- पटना उच्च न्यायालय को व्यवहारिक निर्णय लेना चाहिए था, वोटिंग से 5 दिन पहले चुनाव का स्थगन दुर्भाग्यपूर्ण.
- आरक्षण विरोधी भाजपा की साजिश व अतिपिछड़ों के प्रति ढोंग का माले करेगा भंडाफोड़, 8 अक्टूबर को राज्यव्यापी विरोध दिवस
पटना 6 अक्टूबर, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि नगर निकाय चुनाव में पिछड़ों-अतिपिछड़ों को दिए जा रहे आरक्षण के मसले पर पटना उच्च न्यायालय का जो फैसला आया है, उसके पीछे भाजपा है. आरक्षण को खत्म करने की भाजपाई साजिश से हम सब वाकिफ हैं. यहां तक कि आरक्षण पर कई बार सुप्रीम कोर्ट भी उसकी साजिश का शिकार होता रहा है. आरक्षण पर उसकी अड़ेंगेबाजी ने नगर निकाय चुनाव को उलझाकर सभी प्रत्याशियों व आम जनता को भारी परेशानी में डाल दिया है. पटना उच्च न्यायालय ने ट्रिपल टेस्ट नहीं कराए जाने को आधार बनाकर आरक्षित सीटों पर चुनाव रोक दिया था. बाद में निर्वाचन आयोग ने पूरे चुनाव को ही स्थगित कर दिया. वोटिंग के 5 दिन पहले चुनाव का स्थगन बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. भाजपा अब अतिपिछिड़ों के प्रति प्रेम का ढोंग कर रही है. नगर निकाय का यह चुनाव 2007 के प्रावधानों के अनुसार ही हो रहा था. इस आधार पर 2012 व 2017 में चुनाव हो चुके हैं. लंब अर्से से नगर विकास विभाग की जिम्मेवारी भाजपाई मंत्रियों के ही जिम्मे रही है. तब इसका जवाब भाजपा को ही देना होगा कि उसने अभी तक ट्रिपल टेस्ट के लिए कमीशन का गठन क्यों नहीं किया था? आज जब वह बिहार की सत्ता से बाहर है तो बौखलाहट में नगर निकाय चुनाव को स्थगित करने की उसने गहरी साजिश रचने का काम किया आरक्षण को हर स्तर पर कमजोर करने की भाजपाई साजिश के खिलाफ भाकपा-माले व्यापक स्तर पर भंडाफोड़ अभियान चलाएगी. इसके तहत आगामी 8 अक्टूबर को पूरे राज्य में विरोध दिवस का आयोजन करेगी.
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