बताते चले कि 1885 में स्थापित के बाद 87 अध्यक्षों ने कांग्रेस का नेतृत्व किया. इनमें से 19 अध्यक्ष आजादी के बाद के 72 साल में बने. इनमें से 37 साल नेहरू-गांधी परिवार का सदस्य ही पार्टी अध्यक्ष रहा. कभी देश की सबसे बड़ी पार्टी रही कांग्रेस आज बुरे दौर से गुजरे रही है.28 दिंसबर 1885 में अस्तिव में आई इस पार्टी का काम आज से पहले राहुल गांधी संभल रहे थे.राहुल को पार्टी की जिम्मेदारी 11 दिसंबर 2017 को दी गई थी.राहुल ने पार्टी का नेतृत्व करते हुए मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पंजाब में पार्टी को जीत दिलाई.इस जीत के बाद से न केवल कार्यकर्ताओं में जोश, उमंग, उम्मीदें जागी, बल्कि राहुल का कद राजनीति में पहले से ज्यादा बढ़ गया. विधानसभा की जीत से पहले ये माना जा रहा था कि मोदी-शाह की जोड़ी को मात देना मुश्किल है, लेकिन राहुल ने जीत हासिल कर साबित किया कि देश का मूड कुछ ओर ही है. हालांकि जीत का ये सिलसिला लोकसभा चुनाव 2019 तक बरकरार नहीं रहा. पार्टी ने राहुल के नेतृत्व में चुनाव लड़ा और सिर्फ 52 सीट पर ही जीत हासिल की. खुद राहुल अपनी अमेठी सीट गंवा बैठे.इस हार के बाद राहुल ने पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने का फैसला किया और उस पर कायम रहे. हालांकि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं ने राहुल को मनाने का प्रयास किया, लेकिन वे विफल रहे.इस समय राहुल गांधी की माता सोनिया गांधी अंतरिम कांग्रेस अध्यक्ष हैं. कांग्रेस अध्यक्ष पद को लेकर मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच मुकाबला होगा. कांग्रेस प्रमुख के चुनाव में केवल ये दो ही उम्मीदवार होंगे. केएन त्रिपाठी का नामांकन रद्द हो गया है. कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए 17 अक्टूबर को मतदान होगा और 19 अक्टूबर को मतों की गिनती के बाद उसी दिन नतीजा घोषित किया जाएगा. हाईकमान और टॉप लीडर्स के सपोर्ट से खड़गे का अध्यक्ष बनना तय माना जा रहा है. अगर खड़गे अध्यक्ष बनते हैं तो बाबू जगजीवन राम के बाद ये दूसरे दलित अध्यक्ष होंगे. खड़गे दक्षिण भारत (कर्नाटक) से आते हैं और दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. बाबू जगजीवन राम के बाद से अब तक किसी दलित नेता ने पार्टी का नेतृत्व नहीं किया है. वह 1970-71 में कांग्रेस के अध्यक्ष थे.
कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए मल्लिकार्जुन खड़गे से मुकाबला करने वाले शशि थरूर का कहना हैं कि खड़गे के अध्यक्ष बनने से कांग्रेस का भला नहीं होगा.वहीं खड़गे के गृह प्रदेश के कांग्रेसी दिल से खड़गे की जीत चाहते हैं.कर्नाटक कांग्रेस के नेताओं की दलील है कि खड़गे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से वहां की कई परेशानियां हल हो जाएंगी. इसके मुताबिक पार्टी की गुटबाजी खत्म होने के साथ-साथ आने वाले विधानसभाओं चुनाव में भी उसे लाभ मिलने की उम्मीद है. खड़गे अगर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं तो पार्टी को इसका फायदा कल्याण कर्नाटक इलाके के सात पिछड़े जिलों में होगा. कर्नाटक से 9 बार विधायक रह चुके खड़गे का, इस इलाके में खास प्रभाव है.असल में साल 2012 में यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान खड़गे के प्रयास से ही यहां पर आर्टिकल 371जे लागू हुआ था.खड़गे उस वक्त केंद्रीय मंत्री थे. इसके चलते इस इलाके को स्पेशल स्टेटस मिला है.इसके तहत कर्नाटक के गवर्नर हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र के विकास के लिए जरूरी कदम उठा सकते हैं.इसमें गुलबर्गा, बीदर, रायचूर, कोप्पल, यादगीर और अविभाजित बेल्लारी शामिल हैं. बिहार प्रदेश कांग्रेस के सम्मानित अध्यक्ष डा.मदन मोहन झा ने शशि रंजन को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के द्वारा अधिकृत प्रदेश प्रतिनिधि कार्ड दिए. जिसका इस्तेमाल 17 अक्टूबर 2022 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव में बिहार प्रदेश कांग्रेस संगठन प्रभारी श्री ब्रजेश कुमार पांडेय जी, पटना महानगर जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष जनाब परवेज अहमद जी, वर्तमान पटना जिलाध्यक्ष श्री शशि रंजन जी को प्रतिनिधि कार्ड दिए.कार्ड प्राप्त करते वक्त शशि रंजन ने कहा कि प्दकपंद ल्वनजी ब्वदहतमेे 2010 का चुनाव याद आ गया. जिसके माध्यम से राजनीतिक जीवन में प्रवेश करते हुए भारतीय युवा कांग्रेस पटना का पहला निर्वाचित अध्यक्ष चुना गया था. ऐसी लोकतंत्रात्मक राजनीतिक व्यवस्था सिर्फ कांग्रेस पार्टी में ही संभव है.
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