बिहार : अंतरधार्मिक विवाह करने वाले प्रदीप प्रियदर्शी एवं पुष्पा का स्वागत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 12 अक्तूबर 2022

बिहार : अंतरधार्मिक विवाह करने वाले प्रदीप प्रियदर्शी एवं पुष्पा का स्वागत

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पटना. राजधानी पटना में है ब्रजकिशोर मेमोरियल हॉल. जयप्रकाश नारायण की धर्मपत्नी प्रभावती देवी थी.प्रभावती देवी के पिता और जयप्रकाश नारायण के ससुर ब्रजकिशोर प्रसाद थे.उन्ही के नाम पर इस हॉल का नामकरण किया गया है. इस हॉल में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के जन्म दिवस (11 अक्टूबर 1902) मनाया गया. मंगलवार को लोकनायक जयप्रकाश नारायण की 118 वीं जन्म दिवस के अवसर पर ब्रजकिशोर मेमोरियल हॉल में संगोष्ठी आयोजित की गयी. मुख्य वक्ता बिहार जनतंत्र समाज के अध्यक्ष डा रमेन्द्र थे.इस अवसर पर अंतरधार्मिक विवाह करने वाले प्रदीप प्रियदर्शी एवं पुष्पा काे पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया गया. प्रो रमेंद्र ने कहा कि जेपी आज जिंदा होते तो साम्प्रदायिक राजनीति का विरोध करते.आर्थिक समता की वकालत करते.लोक स्वतंत्रता की रक्षा, बढ़ते भ्रष्टाचार, स्त्री पुरुष समता की बात करते। लोगों को संगठित करते.राजनैतिक सत्ता और आर्थिक विकेंद्रीकरण की बात करते.आज जेपी जिंदा होते तो दलों को बीजेपी कै विरूद्ध दलों को संगठित कर मैदान में उतारते. रमण जी ने कहा आज की राष्ट्रीय परिस्थिति 1974से ज्यादा बुरा है.जेपी होते तो व्यापक आंदोलन खड़ा होता.प्रदीप प्रियदर्शी ने कहा आज यह विषय मौजू है.1974 में जेपी के आंदोलन में बिहार में सपरिवार शामिल हुए.जेपी होते तो सत्ता निरंकुश नहीं हो पाता.आज हमें सोचना है कि परिस्थितियां कैसे बदलें.इस दिशा में प्रयास चल रहा है.लोग सफल होंगे.उन्होंने कहा कि जेपी हमारे अंदर है.हमें आगे आना होगा.हमें आगे आना ही होगा.वरना जे पी शर्मिंदा होंगे कि हमने कुछ नहीं किया. रूपेश ने कहा नये युग की जिन्हें तलाश उनका साथी जयप्रकाश. जेपी जैसा व्यक्तित्व बनने की आवश्यकता डी पी एन विश्वकर्मा ने कहा गैर कांग्रेसवाद इतिहास में एक गलती थी. क्योंकि जो सरकार आईं वह जनसमस्याओं का हल नहीं कर पायी.समाजवादी भी संगठित नहीं है.जिस तरह से भाजपा बढ़ी समाजवादी नहीं बढ़े.जेपी होते तो गलतियों को सुधार कर वैकल्पिक राजनीति की बात करते. कपिलेश्वर ने कहा कि सामाजिक बदलाव से यह संभव है.जैसी का विचार आज हमें उत्पीड़न के विरुद्ध लड़ने के लिए प्रेरित करता है.गांव भी खड़ा होने को तैयार हैं. अनिस अंकुर ने कहा जेपी जिंदा होते तो किसान हित के लिए और  असमानता और साम्प्रदायिकता के विरुद्ध खड़े होते. राजीव ने कहा कि संसदीय राजनीति और चुनाव सुधार की बात होना जरूरी है. कासिम खुर्शीद ने कहा कि जो विभिन्न विचार है उसका का आपसी इंटरैक्ट होना जरूरी है.आज जो समझ है उस पर खुली बात होनी चाहिए.

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