॉक, कोकिंग कोल, निकल पर शुल्क घटाया है जिससे एक महीने में इस्पात के दामों में 10 प्रतिशत तक की कमी आयी है। उन्होंने कहा कि नायलॉन, विस्कोस, पीटीपी जैसे कच्चे माल के आयात को सस्ता कर कपड़ा उद्योग को भी राहत दी गयी है। वित्त मंत्री सीतारमण ने भारत की तुलना बंगलादेश या श्रीलंका करने वाले विपक्षी नेताओं की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि हम चाहते हैं कि बंगलादेश या श्रीलंका सभी देशों की स्थिति अच्छी रहे पर हमें ऐसे नेताओं पर शर्म है जो भारत की अर्थव्यवस्था की तुलना इन देशों से करते हैं। उन्होंने कहा कि बंगलादेश इस समय अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से 4.5 अरब डॉलर, श्रीलंका 3.5 अरब डॉलर और पाकिस्तान सात अरब डॉलर का कर्ज मांग रहा है और हमारे नेता कहते हैं कि क्रय शक्ति समानता (पीपीपी) में बंगलादेश की तुलना में भारत नीचे है। उन्होंने कोरोना काल और लॉकडाउन के समय भारत सरकार द्वारा अपनायी नीति को ठोस बताते हुए कहा, “हमें सुझाव दिया जा रहा था कि हम नोट छापकर बांटे लेकिन हमने 'जिसको मदद की जरूरत है, मदद उसके हाथ में देने की जिम्मेदार नीति अपनायी' और यही कारण है कि आज भारत में अतिरिक्त तरलता की स्थिति काबू में है। जबकि अमेरिका और यूरोप के केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट दो गुनी हो गयी है। ”
उल्लेखनीय है कि असाधारण रूप से उदार मौद्रिक नीति के कारण यूरोप और अमेरिका में महंगाई दर ऐतिहासिक रूप से ऊंची चल रही है। वित्त मंत्री ने कहा कि दूध, दही, पनीर और चावल पर जीएसटी की आलोचना करने वाले नेताओं को जीएसटी की पहले की स्थिति को भी देख लेना चाहिए जबकि पंजाब, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, तेलंगाना और कुछ अन्य राज्यों में दूध, दही, पनीर, दाल, बेसन तथा चावल और गेंहू पर 01-5.5 फिसदी की दर से वैट लगा करता था। उन्होंने कहा,' जीएसटी का फैसला जीएसटी परिषद का फैसला हुआ करता है जिसमें राज्यों के वित्त मंत्री भी बैठते हैं। वह निर्णय केंद्र का नहीं होता। फैसले सर्वसम्मत से होते हैं। मेरी करबद्ध प्रार्थना है कि अंदर फैसले में शामिल सदस्य यह न कहे कि जीएसटी के फैसले मोदी के फैसले होते हैं।' उन्होंने पेंसिल पर जीएसटी के खिलाफ जीएसटी लगाने को लेकर उत्तर प्रदेश की एक बालिका द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखे जाने की डीएमके की एम के कनिमोझी की टिप्पणी पर कहा कि पेंसिल पर कोई जीएसटी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा श्मशान सेवाओं पर जीएसटी लगाने की बात को विपक्ष द्वारा फैलाया जा रहा भ्रम बताते हुए उन्होंने कहा कि श्मशान सेवाओं को मुक्त रखा गया है। नए शवदाह गृह में शामिल मशीनों को जीएसटी के दायरे में इसलिए लाया गया है कि ताकि निर्माण करने वाले सामग्री पर चुकाए गए कर का लाभ ले सकें। उन्होंने यह भी कहा कि अस्पताल में आईसीयू या आपात सेवा पर जीएसटी नहीं लगा है। केवल अस्पताल के ऐसे कमरों के किराए पर जीएसटी लागू है जिनका प्रतिदिन का किराया पांच हजार से ऊपर है। वित्त मंत्री ने अंत में मोदी सरकार को दो लोगों की सरकार और दो लोगों के लिए काम करने वाली सरकार वाले विपक्ष की कड़ी खबर लेते हुए दो राज्यों- कांग्रेस शासन राजस्थान सरकार और तमिलनाडु में कांग्रेस के साथ गठबंधन वाली डीएमके सरकार द्वारा क्रमशः सौर ऊर्जा और विशाल डाटा प्रोसेसिंग केंद्र की स्थापना वाली परियोजनाओं के लिए अडानी समूह के साथ किए गए कुछ बड़े समझौतों का जिक्र किया। उन्होंने सांसद राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा कि कुछ समय पहले (कांग्रेस पार्टी) के पूर्व अध्यक्ष राजस्थान में एक जनसभा की और उसमें उनके ऊपर अडानी-अंबानी के लिए काम करने का आरोप लगाया जबकि अगले ही दिन अशोक गहलोत सरकार ने अडानी समूह के साथ सौर ऊर्जा परियोजना के लिए हजारों एकड़ जमीन देने का समझौता किया। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि तमिलनाडु की गठबंधन सरकार ने पिछले दिनों 59 निवेश परियोजनाओं के लिए जिसमें अडानी समूह के साथ डाटा केंद्र स्थापित करने के लिए 35,200 करोड़ से ज्यादा का समझौता है। मुफ्त रेवड़ी बांटने की संस्कृति के संबंध में विपक्ष के सवालों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री ने बिजली क्षेत्र की दशा पर प्रधानमंत्री द्वारा हाल में दिए गए बयान का जिक्र किया कि अगर बिजली बनाने वाली और बिजली का वितरण करने वाली कंपनियों को पैसा नहीं मिला उनके बकाए का भुगतान नहीं किया गया तो वे देश को बिजली कैसे दे सकेंगी। इसी संदर्भ में उन्होंने पंजाब, तमिलनाडु, राजस्थान, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और अन्य प्रांतों में डिस्कॉम और जेनको के भारी बकायों के आंकड़ें पेश किए।
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