कविता : किताबों की दुनिया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 13 अगस्त 2022

कविता : किताबों की दुनिया

किताबों की अनूठी दुनिया है महान।

स्वच्छ, सफलता और शिखर का इसमें ज्ञान।।


मुश्किल है थोड़ा इसको पढ़ना।

लेकिन यह है शिक्षा का भण्डार।।


पढ़ना लिखना जिसने चाहा।

उच्च शिखर को पाना चाहा।।


गर सपने को हो पूरा करना।

किताबों की अनूठी दुनिया में घुस जाना।।


रंग-बिरंगे पन्ने हैं जिसके।

है जिसमें सतरंगी सवाल।।


बूझो तो यह है जाना।

किताबों की दुनिया है जिसका नाम।।




मानसी आर्य
मानसी आर्य

चोरसौ, गरुड़

बागेश्वर, उत्तराखंड

(चरखा फीचर)

1 टिप्पणी:

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

ईद, दशहरा, दीवाली का रंग है फीका फीका सा
त्योंहारों में इक दूजे को गले लगाना भूल गए
बचपन में हम जिन गलियों की धूल को चंदन कहते थे
बड़े हुए तो उन गलियों में आना जाना भूल गए
शहर में आ कर हमको इतनी खुशियों के सामान मिले
घर-आँगन, पीपल-पगडण्डी,गाँव सुहाना भूल गए