- खेग्रामस का प्रतिनिधिमंडल भूमि सुधार व ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री से मिला. सभी भूमिहीनों-आवासहीनों के आवास की गारंटी को लेकर गरीब बसाओ आंदोलन चलाएगा खेग्रामस
पटना 30 अगस्त,खेग्रामस (अखिल भारतीय खेत व ग्रामीण मजदूर सभा) का एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल आज राजस्व व भूमि सुधार विभाग के मंत्री श्री आलोक कुमार मेहता तथा ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री श्री श्रवण कुमार से मिला. प्रतिनिधिमंडल में खेग्रामस के महासचिव धीरेन्द्र झा, दरौली विधायक सत्यदेव राम, सिकटा विधायक वीरेन्द्र प्रसाद गुप्ता, फुलवारी विधायक गोपाल रविदास, खेग्रामस के कार्यकारी सचिव शत्रुघ्न सहनी तथा भाकपा-माले के मीडिया प्रभारी कुमार परवेज शामिल थे. प्रतिनिधिमंडल ने दोनों मंत्रियों को अपना स्मार पत्र सौंपा. खेग्रामस महासचिव ने कहा कि बिहार में आज भी बड़े पैमाने पर भूमिहीनता है. बड़ी आबादी आवास के सवाल से जूझ रही है. दूसरी ओर जिन लोगों को बासगीत पर्चा मिला भी था, पूर्ववर्ती सरकार में उनके पर्चा को रद्द करने तथा उनकी जमीन से बेदखली का काम ही ज्यादा हुआ है. इस बेदखली पर अब रोक लगनी चाहिए. प्रतिनिधिमंडल ने भूमि सुधार विभाग मंत्री से कहा कि सरकारी जमीन पर बसे तमाम बसावटों के साथ-साथ सभी दलित-गरीब बस्तियों का मुकम्मल सर्वे किया जाए और सरकार इसके लिए नई नियमावली और प्रश्नावली बनाए. इस महत्वपूर्ण सर्वे में नागरिक समाज, दलित-गरीब और मजदूरों के बीच काम कर रहे संगठनों और शोधार्थियों की आधिकारिक भागीदारी सुनिश्चित भी की जाए. खेग्रामस पूरी ताकत से इस जमीनी सर्वे अभियान में लगेगी. बासगीत पर्चाधारियों के दखल-देहानी की गारंटी सरकार करे और मिले हुए पर्चा को रद्द करवाने की साजिशों पर रोक लगाई जाए. निजी जमीन पर बसे दलित-गरीबों की बस्तियों को उजाड़ने की कार्रवाई पर भी रोक लगे और ऐसे अवैध कबाले को रद्द करे. गांव-पंचायतों को बड़े पैमाने पर शहरी निकायों का हिस्सा बना दिया गया है या छोटे-छोटे चट्टी बाजार को नगर निकायों का दर्जा दे दिया गया है. इसलिए जरूरी है कि शहरी क्षेत्रों में भी बासगीत जमीन आवंटित करने का प्रावधान किया जाए. अतिक्रमणवाद के मुकदमे में पर्चाधारियों को भी पक्ष बनाने का कानूनी प्रावधान किया जाए ताकि एकतरफा अदालती फैसले पर रोक लगे. ग्रामीण विकास विभाग से खेग्रामस नेताओं ने सुखाड़ के मद्देनजर मनरेगा में कामकाज की शुरुआत 15 सितंबर से करने, इस साल मनरेगा में 100 दिन काम देने को लेकर बड़ा अभियान चलाने, मनरेगा में न्यूनतम मजदूरी की गारंटी के लिए केंद्र सरकार पर दबाव बनाने, काम नहीं देने वाले अफसरों के वेतन से बेरोजगारी भत्ता वसूलने, मनरेगा कौंसिल का ढांचा जीवंत करने, मांग के मुताबिक काम और समय पर साप्ताहिक भुगतान की गारंटी करने, बिहार सरकार से मनरेगा में अतिरिक्त 25 रुपए मजदूरी जोड़ने; नहरों, नदियों, तालाबों और बाग-बगीचों की उड़ाही व सफाई को मनरेगा से जोड़ने तथा 60 साल के ऊपर के मनरेगा मजदूरों को 3000 रुपये के पेंशन की गारंटी देने की मांग उठाई. खेग्रामस नेताओं ने कहा कि मंत्रीगणों ने उनकी मांगों को गंभीरता से सुना और कार्रवाई का आश्वासन दिया. आने वाले दिनों में खेग्रामस पूरे बिहार में गरीब बसाओ आंदोलन चलाएगी.
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